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संक्रमण से बचने को भारतीय अभिवादन नमस्कार की प्रथा अपनाएंः डाॅ. बीकेएस. संजय
-80 प्रतिशत कीटाणु हाथ छूने से फैलतेः डाॅ. गौरव संजय
देहरादून। कोरोना वायरस का संक्रमण आज एक वैश्विक महामारी हो गई है। इस संक्रमण से बचने के लिए हम सबको भरसक कोशिश करनी चाहिए। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संजय आॅर्थोपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर व सेवा सोसाइटी जाखन, देहरादून के गिनीज एवं लिम्का बुक रिकार्ड होल्डर आॅर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डाॅ. बी. के. एस. संजय एवं आॅर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डाॅ. गौरव संजय द्वारा कोराना वायरस जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। डाॅ. गौरव संजय ने अपने सम्बोधन के दौरान बताया, कि लगभग 80 प्रतिशत कीटाणु हाथ छूने से फैलते है। अधिकांश संक्रमण लोगों की लापरवाही से फैलता है। अधिकतर लोगों में हाथ धोने की आदत आम नहीं हंै। इस तरह से वायरस का संचरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है। वास्तव में ऐसे लोग वायरस के लिये एक रोग वाहक का काम करते हंै।
डाॅ. गौरव संजय ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हाथों को साफ रखना और हाथ धोने कीे आदत एक बहुत अच्छा, सस्ता एवं साधारण उपाय है और हम सबको इस संक्रमण से बचने के लिए “बचाव ही इलाज से बेहतर है“ की कहावत को हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए। कोरोना वायरस के संक्रमण ने इस समस्या को भलीभाँति उजागर कर दिया है। जैसा कि हमारे देश में भी कोरोना वायरस का संचरण का माध्यम इस तरह से हुआ कि एक व्यक्ति जो इटली से कोरोना वायरस से संक्रमित था लेकिन उसको संक्रमण इनक्यूवेसन पीरियड में था। जिससे उसमें वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे थे और उसने अन्जाने में अपने अन्य रिश्तेदारों एवं दोस्तों को भी संक्रमित कर दिया। डाॅ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि अभिवादन संचार का एक माघ्यम है। हर एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से मिलने से पहले अभिवादन करता है। अभिवादन की प्रथा पीढ़ी दर पीढ़ी से चली आ रही है और यह सभी मानव संस्कृतियों में मौजूद है। हर संस्कृति में अभिवादन करने के तरीके अलग है। जिनमें हाथ मिलाना, गले मिलना इत्यादि। मुख्यतः अभिवादन में बोलना तथा इशारे ही प्रमुख है। अभिवादन का प्राथमिक लाभ किसी भी व्यक्ति के अस्तित्व और महत्व को स्वीकार करना है। डाॅ. संजय ने बताया कि कोरोना वायरस का संक्रमण का मुख्य कारण है लोगों का एक-दूसरे से शारीरिक संपर्क जैसे कि हाथ मिलाने की पाश्चातय् सभ्यता या गले मिलने की आदत पूर्वी देशों की सभ्यता है। संपर्क में आने से संक्रमण एक-दूसरे में फैलने की संभावना बढ़ जाती है। संक्रमण से बचने के लिए दूसरे प्रचलित अभिवादन की तुलना में भारतीय अभिवादन नमस्ते या नमस्कार की प्रथा सबसे अच्छा अभिवादन है।
डाॅ. बी. के. एस. संजय ने बताया कि संक्रमण कोई नई बात नहीं है, न ही अंतिम मौका है। आज लगभग पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से प्रभावित है। आज तक इस संक्रमण से दुनिया के लगभग ढाई लाख से ज्यादा व्यक्ति संक्रमित हो चुके है और लगभग दस हजार से ज्यादा व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है। इस महामारी को देखते हुए सुझाव दिया जाता है कि लोग ज्यादा से ज्यादा अपने हाथ जोड़कर नमस्कार या फिर गर्दन को झुकाकर अभिवादन करने की आदत, एक अच्छी आदत होगी और जिससे संक्रमण रोकने में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। केवल हाथों को धोना, आपस में दूसरों से दूर रहना, खाँसते एवं छींकने पर मँुह को ढ़कने की आदत से काफी हद तक कोरोना वायरस के संक्रमण से हम खुद एवं दूसरों को बचा सकते है। कोरोना वायरस के इलाज के लिए अभी तक कोई दवाई या वैक्सीन नहीं है। यदि किसी को खाँसी, जुकाम और बुखार है और इनमें से कोई ऐसा लक्षण जो कोरोना वायरस जैसा महसूस हो रहा हो तो फिर ऐसे में किसी सरकार द्वारा चिन्हित अस्पताल में जाकर डाॅक्टर को दिखाऐं एवं जाँच कराये और 14 दिन के लिए पृथकीकरण या आइसोलेशन के नियम का पालन करे और इलाज कराये। इससे बचने के लिए सावधानियाँ ही आज की आवश्यकता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा की गई आने वाले रविवार, 22 मार्च 2020 को “जनता कफ्र्यू“ की अपील कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में एक कामयाब कदम होगा। अपने और जन हित को ध्यान में रखते हुए इस हम सब को इस “जनता कफ्र्यू“ को सफल बनाने में सहयोग देना चाहिए।