National

अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमें की चली सुनवाई आज पूरी हो गई, मामले में नवंबर के मध्य तक फैसला आने की उम्मीद

नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमें की 40 दिन तक रोजाना चली सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं, सूत्रों के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना मुकदमा वापस लेने के लिए तैयार है। कोर्ट ने पक्षकारों को वैकल्पिक मांगों के मुद्दे पर तीन दिन के भीतर लिखित दलीलें दाखिल करने की छूट दी है। मामले में नवंबर के मध्य तक फैसला आने की उम्मीद है क्योंकि सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं ऐसे मे फैसला उससे पहले आयेगा। इस बीच बुधवार को मध्यस्थता पैनल ने भी सुप्रीम कोर्ट मे अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। माना जा रहा है कि मध्यस्थता पैनल की ओर से दाखिल रिपोर्ट मे कुछ पक्षकारों के बीच मध्यस्थता में समझौता होने की बात शामिल है। वहीं सूत्रों के अनुसार अहम बात यह है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना मुकदमा वापस लेने के लिए तैयार है। गुरुवार को पांचो न्यायाधीश चैम्बर मे बैठेंगे। जाहिर है कि वहां कई मुद्दों पर विचार हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में 14 मामले हैं लंबित   इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में फैसला दिया था जिसमें विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। हाइकोर्ट के फैसले को सभी पक्षों ने क्रास अपील दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट मे कुल 14 अपीलें लंबित हैं जिनमें रामलला विराजमान की अपील को मिला कर हिन्दू पक्ष की छह और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मिला कर मुस्लिम पक्ष की आठ अपीलें हैं।  इस मामले मे कोर्ट ने मध्यस्थता के जरिए मामले का हल निकलने की कोशिशें नाकाम होने के बाद छह अगस्त को नियमित सुनवाई शुरू हुई थी जो 40 दिन तक लगातार चली। इस बीच मामले मे कई उतार चढ़ाव आये जैसे मध्यस्थता का एक और चक्र चला। कई बार पक्षकारों के वकीलों के बीच गरमागरमी हुई तो कभी पीठ ने वकीलों की बहस के रवैये पर ऐतराज जताया।

सबसे लंबी सुनवाई  अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के इस मुकदमें की सुनवाई कई मामलों मे अलग रही जैसे यह अब तक सुप्रीम कोर्ट में किसी भी मामले में चलने वाली सबसे लंबी सुनवाई है। इससे पहले आधार की वैधानिकता में निजता के मौलिक अधिकार पर सबसे लंबी सुनवाई चली थी जिसने केशवानंद भारती के मुकदमे में चली सुनवाई का रिकार्ड तोड़ा था। इसके अलावा यह पहला मौका था जबकि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सप्ताह में पांचो दिन लगातार सुनवाई की। इससे पहले संविधान पीठ सप्ताह में सिर्फ तीन दिन नियमित सुनवाई के लिए तय मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को ही सुनवाई करती थी। सोमवार और शुक्रवार के दिन मिसलेनियस डे कहे जाते हैं इन दोनों दिनों में नये मुकदमों पर सुनवाई होती है।

कोर्ट ने पांचो दिन की सुनवाई लेकिन अयोध्या के इस मुकदमें में यह परंपरा टूटी और कोर्ट ने पांचो दिन सुनवाई की। इतना ही नहीं तय समय मे सुनवाई पूरी करने के लिए कोर्ट रोजाना एक घंटा ज्यादा भी सुनवाई की। कोर्ट रोजाना पांच बजे तक सुनवाई करता था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए पहले 18 अक्टूबर तक की समयसीमा तय की थी फिर उसे घटाकर 17 अक्टूबर कर दिया था और बुधवार को उससे भी एक दिन पहले 16 अक्टूबर को भी सुनवाई पूरी कर ली गई। इस मुकदमें मे सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि राम जन्मभूमि मे विवादित भूमि पर मालिकाना हक किसका है। हिन्दू इसे भगवान राम का जन्मस्थान बताते हुए उस पर मालिकाना हक का दावा कर रहे हैं जबकि मुस्लिम पक्ष उस जमीन को मस्जिद बताते हुए उसे मालिक घोषित करने की मांग कर रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button