कांग्रेस का इतिहास गरीबी के नाम पर राजनीति करने का रहा है गरीबी को दूर करने का नहीं-अरुण जेटली
नई दिल्ली। बीस प्रतिशत गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपये देने संबंधी कांग्रेस की घोषणा को धोखा करार देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक एक कर गिनाया कि गरीबी हटाओ के नारे पर चुनाव जीतने के बावजूद भी कांग्रेस सरकारों ने केवल धोखा ही दिया है। कांग्रेस पार्टी का इतिहास गरीबी के नाम पर राजनीतिक व्यवसाय करने की रही है। जबकि मोदी सरकार गरीबों को सशक्त बना रही है। अगर कांग्रेस के 72 हजार सालाना के खोखले चुनावी वादे को भी माना जाए तो मोदी सरकार पहले ही डाइरेक्ट बेनिफि ट्रांसफर स्कीम के जरिए प्रत्येक गरीब परिवार को हर साल लगभग 1,06,000 रुपये दे रही है। जेटली ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर छल-कपट का आरोप लगाते हुए जेटली ने कहा कि 2008 में 70 हजार करोड़ रुपये कर्ज माफी की कर्ज माफी का ऐलान किया लेकिन इस पर खर्च सिर्फ 52 हजार करोड़ रुपये किए। इसका लाभ भी किसानों को नहीं मिला। सीएजी की रिपोर्ट में इसका खुलासा भी हुआ है। दूसरी ओर मोदी सरकार ‘पीएम-किसान’ में 75 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष देने की शुरूआत कर चुकी है।
कांग्रेस सरकार कहती थी कि वह ग्रामीण जीवन बदलने के लिए मनरेगा पर 40 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी लेकिन वास्तविक खर्च महज 28,000 करोड़ रुपये हुआ। इसी तरह कांग्रेस ने कई राज्यों के विधान सभा के चुनाव के दौरान कृषि ऋण माफी का वाद किया था लेकिन वास्तविकता यह है कि कर्नाटक में कर्ज माफी के लिए अब तक मात्र 2,600 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश में 3,000 करोड़ रुपये और पंजाब में दो साल में मात्र साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। यह कांग्रेस का इतिहास है कि चुनाव जीतने के लिए वह वादे करती है फिर गरीबों को भ्रम में रखती है। यही कारण है कि कांग्रेस साठ साल के शासन में गरीबी जस के तस रहा। अब पिछले पांच साल में तेजी से गरीबों तक योजनाएं पहुंच रही है और उनका विकास हो रहा है। गरीबों को सस्ती दर पर अनाज मुहैया कराने को 1.84 लाख करोड़ रुपये, किसानों को 75 हजार करोड़ रुपये और कई हजार करोड़ रुपये डीबीटी के माध्यम से खर्च कर रही है। आज अगर इन योजनाओं की पूरी राशि को जोड़ा जाए तो यह 5.34 लाख करोड़ रुपये बैठती है जो गरीबों को दी जा रही है। इस तरह प्रत्येक गरीब को लगभग 1,06,000 रुपये सालाना दिये जा रहे हैं। नारे और बयानों से गरीबी नहीं जाएगी। साधनों से जाएगी। मोदी सरकार ने गरीबों को आवास, गैस कनेक्शन व शौचालय के रूप में साधने देने का काम किया है। जेटली ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के कार्यकाल में देश की विकास दर महज 3.5 प्रतिशत थी और पूरी दुनिया इसे हिन्दू रेट ऑफ ग्रोथ कहकर मजाक उड़ाती थी। इस विकास दर से गरीबी हटाना संभव नहीं था। इसके बाद इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ नारा दिया लेकिन उन्होंने गरीबी हटाने के लिए जो आवश्यक नहीं किये। राजीव गांधी की सरकार में तो विवाद ही चलते रहे इसलिए गरीबी दूर करने को कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी तरह यूपीए के दस साल के कार्यकाल में भी गरीबों के साथ एक प्रकार से छल कपट होता रहा है।