AdministrationNews UpdateUttarakhand

सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान की कच्चे तेल और रिफाइनरी धाराओं के लिए अपनी नई वायुमंडलीय दबाव हाइड्रोजन मुक्त कम कार्बन डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया की घोषणा

देहरादून। कच्चे तेल और कई पेट्रोलियम रिफाइनिंग की धाराओं में सल्फर युक्त हेटेरोसाइक्लिक एरोमैटिक कंपाउंड्स (एससीएचएसी) होते हैं। यह एससीएचएसी संपत्ति के क्षरण के साथ-साथ ईंधन की गुणवत्ता मे कमतरता, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और पर्यावरणीय समस्याओं के कारक होते हैं। इसलिए पेट्रोल, डीजल, जेट ईंधन, केरोसिन और फ्युल ऑइल जैसी रिफाइनरी धाराओं को उपयोग मे लाने से पहले उन्हे सल्फर से मुक्त या उसकी मात्रा को कम करना अति आवश्यक होता है। परंपरागत रूप मे, डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया महंगी, उच्च दबाव हाइड्रोजन, उच्च तापमान संचालित और अत्यधिक पूंजी निवेश से ग्रस्त है और इस मे संबद्ध शुद्ध ग्रीनहाउस उत्सर्जन (कार्बन पदचिह्न) भी शामिल है।

     इसे संबोधित करने के लिए, सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-भापेसं) ने एक उन्नत एकल चरण हाइड्रोजन-मुक्त डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया को विकसित किया है। इस प्रक्रिया को सक्षम बनाने के लिए विभिन्न स्रोतों से कच्चे तेल, और देश की रिफाइनरियों से सल्फर युक्त धाराओं का परीक्षण किया गया है। परीक्षित धाराओं की प्रकृति के आधार पर इस प्रक्रिया द्वारा सल्फर को 90 प्रतिशत तक हटाया गया है। इस नई प्रक्रिया द्वारा एससीएचएसी घटकों से निर्मित, रूपांतरित सल्फर यौगिकों, को सरल निस्पंदन प्रक्रिया से डी-सल्फराइज्ड क्रूड या अन्य रिफाइनरी धाराओं से, आसानी से प्रथक कर सड़क निर्माण और कोटिंग्स जैसे थोक अनुप्रयोगों में इसतमाल किया जा सकता है।

     यह सहज, सस्ती प्रक्रिया, परिवेशी दबावों और हल्के तापमान पर पेट्रोलियम धाराओं के थोक प्रसंस्करण के लिए संभावित परिवर्तनकारी कम कार्बन डिसल्फराइजेशन समाधान प्रदान करती है। इसमें महंगे हाइड्रोजन का उपयोग न होने के कारण, यह प्रक्रिया विशेष रूप से समुद्री और औद्योगिक हीटिंग अनुप्रयोगों के लिए प्रभावी और सक्षम है।

     इस उन्नत प्रक्रिया के संदर्भ मे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट दायर किए गए हैं और ट्रेडमार्क की प्रक्रिया भी प्रगति पर है। सीएसआईआर-भापेसं इस प्रक्रिया के सहयोगी अनुसंधान, विकास, स्केल-अप और प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिक परिनियोजन के लिए गैर-विशिष्ट आधार पर भागीदारी करने के लिए इच्छुक उद्योगों को आमंत्रित करता है।

     1960 में स्थापित, सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की 37 घटक प्रयोगशालाओं में से एक है, जो भारत के माननीय प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक स्वायत्त सोसायटी है। सीएसआईआर-भापेसं जीवाश्म ईंधन आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने, वैश्विक तेल और गैस क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और दक्षता बढ़ाने, क्षमता निर्माण और कम कार्बन ऊर्जा संक्रमण के लिए प्रौद्योगिकियों, उत्पादों, सेवाओं और नेतृत्व को विकसित करने मे कार्यरथ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button