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साँस ,खाँसी के लिये एंटीफंगल मदार या आक का पौधा काफी लाभप्रदा माना गया है :-डाॅ.रवि नंदन मिश्र

देहरादून। मदार एक प्रकार का पौधा है और इसे आयुर्वेद में सेहत के लिए काफी लाभप्रदा माना गया है। मदार के पौधे में फूल लगते हैं और आमतौर पर इसपौधे की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। जिसमें से एक प्रजाति के फूलों का रंग सफेद और नील होता है और दूसरी प्रजाति  के फूलों का रंग सिर्फ सफेद ही होता है। इस पौधे का प्रयोग कई रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है और ये बेहद ही गुणकारी पौधा है। कई तरह की आयुर्वेदिक दवा बनाने में भी इस पौधे का प्रयोग किया जाता है।   इस पौधे के दूध में गर्भपात कारक, स्पाज्मोजेनिक और कारमेटिव, एंटी-डिसेन्ट्रिक, एंटी-सिफिलिटिक, एंटी-रूमेटिक, एंटीफंगल और डायफोरेटिक गुण होते हैं। इसके अलावा यह कुष्ठ रोग, ब्रोन्कियल अस्थमा और त्वचा रोगों के उपचार में भी उपयोगी है । मदार के फायदे इस पौधे को एक विशेष पौधा बनाते हैं ।इस आयुर्वदिक दवा वाले पौधे में विभिन्‍न प्रकार के पोषक तत्‍व (Nutrients) मौजूद रहते हैं जिनके कारण आक पौधे और इसके उत्‍पादों का उपयोग कुछ आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों में ए और बी-अमीरिन,साइनिडिन-3-रमोगोग्‍लुकोसाइड(Cyanidin-3-Rhamnoglucoside), प्रोसेस्‍ट्रॉल (Procesterol), बी-साइटोस्‍टेरॉल (B-Sitosterol), कैलेक्टिन (Calactin), कैटोक्सिन (Caotoxin), कैलोप्रोपैजेनिन (Calotropagenin), कैलोप्रोपिन (Calotropin), कैलोप्रोपेन (Calotropain), प्रोसेरोसाइड (Proceroside), प्रोसेरजेनिन (Proceragenin) इत्‍यादि शामिल हैं।
*मदार के पौधे के फायदे*
आक के पौधे के दो प्रकार होते हैं।
       मदार या आक  एक ऐसा औषधीय पौधा है जो पूरे भारत में किसी भी प्रकार की ज़मीन में अपने आप ही उग जाता है। आक के पौधे की प्रजाती दुनिया भर में गर्म जलवायु, शुष्क, और रेतीले हिस्सों में भी पायी जाती है। प्रायः इसके दो प्रकार होते हैं। Calotropis procera बैगनी फूल और Calotropis gigantea सफ़ेद फूल ।
      आयुर्वेद में आक के सफ़ेद फूलों का अधिक प्रयोग किया जाता है। इस पौधे में सफ़ेद दूध निकलता है जिसका औषधि में काफी प्रयोग किया जाता है इस दूध में करमोटिव, एंटी -डीसेंट्रिक, एंटी सिफिलिटिक, एंटीफंगल, डाइफोरेटिक गुण होते हैं। ये कुष्ठ रोग, अस्थमा और त्वचा रोगों में भी बड़ा उपयोगी होता है।  इस पौधे की जड़ से पेचिश तथा अपच का भी इलाज किया जाता है।
*सांस संबंधित बीमारी हो सही*
      मदार के फायदे असंख्य है और ये अस्थमा के रोगियों के लिए काफी लाभदायक हैं। मदार के फूलों की मदद से अस्थमा और सांस संबंधित कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। आप कुछ मदार के फूल लेकर उन्हें धूप में सूखा लें। फिर आप इन फूलों को पीसकर इनका पाउडर तैयार कर लें। इस पाउडर में आप नमक मिला लें। मदार के फूलों का ये पाउडर आप दिन में एक बार गर्म पानी के साथ खा लें। इसे खाने से अस्थमा का रोग सही हो जाएगा।
*आक के पत्तों के फायदे जोड़ों के दर्द में*
      जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है और देखा जाता है की काफी लोग एलोपैथिक दवा खा-खा कर थक चुकें हैं लेकिन फिर भी दर्द में कोई कमी नहीं हुई।  तो ऐसे में आप मदार के पत्तों का प्रयोग कर सकते हैं।  इसका उपचार भी बड़ा सरल है , प्रभावित स्थान पर आप को मदार की पत्तियां बांधनी हैं। ऐसा करते रहने से बहुत जल्द ही अच्छे परिणाम दिखने शुरू हो जायेंगे।
इसमें जलन -सूजन काम करने का गुण विद्यमान होता है। जो गठिया और संधिशोध जैसे बिमारियों के इलाज में बड़ा ही उपयोगी है। अगर आप तुरंत रहत पाना चाहते हैं तो इसकी पत्तियों को थोड़ा गर्म करके जोड़ों पर बांध लें।
*त्वचा के लिए आक के  फायदे*
आक का उपयोग केवल स्वस्थ्य रहने के लिए ही नहीं बल्कि सौंदर्य वर्धक के रूप में भी किया जाता है। यदि आप के चेहरे पर दाग धब्बे हैं तो 3 ग्राम हल्दी को आक के दूध के साथ मिला कर चेहरे पर लगाए। इसके इस्तेमाल से चेहरे के दाग धब्बे काम होने लगते हैं।
*पाईल्स में आक के दूध से इलाज*
मदार के दूध के फायदे कई सारे रोगों में होता है। अगर आप पाइल्स की समस्या से परेशान हैं तो आपको मदार का प्रयोग जरूर करना चाहिए। नियमित रूप से मदार का दूध बवासीर पर लगते रहें। कुछ ही दिनों में आप को रहत मिलने लगेगी।
*आक के पत्ते से पाँव के छाले का इलाज*
यदि आपके पैरों में छाले हो गए हैं तो आक का दूध आपके पैरों के छाले दूर कर सकता है। इलाज बड़ा ही आसान है सिर्फ आपको करना ये है की आक का दूध छाले के ऊपर लगाना हैं। तुरंत ही आपको रहत मिलने लगेगी।
*मदार के पत्तों से कान का इलाज*
यदि आपको कान सम्बन्धी रोग हो गया है तो ऐसे में आपके लिए आक के पत्ते बड़े काम के साबित हो सकते हैं।  इसके लिए आपको मदार की पीली पत्तियां धो कर सूखा लें और इसका 1/4 कप रस लेना हैं और इसमें 1/4 कप तिल का तेल मिलाना है और इसमें एक -एक चुटकी लहसुन,कैलामास, दालचीनी, और हींग भी मिलाइये और इसे धीमी आंच पर धीरे धीरे चलते हुए  पका लिजिये।  बस अब तैयार है आपके कान के लिए दवाई सब इसे ठंडा होने के बाद एक शीशी में भर कर रख लें। *कान में समस्या या दर्द होने पर*
मदार के पत्ते पर देसी घी लगा कर गर्म करें और इसको कूट कर इसका रस निकाल कर भी कान में डाल सकते हैं आपको तुरंत आराम मिलेगा।
*मदार के पत्तों से बढ़ाएं प्रजनन क्षमता*
मदार का उपयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ने में भी किया जाता है। इसके लिए आपको ऐसे मदार में पौधे जी जड़ चाहिए जिसमे सफ़ेद फूल हों। जड़ को छाया में अच्छी तरह सूखा कर बारीक़ पीस लें। और एक गिलास गाय के दूध के साथ 1 ग्राम मदार के पाउडर का सेवन करें।
*कुष्ठ रोग में मदार की पत्तियों से इलाज*
कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति  मदार की पत्तियों को पीस कर सरसों के तेल में मिला ले और इसे अपने कुष्ठ रोग वाले स्थान पर लगा ले। ऐसा नियमित रूप से लगाने पर घाव जल्दी भरने लगेंगे।
*खांसी को दूर करे मदार की जड़*
आक की जड़ छाव में सूखा कर किसका चूर्ण बना लें और इसमें  गुड़  5 ग्राम,  काली मिर्च 3 दाने मिला लें और इन सभी मिश्रण क़ो पीसकर मटर के बराबर गोलिया बना लें और दिन में दो बार गर्म पानी के साथ लें।  इस से कफ सम्बंधित रोग भी ठीक हो जाते हैं।
*डाॅ.रवि नंदन मिश्र*
*असी.प्रोफेसर एवं कार्यक्रम अधिकारी*
*राष्ट्रीय सेवा योजना*
( *पं.रा.प्र.चौ.पी.जी.काॅलेज,वाराणसी*) *सदस्य- 1.अखिल भारतीय ब्राम्हण एकता परिषद, वाराणसी,*
*2. भास्कर समिति,भोजपुर ,आरा*
*3.अखंड शाकद्वीपीय  एवं*
*4. उत्तरप्रदेशअध्यक्ष – वीर ब्राह्मण महासंगठन,हरियाणा*

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