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जयंती पर याद किए गए पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी

देहरादून। पहाड़ के गाँधी स्व0 इंद्रमणि बड़ोंनी जी की 96 वीं जयंती पर उक्रांद द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी। प्रातः 10 बजे पार्टी कार्यालय में श्रद्धांजलि देने के पश्चात् उक्रांद द्वारा घंटाघर बड़ोंनी जी की प्रतिमा में पुष्प अर्पित कर याद किया, इस अवसर पर उक्रांद केंद्रीय महामंत्री ने कहा कि जन्म एक साधारण परिवार में 24 दिसंबर 1925 को ग्राम- अखोड़ी, पट्टी-ग्यारह गांव, टिहरी गढ़वाल में कल्दी (कालू) देवी-पं० सुरेशानंद बडोनी के घर हुवा। उन्होंने कक्षा चार (लोअर मिडिल) अखोड़ी, सात (अपर मिडिल) रौडधार व स्नातक देहरादून से पास की। उन्होंने अपने 2 छोटे भाई महीधर और मेधनीधर को उच्च शिक्षा दिलाई।
बम्बई से लौटने के बाद वह गाँधी जी की शिष्या मीरा बेन के संपर्क में आये और गांधीवादी विचार के साथ गांव में ही अपने सामाजिक जीवन को विस्तार देना प्रारम्भ किया। उन्होंने वीर भड़ माधो सिंह भंडारी नृत्य नाटिका और रामलीला का मंचन कई गांवों और प्रदर्शनियों में किया, वह बहुत अच्छे अभिनेता, निर्देशक, लेखक, गीतकार, गायक, हारमोनियम और तबले के जानकार और नृतक थे। वह 1956 में स्थानीय कलाकारों के एक दल को लेकर गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रमों में दिल्ली गए, उनकी सुंदर प्रस्तुति पर मंत्रमुग्ध हो तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू नाचने लगे थे। वह 1956 में जखोली विकास खण्ड के प्रमुख बने, उससे पहले गांव के प्रधान थे। वह 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में, 1969 में कांग्रेस से तथा 1977 में तीसरी बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित होकर लखनऊ विधानसभा में पहुचे। वह 1989 में लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के बाहुबली प्रत्याशी ब्रह्म दत्त से मात्र 10 हजार वोटों से हारे। वह पर्वतीय विकास परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे। 1994 में पौड़ी में उन्होंने पृथक उत्तराखंड राज के लिये आमरण अनसन शुरू किया जहाँ सरकार द्वारा उन्हें मुज्जफरनगर जेल में डाल दिया गया। सम्पूर्ण उत्तराखंड आंदोलन में वे केंद्रीय भूमिका में रहे। एक अहिंसक आंदोलन में उमड़े जन सैलाब की उनकी प्रति अटूट आस्था, करिश्माई  पर सहज-सरल व्यक्तित्व के कारण वाशिंटन पोस्ट ने उन्हें “पर्वतीय गाँधी” की संज्ञा दी। उनका निधन 18 अगस्त 1999 को विठल आश्रम ऋषिकेश में हुआ। चूँकि स्व. इंद्रमणि बडोनी अविभाजित उप्र के समय देवप्रयाग विधानसभा से विधायक थे तो उन्हें उप्र सरकार से विधायक पेंशन मिलती थी, लेकिन 18 अगस्त 1999 को बडोनी के निधन के बाद वह पेंशन भी आनी बंद हो गई। जिस कारण उनकी पत्नी 88 वर्षीय पत्नी सुरजी देवी का 31 मार्च 2014 निधन हो गया था। त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति ’पहाड़ के गाँधी के गाँधी इंद्रमणि बड़ोंनी जी थेद्य इस अवसर पर श्री लताफत हुसैन, सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय, प्रमिला रावत,दीपक रावत, राजेंद्र बिष्ट, किरन रावत कश्यप,प्रीति थपलियाल, मुकेश कुंडरा, प्रांजल खंडूरी, प्रवीन रमोला, योगी राकेश नाथ।

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