कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह मामले में पत्रकारों को किया सम्बोधित
दिल्ली। श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी थोड़ी देर पहले अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने 1,000 पन्ने की एक चार्जशीट दायर की है यौन शोषण के गंभीर आरोपों में घिरे हुए बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ, भाजपा के बाहुबली नेता, रैसलिंग फेडरेशन के चीफ, भारतीय जनता पार्टी के सांसद, अमित शाह की आंखों के तारे। इस 1,000 पन्ने की चार्जशीट में करीब 500 पन्ने में दिल्ली पुलिस ने बेशर्मी की हर हद पार करते हुए ये साबित किया है कि कैसे ये पॉक्सो का मामला नहीं है और पॉक्सो के मामले में अपनी एफआईआर का कैंसिलेशन कराया है और क्लीनचिट दी है बृजभूषण शरण सिंह को।
मैं आपके सामने एक बात रखती हूं और ये फैसला देश की जनता करेगी। एक अवयस्क लड़की इतने बड़े आदमी के खिलाफ पॉक्सो की शिकायत दर्ज करती है, यौन शोषण का आरोप लगाती है और फिर सारा तंत्र, सारी पुलिस, इस देश की सत्ता, इस देश की सरकार, सरकार के मंत्री, सरकार के सांसद मिलकर एक तरफ उस लड़की के खिलाफ खड़े हो जाते हैं और संरक्षण बृजभूषण शरण सिंह को दिया जाता है और उस लड़की को गलत साबित करने पर लोग तुल जाते हैं। सारा तंत्र एक तरफ है और उसके बाद उसके पिता के हवाले से वो बयान वापस ले लिया जाता है। ये देश की जनता तय करे कि क्या प्रभाव के तहत ये किया गया? क्या सत्ता का दुरुपयोग किया गया? क्या सारा तंत्र एक आदमी को बचा रहा था? क्योंकि अब एक बात साफ है भारतीय जनता पार्टी का जो नारा है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, वो है बेटी डराओ और बृजभूषण बचाओ, पूरी तरह से ये बात साफतौर से अंकित हो चुकी है।
मैं आपसे पूछना चाहती हूं पॉक्सो का जब गंभीर आरोप किसी के खिलाफ लगता है तो तुरंत कार्रवाई की मांग होती है और वो कार्रवाई होती है तुरंत हिरासत में लिया जाए, 45 दिन तक बृजभूषण शरण सिंह से पूछताछ तक नहीं करती दिल्ली पुलिस, दिल्ली पुलिस एफआईआर तब दर्ज करती है जब सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करता है, दिल्ली पुलिस हिरासत में नहीं लेती, पूछताछ नहीं करती, ये एक बाहुबली व्यक्ति है, इसको आजाद घूमने के लिए छोड़ दिया जाता है कि ये जाए और किसी भी विटनेस को टेम्पर करे, किसी भी विक्टिम को डराए, कोई पूछताछ नहीं है, ये मीडिया में इंटरव्यू देकर मेडल को 15-15 रुपए का बताते हैं, ये मीडिया में इंटरव्यू देकर गुड टच और बैड टच की बातें करते हैं, ये अपनी शक्ति का प्रदर्शन रैलियों में करते हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस 45 दिन तक आरोपी से और इतने गंभीर आरोपी से पूछताछ नहीं करती।
आपसे मैं पूछती हूं एक अवयस्क लड़की एक तरफ और पूरा तंत्र एक तरफ, क्या वो लड़ सकती है, क्या वो अपनी व्यथा को बता सकती है। मैं आपसे पूछना चाहती हूं आपके घर में भी बेटियां हैं, आपके भी घर में बहनें हैं। पूरा तंत्र जुटा हुआ था, आज चार्जशीट फाईल होती है, लेकिन खेल-कूद मंत्री ने तो पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी कि 15 तारीख तक चार्जशीट फाईल हो जाएगी, क्यों उनको कैसे पता था? ये चार्जशीट दिल्ली पुलिस ने लिखी है या इस चार्जशीट को लिखने का काम भाजपा के कार्यालय में किया गया है और कौन है दूसरी तरफ – इस देश की वो बेटियां जिन्होंने आपका मान बढ़ाया, जिनके साथ फोटो खिंचाते वक्त थकते नहीं थे मोदी जी, जिनको अपने घर की लड़कियां बताते थे। 50 दिन से ऊपर हो गया है एक शब्द इस देश प्रधानमंत्री से नहीं फूटा। ये अलग बात है कि उन बेटियों का अपमान, उन बेटियों के चरित्र पर सवाल उठाने का काम भाजपा के लोगों ने, इनके इको-सिस्टम ने किया और मोदी जी चुप रहे और मोदी जी संरक्षण देते रहे, लेकिन ये पहली बार नहीं हुआ है और ये अंतिम बार भी नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी हर बार संरक्षण आरोपी को, बलात्कारी को, जो यौन शोषण करता है उसी को देती है। याद है न कुलदीप सिंह सेंगर, याद है चिनमयानंद, याद है लखीमपुर का चीर हरण, याद है आपको अंकिता उत्तराखंड की, याद है आपको हाथरस की गुड़िया, हर बार संरक्षण आरोपी को दिया जाता है, हर बार संरक्षण दरिंदे को दिया जाता है, हर बार बेटियों के खिलाफ खड़े होने का काम भारतीय जनता पार्टी, मोदी सरकार और खुद इस देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी करते हैं। ये एक स्क्रिप्ट है, ये चिर-परिचित अंदाज में हर बार संरक्षण आरोपी का होगा, बचाया आरोपी को जाएगा, झोंका भट्टी में देश की बेटियों को जाएगा।
हम आशा करते हैं और हमें विश्वास है कि इस देश की न्यायपालिका, इस देश के कोर्ट इसका संज्ञान लेंगे। कैसे 164 का मजिस्ट्रेट के सामने हुआ बयान बदला गया, वो बदला उस दौर में गया जब आरोपी उन्मुक्त रूप से बाहर घूम रहा था, उसने क्या प्रभाव किसी पर डाला हमें नहीं पता है, लेकिन ये वही दिल्ली पुलिस है जिसने बिना वक्त गंवाए, जिसने बिना वक्त जाया किए क्लीनचिट दे दी इस पूरे मामले में, तो फैसला इस देश को करना है, फैसला न्याय पालिका को करना है और हम आशा करते हैं और हमें विश्वास है कि कानून में, इस देश के न्यायालयों में अभी न्याय जिंदा है और इन बेटियों को और खासतौर से उस अवयस्क बेटी को जरूर न्याय मिलेगा, लेकिन सरकार से हर तरह की उम्मीद इस देश की बेटियां छोड़ दें, क्योंकि अगर सरकार के किसी नुमाइंदे के खिलाफ आप खड़े हैं तो आपके खिलाफ पूरी सरकार, पूरा तंत्र, निरंकुश पुलिस, इस देश की एजेंसियां, इस देश के सांसद, इस देश के मंत्री और इस देश का प्रधान मंत्री खड़ा मिलेगा आपको।
एक प्रश्न पर कि सूत्रों के हवाले से ये कहा जा रहा है कि नाबालिक एथलीट ने यौन शोषण के मामले पर बयान वापस ले लिया है, क्या कहेंगी, श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ये सूत्र कौन हैं और ये सूत्र किसके लिए काम करते हैं? ये सूत्र भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में बैठे हुए लोग हैं, पीएमओ में कार्यरत लोग हैं, ये सूत्र कौन हैं, मैं जानना चाहती हूं? ये सूत्रों ने तो 15 दिन पहले ही कह दिया था कि कोई मामला ही नहीं है बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ। ये अलग बात है कि जब मीडिया ने उठाया तो दिल्ली पुलिस को उसका खंडन करना पड़ा, आज दिल्ली पुलिस ने फिर वही कर दिखाया है। ये सूत्र कौन हैं, ये किसके लिए काम करते हैं, क्या ये वहू सूत्र हैं जो भविष्यवाणी कर देते हैं कि 15 तारीख को चार्जशीट दायर होगी। दिल्ली पुलिस इस देश के खेलकूद मंत्री को रिपोर्ट करती है क्या? कैसे पता था उन्हें, कहाँ से उनके पास डेट आई थी? दिल्ली पुलिस एक स्वतंत्र कानून व्यवस्था बनाने वाली पुलिस है या अनुराग ठाकुर के ऑफिस में बैठकर एफआईआर लिखने वाली या चार्जशीट लिखने वाली पुलिस है? कौन हैं ये सूत्र और आप गलत हैं। मैं आपकी इस बात का खंडन करती हूं। ये मामला बेटी के बयान से नहीं, ये मामला 17 अगस्त, 2021 से शुरु हुआ था, जब विनेश फोगाट ने इस देश के प्रधानमंत्री को यौन शोषण के मामलों के बारे में अवगत कराया था और प्रधानमंत्री ने कहा था आपकी बात सुनी जाएगी, कार्यवाही होगी और आपके पास खेल कूद मंत्रालय से फोन आएगा। वो आज भी उस फोन का इंतजार कर रही हैं। 17 अगस्त, 2021 को इस देश के प्रधानमंत्री को पोक्सो की शिकायत, यौन शोषण के मामले के बारे में पता था, प्रधानमंत्री चुप रहे? क्यों दिल्ली पुलिस प्रधानमंत्री जी से पूछताछ करने नहीं गई, जब पॉक्सो का मामला दायर हुआ, क्योंकि पॉक्सो का कानून ये कहता है और साफ तौर से कहता है कि अगर आपको पोक्सो के मामले में कुछ पता चला है तो आपके साथ भी उतनी ही छानबीन होगी, जितनी पर्पिट्रेटर ऑफ क्राइम जितनी आरोपी के खिलाफ। तो ये मत बोलिए ये मामला इन लड़कियों ने शुरु किया। ये मामला 2021 अगस्त में प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाया गया, तभी से शुरु हो गया था और आज लगभग 2 साल के बाद प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी तोड़ी नहीं है और कार्यवाही हुई नहीं है।
एक अन्य प्रश्न पर कि इन सबके बाद क्या आपको क्या लगता है कि ये केस कमजोर हो जाएगा? श्रीमती श्रीनेत ने कहा कि मुझे नहीं लगता केस कमजोर होगा। मुझे इस देश की न्यायपालिका पर भरोसा है, मुझे इस देश के कानून पर भरोसा है और मुझे लगता है कि इस देश की जनता ने एक तौर से तय कर लिया है कि न्याय ना होने का परिणाम ये है कि देश की सबसे डेकोरेटेड, सबसे ख्याति प्राप्त, सबसे बड़ी बहादुर, सबसे बड़ी हौसले वाली लड़कियों को सड़कों पर घसीटा जा रहा था और एक सम्राट अपना राज्याभिषेक करा रहा था। मुझे लगता है कि जो दिल्ली पुलिस कर रही है और जो बर्बरता दिल्ली पुलिस ने की है, जो निरुंकुशता सरकार ने दिखाई है, जो नैतिक दिवालियापन सरकार का है, वो एक्चुअली इस मामले को पुरजोर करता है। वो दिखाता है कि अब कानून ही, अब न्यायपालिका ही इस देश को बचाएगी, क्योंकि सरकार तो आरोपी को बचाने में बिल्कुल मशगूल है, बिल्कुल मस्त है। तो मुझे नहीं लगता उनका केस कमजोर होता है। मुझे लगता है कि सरकार की निरंकुशता को देखते हुए उनका केस और मजबूत होता है और सवाल उठता है कि दो साल तक प्रधानमंत्री इस पूरे मामले पर चुप क्यों रहे?
एक अन्य प्रश्न पर कि आम आदमी पार्टी के एक नेता ने बयान दिया है कि कांग्रेस की बदहाली का कारण उनके पास नेताओं और अनुभव की कमी है, क्या कहेंगी, श्रीमती श्रीनेत ने कहा कि आपको लगता है कि उनके इस मूर्खतापूर्ण बयान का मुझे जवाब भी देना चाहिए? चोरी कौन कर रहा था शराब घोटाले में, ये पूरी दुनिया जानती है। जब वो चोरी कर रहे थे तो कांग्रेस पार्टी ही सजग होकर बता रही थी कि चोरों को पकड़ो। भारतीय जनता पार्टी के 8 विधायक और 7 एमपी तो आराम से चादर लपेट कर सो रहे थे। तो असलियत ये है कि ये सब कौन कहाँ मिला हुआ है, ये सबको पता है। इन मूर्खतापूर्ण बयान का जवाब देकर मैं उनको लेजिटिमेसी तक नहीं दूंगी। ये असलियत है कि इस देश में जहाँ कांग्रेस की सरकारें हैं, वहाँ पर जो हमने जनता से वायदा किया था, उसको पूरा किया है। चाहे वो राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल में ओपीएस हो। चाहे वो कर्नाटका में 200 यूनिट बिजली के मुफ्त हों, फ्री बस सेवा हो। चाहे राजस्थान में देश की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम हो, चाहे वो छत्तीसगढ़ की न्याय स्कीम हो। ये किस तरह की बातें करते हैं। क्या किया है इन्होंने, पंजाब की आज कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है, ये चिंताजनक है। उसके बारे में थोड़ा जवाब दें और इधर-उधर विज्ञापन पर पैसा खर्च करना बंद करे।