किसान-उद्योग-वैज्ञानिक सम्मेलन का हुआ आयोजन
देहरादून। हाल ही में कोविड के कारण निर्मित स्थिति के मद्देनजर ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए सीएसआईआर प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए सीएसआईआर-आईआईपी ने एक प्रमुख पहल की है। इस संबंध में किसानों तक गुड़ भट्टी प्रौद्योगिकी और किसान सभा ऐप का प्रसार करने के लिए सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून के लवराज सभागृह में एक किसान-उद्योग-वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य सीएसआईआर-आईआईपी देहरादून द्वारा विकसित गुड़ भट्टी प्रौद्योगिकी और सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा विकसित किसान सभा अनुप्रयोग का प्रसार करना था, जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के अवसर पैदा किए जा सकें। किसानों के लिए आजीविका के व्यावसायिक अवसरों का विकास और उनकी आय में वृद्धि के उद्देश्य से यह सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में वैज्ञानिक, उद्योगपति और किसान ने मिलकर एक मंच पर इस क्षेत्र के सभी अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा की।
सीएसआईआर-आईआईपी, देहरादून के निदेशक डॉ. अंजन रे ने ऐसे सम्मेलनों को आधिकाधिक आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया इससे ग्रामीण लोगों के लिए बेहतर आर्थिक स्थिति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए सीमित संसाधनों के साथ अधिक उत्पादन की प्रद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने किसानो के लिए लाभकारी सीएसआईआर-आईआईपी की कुछ अन्य प्रौद्योगिकियों के बारे में भी बताया। उन्होंने इस सम्मेलन में प्रतिभागी सभी किसान भाइयोंध्प्रतिनिधियों का आभार भी व्यक्त किया।
प्रो.रंजना अग्रवाल, निदेशक, सीएसआईआर- एनआईएससीपीआरइस ने इस सम्मेलन में ऑनलाइन प्रतिभागिता की तथा किसानों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा सीएसआईआर-प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सृजन की दिशा में किए गए अद्वितीय प्रयासों का विवरण दिया। उन्होंने विगत वर्षों में अर्जित किसान सभा एप की सफलता पर प्रकाश डाला और यूबीए नेटवर्क की क्षमता के बारे में बताया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए चयनित 82 प्रौद्योगिकियों के संग्रह का भी उल्लेख किया। उन्होंने गुड़भट्टी तकनीक के महत्व और लाभ के बारे में भी बताया। अंत में उन्होंने किसानों को सीएसआईआर से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। डॉ योगेश सुमन ने इस सम्मेलन का महत्व बताते हुए कहा कि इससे किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों को हल करने सहयोग मिलेगा तथा उन्नत भारत अभियान (यूबीए) का उपयोग करके प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक प्रसार संभव होगा।
डॉ. पंकज आर्य ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण की रिपोर्ट के संदर्भ में पुरानी गुड़ भट्टियों से होने वाले वायु प्रदूषण पर बोलते हुए कहा कि पारंपरिक गुड़ बनाने की प्रक्रिया इस हेतु मुख्य रूप से उत्तरदायी है तथा इसके लिए बेहतर विकल्प अपनाने की आवश्यकता है। इस सम्मेलन में डॉ फरहत आजाद ने किसान सभा ऐप पर चर्चा की और किसानों के सामने इसका प्रदर्शन भी किया। यह ऐप छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका के विकास के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था। धामपुर स्पेशिलिटी शुगर्स के सत्य प्रकाश ने बाजार में उत्पाद की बिक्री के लिए बेहतर विपणन नीति की आवश्यकता के बारे में बताया। उन्होंने अन्य उत्पाद जियसे कि सिरका आदि बनाने पर बल दिया, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। अजय गैरोला ने खुदरा क्षेत्र में किसानों के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में चर्चा की। उन्होंने किसानों और खुदरा विक्रेताओं के मध्य सहयोग व साझेदारी के और अवसरों का पता लगाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।।