अखंड सौभाग्य का प्रतीक त्रियुगी नारायण मंदिर में सात फेरे ले सकते हैं भारत के सबसे धनी उद्योगपति अंबानी के बेटे
देहरादून : उद्योगपति मुकेश अंबानी के पुत्र आकाश अंबानी और हीरा कारोबारी रसेल मेहता की बेटी श्लोका की दिसंबर में होने वाली शादी का गवाह उत्तराखंड में अखंड सौभाग्य का प्रतीक त्रियुगी नारायण मंदिर भी बन सकता है। बताते हैं कि अंबानी परिवार की बहू बनने जा रही श्लोका ने ही त्रियुगी नारायण के महत्व को देखते हुए वहां विवाह की किसी रस्म की इच्छा जताई है। इस बीच अंबानी परिवार ने अपने कुल पुरोहित से त्रियुगी नारायण के बारे में जानकारी ली। इसके बाद अंबानी की कंपनी रिलायंस के अधिकारियों ने बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह से यहां के महत्व के बारे में जानकारी ली। साथ ही त्रियुगीनारायण का दौरा भी किया।
हालांकि, इसकी किसी को भनक नहीं लग पाई। वहीं, यह भी बताया जा रहा कि उद्योगपति रसेल मेहता के पार्टनर अनिरुद्ध देश पांडे ने भी त्रियुगी नारायण में विवाह की किसी रस्म का सुझाव दिया था। चूंकि, प्रदेश सरकार त्रियुगी नारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रही है तो ऐसे में अंबानी परिवार के बेटे की शादी की किसी रस्म से वहां इसकी शुरुआत की जा सकती है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो त्रियुगी नारायण में सीमित व्यवस्थाओं को देखते हुए वहां केवल जयमाला का कार्यक्रम हो सकता है। यद्यपि, अभी यह फाइनल नहीं हुआ है कि विवाह समारोह की कोई रस्म यहां होगी अथवा नहीं। अभी केवल विचार है।
यहां हुआ था पार्वती और शिव का विवाह, ब्रह़मा थे आचार्य त्रियुगिनारायण मंदिर (संस्कृत: त्रियुगी-नारायण) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के त्रियुगिनारायण गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। प्राचीन मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान् नारायण भूदेवी तथा लक्ष्मी देवी के साथ विराजमान हैं। इस प्रसिद्धि को इस स्थान पर विष्णु द्वारा देवी पार्वती के शिव से विवाह के स्थल के रूप में श्रेय दिया जाता है। विष्णु ने इस दिव्य विवाह में पार्वती के भ्राता का कर्तव्य निभाया था, जबकि ब्रह्मा इस विवाह यज्ञ के आचार्य बने थे। इस मंदिर की एक विशेष विशेषता एक सतत आग है, जो मंदिर के सामने जलती है। माना जाता है कि लौ दिव्य विवाह के समय से जलती है। इस प्रकार, मंदिर को अखण्ड धूनी मंदिर भी कहा जाता है। आने वाले यात्री इस हवन कुण्ड की राख को अपने साथ ले जाते हैं और मानते हैं कि यह उनके वैवाहिक जीवन को सुखी बनाएगी। मन्दिर के सामने ब्रह्मशिला को दिव्य विवाह का वास्तविक स्थल माना जाता है।