पंचायत चुनाव के बाद बसपा में अंर्तकलह, प्रदेश नेतृत्व बदलने की मांग
रुड़की। पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के परिणाम के लिए बसपा विधायकों ने प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और उनके पिता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। साथ ही उन्होंने पंचायत चुनाव में उनकी अनदेखी का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि अगर संगठन को मजबूत करना है तो प्रदेश नेतृत्व को बदलना होगा।
लक्सर विधायक मोहम्मद शहजाद ने कहा कि हरिद्वार पंचायत चुनाव में हालात बुरे रहे हैं। इसमें निष्पक्षता का अभाव रहा। जो लोग चुनाव प्रक्रिया को संपन्न करवा रहे हैं, वो भी सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि नारसन, बाहदराबाद, भगवानपुर और रुड़की में लाठी का इस्तेमाल किया गया। जिसका वो घोर निंदा करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस चुनाव में पार्टी की जो स्थिति हुई है, उसके लिए प्रदेश नेतृत्व जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए कमेटी बनाई जाती है। जिसमें संगठन के महत्वपूर्ण लोगों के साथ ही विधायकों को शामिल किया जाता है, लेकिन पहली बार ऐसा पार्टी में देखने को मिला कि प्रत्याशी घोषित करने के लिए कमेटी नहीं बनाई गई। वहीं, प्रदेश प्रभारी जीएस दिनकर, नरेश गौतम, प्रदेश अध्यक्ष आदित्य बृजवाल और पूर्व विधायक हरिदास की मर्जी से प्रत्याशियों की घोषणा की गई। इसमें मुस्लिमों की अनदेखी की गई। उन्होंने कहा काशीराम ने बसपा को जिस उद्देश्य से बनाया था, उसमें दलित और मुस्लिमों को बराबर सम्मान दिया जाना था। उनका आरोप है कि अन्य कई जरनल सीटों पर दलित लोग लड़ाए गए. क्षेत्रीय जातिगत समीकरणों के आधार पर टिकट वितरण नहीं किए गए। टिकट वितरण में दोनों विधायकों से कोई सलाह नहीं ली गई, ना ही उन्हें पूछा गया। बल्कि चुनाव में यह कहा गया कि हम पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम विधायक पार्टी के लिए पूर्व विधायक हरिदास और उनके बेटे से ज्यादा वफादार है। उन्होंने कहा कि हरिदास तीन-तीन बार पार्टी से छल कर चुके हैं। कांग्रेस सरकार में बसपा का साथ छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे। तब भी सरवत करीम अंसारी पार्टी के पक्ष में ही बने रहे। उन्होंने कहा कि आज हरिद्वार जिले में जो चल रहा है, उससे हम सहमत नहीं हैं। जिले में साल 1995 से अब तक हुए चुनावों में बसपा मुख्य भूमिका में रही है और बोर्ड भी बनाया, लेकिन अब केवल छह सदस्य आए हैं। जिसमें से एक ने पहले ही दिन पार्टी छोड़ दी। विधायक ने कहा कि हमारी नेता बहन मायावती हैं और हम उनका सम्मान करते हैं। उनसे मांग करते हैं कि प्रदेश में संगठन की मजबूती के लिए प्रदेश नेतृत्व को बदलने का काम करें। मंगलौर विधायक सरवत करीम अंसारी ने कहा कि इस पूरे चुनाव में उन्हें तबज्जो नहीं दिया गया। चुनाव में पार्टी ने दोनों विधायकों को नजरंदाज किया गया। जब उन्होंने चुनाव में घर बिठाने का कारण प्रदेश नेतृत्व से पूछा तो उन्हें कहा गया कि श्जब हमारे घर में शादी होगी तो पूछा जाएगा। उन्होंने कहा कि 44 सीटों में 28 पर दलित लड़ाए गए। इतना ही नहीं जरनल सीटों पर दलित को चुनाव लड़ाया गया। जबकि, सर्वसमाज को सम्मान दिया जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि जिन लोगों ने अन्य पार्टियों को विधानसभा चुनाव लड़ाया, उन्हें बसपा प्रदेश नेतृत्व में चुनाव लड़ाया गया। बहुजन समाज पार्टी को बचाने के लिए हाईकमान को निर्णय लेना होगा।