चीन ने यूएनएससी में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने की पहल की
नई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे पर पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘बंद कमरे में बैठक’ की कोशिश नाकाम होने के बाद चीन ने बुधवार को इसके लिए एक बार फिर पहल की है। हालांकि, उसके मंसूबे नाकाम होते दिख रहे हैं क्योंकि सुरक्षा परिषद के बाकी सभी सदस्य इसका विरोध कर सकते हैं। पिछले साल भी चीन की पहल पर कश्मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की ‘बंद कमरे में बैठक’ हुई थी जिसमें वह अलग-थलग पड़ गया था। ‘बंद कमरे में बैठक’ पूरी तरह अनौपचारिक होती है, जिसका कोई रिकॉर्ड तक मैंटेन नहीं किया जाता। फ्रांसीसी राजनयिक सूत्रों ने बताया कि फ्रांस को यूएनएससी के एक सदस्य की तरफ से एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने का अनुरोध मिला है और पिछली बार की तरह इस बार भी वह इसका विरोध करेगा। दरअसल, यूएनएससी ने एक अफ्रीकन देश से जुड़े मुद्दे पर चर्चा के लिए बंद कमरे में बैठक बुलाई है। इसके बाद चीन ‘अन्य विषय’ के अजेंडा के तहत कश्मीर मुद्दे पर भी चर्चा के लिए गुजारिश की है।
पिछले महीने में चीन ने की थी ऐसी ही कोशिश, मगर नाकाम रहा सूत्रों ने बताया कि फ्रांस के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है और वह पूरी तरह स्पष्ट है- कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत से हल होना चाहिए। सूत्रों ने आगे बताया कि फ्रांस तमाम मौकों पर अपने इस रुख को स्पष्ट कर चुका है और वह सुरक्षा परिषद में भी इस रुख को बार-बार दोहराएगा। पिछले महीने भी फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के लिए ‘बंद कमरे में बैठक’ की चीन की कोशिशों को नाकाम किया था। चीन जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन का विरोध कर रहा है।
पिछली बैठक में पाकिस्तान को निराशा हाथ लगी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के सहयोगी चीन ने इस बैठक के लिए दवाब बनाया। अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद भी चीन ने इस मुद्दे पर यूएनएससी की बैठक बुलाई थी। हालांकि तब चीन और पाकिस्तान को इससे कुछ भी हासिल नहीं हुआ, क्योंकि सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इसे भारत का आंतरिक मुद्दा करार देते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद दिसंबर में भी चीन ने कश्मीर पर चर्चा कराने के लिए बैठक का आग्रह किया था, लेकिन तब बैठक नहीं हुई।
चीन के अलावा सभी सदस्य भारत के साथ यूएनएससी में 5 स्थाई सदस्य देश हैं, जबकि 10 निर्वाचित सदस्यों का निश्चित कार्यकाल होता है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन इसके स्थाई सदस्य हैं। चीन के अलावा बाकी 4 सदस्य देश कश्मीर मुद्दे पर दखल देने से इनकार करते रहे हैं। भारत सरकार के रुख का समर्थन करते हुए इन देशों ने सभी विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाने को कहा है।