EducationNational

चरण स्पर्श के पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व

चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना। इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है। साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है
*शरीर क्रिया वैज्ञानियों ने यह सिद्ध कर लिया है कि हाथों और पैरों की अंगुलियों और अंगूठों के पोरों (अंतिम सिरा) में यह ऊर्जा सर्वाधिक रूप से विद्यमान रहती है तथा यहीं से आपूर्ति और मांग की प्रक्रिया पूर्ण होती है. पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने की प्रक्रिया को ही हम “चरण स्पर्श” करना कहते हैंl*
चरण-स्पर्श संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] पूज्यजनों के अभिवादन के लिए प्रयुक्त होने वाली उक्ति , श्रद्धा और आदर के साथ पैर छूना , नमन।
    *चरण स्‍पर्श का अर्थ*
चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना। इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है। साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में कामयाब होता है। हमारे बड़े-बुजुर्ग जिन्‍होंने हमें बनाने में अपना तन-मन अर्पित किया उनके प्रति श्रद्रधा अर्पित करना ईश्‍वर की उपासना करने से भी बड़ा माना गया है। भारतीय संस्‍कारों में आशीर्वाद
जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर के उपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है। ऐसी मान्यता है कि इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है। इससे हमारा आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास होता है।
*वैज्ञानिक अर्थ*
न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं। साथ ही गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है। हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है। सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है। यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है। दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है। पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम ‘चरण स्पर्श’ कहते हैं।
*चरण स्‍पर्श से लाभ*
1.शास्‍त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों के अभि‍वादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।
2.चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है।
3.माना जाता है कि पैर के अंगूठे से भी शक्ति का संचार होता है। मनुष्य के पांव के अंगूठे में भी ऊर्जा प्रसारित करने की शक्ति होती है।
4.मान्यता है कि बड़े-बुजुर्गों के चरण स्पर्श नियमित तौर पर करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं।
5.इसका मनोवैज्ञानिक पक्ष यह है कि जिन लक्ष्यों की प्राप्त‍ि को मन में रखकर बड़ों को प्रणाम किया जाता है, उस लक्ष्य को पाने का बल मिलता है।
6.यह एक प्रकार का सूक्ष्म व्यायाम भी है। पैर छूने से शारीरिक कसरत होती है। झुककर पैर छूने, घुटने के बल बैठकर प्रणाम करने या साष्टांग दंडवत से शरीर लचीला बनता है।
7.आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो सेहत के लिए फायदेमंद है।
8.प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है। इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया है।
9.जब हम बड़ों के पैर हाथों से छूते हैं तो विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का चक्र पूरा हो जाता है। गुरुत्वाकर्षण के नियम के आधार पर शरीर के दक्षिणी ध्रुव यानी पैरों में ऊर्जा का केंद्र बन जाता है।
10.प्रणाम करने का एक फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है. इन्हीं कारणों से बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दिया गया है।
*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर (वाणिज्य विभाग) एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय  एवं*
*4. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष – वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button