Uttarakhand
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में विद्युत विभाग की समीक्षा की
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में विद्युत विभाग की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार श्री नरेन्द्र सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा, सचिव वित्त श्रीमती सौजन्या, अपर सचिव एवं प्रबन्ध निदेशक यूपीसीएल एवं पिटकुल डॉ. नीरज खेरवाल, प्रबन्ध निदेशक यूजेवीएनएल संदीप सिंघल के साथ ही निगमों के निदेशकों के साथ ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जनपदों में तैनात अधीक्षण अभियंता गण उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने ऊर्जा के तीनों निगमों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने को कहा ताकि राज्य की विद्युत उत्पादन, पारेषण एवं वितरण व्यवस्था सुदृढ़ होने के साथ ही जनता को बेहतर बिजली व्यवस्था सुलभ हो सके। उन्होंने विद्युत लाइन लॉस में कमी लाये जाने के साथ ही प्रमुख शहरों में स्मार्ट मीटर व्यवस्था बनाये जाने पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऊर्जा के तीनों निगम एवं उरेड़ा राज्य की आय के भी आधार है। अतः इनमें बेहतर कार्य प्रणाली एवं कार्य कुशलता जरूरी है। उन्होंने तीनों निगमों की कार्य प्रणाली में गुणात्मक सुधार एवं पारदर्शी व्यवस्था के विकास हेतु बिजलेंस की व्यवस्था हेतु तीन पदों की स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही यूपीसीएल में आवश्यकतानुसार जे.ई की नियुक्ति किये जाने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने आगामी कुम्भ मेले में निर्बाध विद्युत आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने निर्माणाधीन विद्युत परियोजनाओं के कार्यों में तेजी लाने के साथ ही पुरानी विद्युत परियोजनाओं के सुधारात्मक उपायों पर विशेष ध्यान देने को कहा। मुख्यमंत्री ने एल.ई.डी. ग्राम लाइट योजना के अन्तर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करने हेतु बंगाल के दक्ष करीगरों की सेवायें लेने को कहा ताकि उनके स्तर पर और बेहतर उत्पादन हो सके तथा आर्थिक संसाधनों में और अधिक वृद्धि हो सके।
बैठक में सचिव ऊर्जा श्रीमती राधिका झा द्वारा प्रदेश में ऊर्जा के क्षेत्र में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों, कार्यों तथा ऊर्जा के तीनों निगमों एवं उरेडा के द्वारा कराये जा रहे महत्वपूर्ण कार्यों, उपलब्धियों तथा सुधारों की जानकारी देते हुए बताया कि ऊर्जा विभाग के निगमों एवं अभिकरणों में कार्मिकों एवं अधिकारियों की कार्यकुशलता बढ़ाने हेतु प्रमुख निष्पादन सूचकांक (के.पी.आई.)के आधार पर मूल्यांकन व्यवस्था की गई है। रोजगार के क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी बढ़़ाए जाने के दृष्टिगत सौर ऊर्जा, पिरूल एवं एल0ई0डी0 ग्राम लाईट योजना पर कार्य किया जा रहा है। विभिन्न पदों पर भर्ती के साथ ही निगमों के निदेशकों की भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता हेतु नीति बनाई गई है।
उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम के संबन्ध में प्रस्तुतिकरण में श्रीमती राधिका झा द्वारा बताया गया कि निगम द्वारा वर्ष 2019-20 में 5088.88 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन किया गया जो कि न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह समाहित करते हुए निगम का अब तक का सर्वोच्च विद्युत उत्पादन है। साथ ही उन्होंने बताया कि निगम द्वारा राज्य को उसकी अंशपुजी पर रू0 40.01 करोड़ का लाभांश दिया गया है जोकि अभी तक का निगम द्वारा दिया गया सर्वोच्च लाभांश है। निगम द्वारा विभिन्न आर.एम.यू. एवं नई परियोजनाओं के निर्माण द्वारा विगत तीन वर्षों में अपनी उत्पादन क्षमता में 10.75 मेगावाट की वृद्धि की गई है।
उत्तराखण्ड पॉवर कॉरपोरेशन के बारे में सचिव ऊर्जा ने बताया कि निगम द्वारा विगत चार वर्षों में राजस्व वृद्धि की बढ़ोतरी हेतु विभिन्न उपाय किए गए हैं। इसके अंतर्गत विद्युत चोरी हतोत्साहित करने हेतु ऊर्जागिरी अभियान सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है। साथ ही बिलिंग दक्षता में 4 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त की गई है एवं वर्ष 2020-21 में ए0टी0 एण्ड सी0 हानियों में भी कमी की गई है।
पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड के बारे में बताया गया कि विगत वर्षों में ट्रांसमिशन हानियां को विशेष प्रयासों द्वारा 1.71 प्रतिशत से कम कर 1.21 प्रतिशत तक लाने के साथ ही ट्रांसमिशन उपलब्धता में भी वृद्धि की गई है एवं पिटकुल द्वारा सरकार को लाभांश भी दिया गया है। उरेडा के बारे में प्रस्तुतिकरण में बताया गया कि सौर ऊर्जा नीति के अन्तर्गत नई परियाजनाओं की स्थापना में विगत चार वर्षों में पिछली पंचवर्षीय योजना की तुलना में 215 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा वर्तमान में निर्माणाधीन परियोजनाओं के पूर्ण होने के उपरान्त 446 प्रतिशत की वृद्धि हो जायेगी।
सचिव ऊर्जा ने बताया कि अक्टूबर 2020 में प्रारम्भ की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना-2020 के अंतर्गत अभी तक 114 परियोजनाएं आवंटित कर दी गईं। वर्ष 2018 में पिरूल नीति लागू कर कुल 1785 किलोवाट की 58 परियोजनाएं विद्युत उत्पादन हेतु एवं 4 परियोजनाएं ब्रिकेटिंग इकाइयों हेतु आवंटित की गईं। उन्होंने बताया कि 129.50 मेगावाट की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण, विद्युत लाईनों को भूमिगत करने का कार्य तथा सबस्टेशनों के निर्माण के साथ ही स्मार्ट मीटरिंग के कार्यों को पूर्ण करन के कार्यों हेतु लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।