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देश के सबसे बड़े और मंहगे वकील होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी का निधन

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने रविवार को अपने दिल्ली स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। देश के सबसे बड़े और मंहगे वकील होने के साथ ही वर्तमान में वह राज्यसभा सांसद भी थे। उन्हें 2016 में राष्ट्रीय जनता दल ने राज्यसभा भेजा था। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कानून मंत्री कि जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। मुंबई लोकसभा सीट से वह दो बार भाजपा सांसद रह चुके हैं। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

       राम जेठमलानी का जन्म पाकिस्तान (तब वह भारत का हिस्सा हुआ करता था) के शिकारपुर में 14 सितंबर 1923 में हुआ था। वह पढ़ने में बेहद ही अच्छे छात्र थे। कहा जाता है कि उन्होंने दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा की पढ़ाई महज एक साल में ही पूरी कर ली थी। 13 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने मैट्रिक पास की थी। उनके दादा और पिता बोलचंद गुरमुख दास भी पेशे से वकील ही थे। जेठमलानी ने अपने जीवन में कई हाई प्राफाइल केस लड़ें हैं।  17 साल की उम्र में जब उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद अपना पहला केस लड़ा उसी के साथ वह सुर्खियों में छा गए। वर्ष 1959 में केएम नानावती  बनाम महाराष्ट्र सरकार का केस जेठमलानी ने यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के साथ लड़ा था। नानावटी नेवी अफसर थे, जिन्होंने अपनी ही पत्नी के प्रेमी को गोली मार दी थी। इसके बाद नानावटी ने सरेंडर कर अपना अपराध स्वीकार लिया था। उन्हें तीन साल जेल में गुजारने पड़े। जेठमलानी ने उनका केस लड़ा और उन्हें रिहा करा लिया था। जानकारी के लिए बता दें कि इसी केस पर बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म रूस्तम भी बनी है।  उन्होंने मुंबई और दिल्ली की अलग-अलग कोर्ट में कई स्मगलरों के केस लड़े थे। जेठमलानी ने अपनी दलीलों के दम पर अधिकतर स्मगलरों के केस जीते थे। 70 और 80 के दशक में उन्हें इसी वजह से स्मगलरों का वकील भी कहा जाने लगा था। बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन की फिल्म  ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई’ आपने देखी ही होगी। 1960 के दशक में इसी डॉन हाजी मस्तान के स्मगलिंग के कई मुकदमों की पैरवी उन्होंने की थी। जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का निधन हुआ तब पूरे देश में शोक की लहर थी। देश का कोई भी वकील इंदिरा  के हत्यारों का केस लड़ने के लिए तैयार नहीं था। तब रामजेठमलानी ने ही आरोपी सतवंत सिंह और केहर सिंह का केस लड़ा था।  पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे वी श्रीहरन उर्फ मुरुगन की तरफ से भी जेठमलानी ने केस लड़ा था। आरोपियों की तरफ से पैरवी करते हुए जेठमलानी ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलवा दिया था।

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