13 दिन बाद दर्ज हुआ शराब की दुकानों पर मुकदमा, कब होगी गिरफ्तारी
देहरादून। आबकारी आयुक्त के आदेश पर जिले में ग्रॉसरी स्टोर वाली दुकानों को सील कर उनकी जांच की गयी तो मामला संदिग्ध पाये जाने पर शहर कोतवाली व पटेलनगर थाने में मुकदमें दर्ज कराये गये। जबकि छापे की कार्यवाही प्रदेश के सभी जनपदों में की गयी थी। सभी जगह सहायक आबकारी आयुक्तों ने कार्यवाही की मात्र देहरादून में आबकारी निरीक्षक प्रेरणा बिष्ट को इसकी कमान सौपी गयी। शराब की बोतलों पर चार साल पुराने होलोग्राम मिलने से इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कहीं प्रदेश में नकली शराब बनाने की फैक्ट्री तो नहीं चल रही है।
आबकारी विभाग ने अंग्रेजी व देशी शराब की दुकानों के साथ ही ग्रॉसरी स्टोरों में महंगी शराब के ब्रॉड बेचने के लाईसेंस भी देने शुरू कर दिये और शहर में कई स्थानों पर इस प्रकार की दुकानें खुल गयी। इन स्टोरों को लोग बडे ही हसरत भरी निगाहों से देखते थे क्योंकि यह स्टोर आम आदमी की पहूंच से बाहर थे और लोगों को इन स्टोरों को देखकर यह विश्वास होता था कि यहां पर शुद्ध शराब मिलती है। लेकिन इस बात को आबकारी आयुक्त ने गलत साबित करके दिखा दिया। आठ सितम्बर को आबकारी आयुक्त हरि चन्द्र सेमवाल के आदेश पर प्रदेश के 11 जनपदो दून, पौडी, चमोली, अल्मोडा, बागेश्वर, पिथौरागढ, ऊधमसिंह नगर, चम्पावत, नैनीताल, टिहरी, उत्तरकाशी में 10 सितम्बर को इन स्टोरों पर कार्यवाहरी की गयी थी। सभी जनपदों में सहायक आबकारी आयुक्तों के द्वारा कार्यवाही की गयी थी मात्र देहरादून व हरिद्वार ही ऐसे जनपद थे जहां पर इसकी कमान आबकारी निरीक्षक को सौंपी गयी थी। देहरादून में इन स्टोरों पर कार्यवाही के लिए आबकारी निरीक्षक श्रीमती प्रेरणा बिष्ट को कमान सौपी गयी थी जिसको उन्होंने बखूबी अंजाम तक पहुंचाया। आबकारी निरीक्षकों की टीम ने इन ग्रॉसरी स्टोर वाली शराब की दुकानों को सील कर दिया गया। जिनमें यह बात सामने आयी कि इन दुकानों पर फर्जी होलोग्राम लगाकर शराब बेची जा रही है। यही नहीं वाइन की बोतलों पर चार साल पुराने होलोग्राम भी लगे दिखायी दिये तथा कई जगहों पर कटे हुए होलोग्राम लगी वाइन की बोतलें दिखायी दी। जबकि लाइसेंस धारकों ने इस बारे में कोई जानकारी न होना बताया गया। इस सब गोरखधंधे में आबकारी विभाग को राजस्व का बडा नुकसान पहुचाया जा रहा था। अब देखने वाली बात है कि 13 दिन चली इस जांच के बाद आबकारी विभाग ने शहर कोतवाली व पटेलनगर में मुकदमें दर्ज कराये। लेकिन अभी तक गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई है। जबकि 13 दिन तक जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया गया तो फिर आगे किसी प्रकार की जांच का मतलब नहीं होना चाहिए! इन महंगी शराब की दुकानों में फर्जीवाडा चल रहा था जबकि अन्य शराब की दुकानों पर तो आये दिन ओवर रेट व पेगारी आम बात होती थी जिसको देखकर नकली शराब की बात कई बार सामने आयी थी लेकिन इन महंगी शराब की दुकानों पर भी फर्जीवाडा सामने आने पर यह बात जोर पकडती दिखायी दे रही है कि कहीं प्रदेश में नकली शराब बनाने की फैक्ट्री का संचालन तो नही हो रहा है। अगर ऐसा हुआ तो यह प्रदेश व प्रदेशवासियों के लिए घातक साबित होगा।