डाॅ0 सुजाता संजय ने एक दिवसीय आॅनलइन वेविनार में गर्भपात की समस्याओं पर महत्वपूर्ण जानकारियाॅ दी
देहरादून। संजय आॅर्थोपीड़िक,स्पाइन एवं मैटरनिटी सेन्टर, जाखन, देहरादून द्वारा आयोजित एक दिवसीय आॅनलइन वेविनार में गर्भपात की समस्याओं पर महत्वपूर्ण जानकारियाॅ दी गई। इस वेविनार में उत्तरप्रदेश एउत्तराखण्ड व पंजाब से 340 से अधिक मेडिकल व नर्सिंग छात्रों ने भाग लिया। आॅनलाइन कार्यशाला के दौरान डाॅ0 सुजाता संजय ने कहा कि, माँ बनना एक तकलीफदेह, लेकिन सुखद एहसास है। अगर गर्भवती महिलाएं सतर्क रहें तो समय रहते लक्षणों को पहचानकर गर्भपात के खतरे से बचा जा सकता है। डाॅ0 सुजाता के अनुसार, जब महिला पहली बार मां बनती है तो उसे गर्भावस्था के बारे में कुछ नहीं पता होता। वह गर्भावस्था को लेकर खुश और उत्साहित तो होती है, लेकिन अपना और बच्चे का कैसे ध्यान रखना है, यह जानकारी उसे नहीं होती। अपनी ओर से पूरा ध्यान रखने के बावजूद कई बार दुर्भाग्यवंश गर्भपात हो ही जाता है। ऐसे में महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वह गर्भपात के संकेतों को पहचानें और समय रहते डाॅक्टर से संपर्क कर लें।
डाॅ0 सुजाता संजय ने सेमीनार के दौरान बताया कि यह एक अफसोस की बात है, कि गर्भपात का गर्भावस्था परीक्षण के बाद पता चलता है। एक शोध के अनुसार पाँच में से एक गर्भवती महिलाओं में गर्भपात होने की सम्भावना होती है। यह देखा गया है कि कुछ स्वस्थ महिलाओं को भी गर्भपात होता है। कुछ महिलाओं में गर्भपात के बारे में नियमित प्रसवपूर्व मुलाकात के दौरान पता चलता है जब डाॅक्टर को शिशु की धड़कन नहीं मिलती। इसे मिस्ड मिस्कैरेज कहा जाता है।कभी-कभी महिलाओं को प्रसवपूर्व जाँच के लिए जाने तक पता नहीं होता है कि उनका गर्भपात हो गया है। यदि गर्भपात हो गया है तो उसका पता अल्ट्रासाउंड से ही चल सकता है। गर्भपात के मुख्य कारणों में असामान्य क्रोमोजोम, वायरस के इन्फैक्शन और एडोक्राइन की बीमारियां होती है। इसके अलावा यौन संचारित संक्रमण जैसे कि क्लैमाइडिया, या फिर और पाॅलीसिस्टिक अंडाशय का दोष, धूम्रपान, मदिरापान और कोकीन, जैसे ड्रग्स एवं कैफीन/काॅफी गर्भपात का कारण बन सकते हैं अधिक वजन होना, मधुमेह या थाॅयराइड का अनियंत्रित होना, चिपचिता खून (स्टिकी रक्त सिंड्रोम), या एंटी फोस्फो लिपिड सिंड्रोम (।च्ै), जो रक्त के थक्के रक्त वाहिकाओं में बनाने लगता है गर्भपात के कारण हो सकते हैं। साधारण बुखार, मलेरिया होना तथा गर्भवती महिला का पेट के बल नीचे गिरना भी गर्भपात की संभावना को बढा देती है। आमिनोसेंटेसिस से महिलाओं का गर्भपात हो सकता है। सीवीएस, जो गर्भावस्था के लगभग 12वें हफ्ते में की जाती है, एक और दो प्रतिशत महिलाओं में गर्भपात का कारण बन सकता है।
गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में के निचले हिस्से में दर्द होना, बार-बार पेशाब के लिए जाना और पेशाब करते समय निचले हिस्से में दर्द होना, सफेद और गुलाबी रंग का बहुत ज्यादा डिस्चार्ज होना, भू्रण का मूवमेंट बंद होना, गर्भपात के लक्षण होते है ऐसे में तुरंत डाॅक्टर के पास जाना चाहिए। वजन में गिरावट आना, ब्रेस्ट का कड़ा होना, मितली आना, हाईब्लड प्रेशर, डायबिटीज, किडनी में समस्या भी गर्भपात के लक्षण हैं।
गर्भावस्था के दौरान पहले तीन महीने महिलाओं के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। इस दौरान उन्हें यह ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि वे जो कुछ भी खाएंगी, वह उनके मुंह और फेफड़ों द्वारा गर्भ में पल रहे उनके बच्चे तक पहुंचेगा। बाद का गर्भपात लगभग 1 प्रतिशत महिलाओं में होता है। कुछ महिलाओं को बार-बार होने वाले गर्भपात के दर्द का अनुभव करना पड़ता है। उनमें तीन से अधिक गर्भपात एक के बाद एक लगातार होते हैं गर्भपात के बाद की ज्यादातर समस्याएं गर्भपात के 12 सप्ताह के अंदर होते हैं। अगर गर्भपात में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई है तो थोड़ी सी ब्लीडिंग के बाद महिला का शरीर सामान्य हो जाता है, लेकिन कई बार गर्भपात के बाद समस्याएं बढ़ती जाती हैं और अगली बार गर्भधारण करने में भी परेशानी होती है। अगर गर्भपात होने के बाद विशेष लक्षण जैसे- योनि से बदबूदार चिपचिपा पदार्थ निकलना, तेज बुखार होना, पेट में दर्द, ज्यादा और लगातार ब्लीडिंग होना, ऐसे में तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करना चाहिए। जिस महिला का गर्भपात हुआ हो, उसे 6 महीने तक दोबारा गर्भधारण करने से बचना चाहिए। वही अधिक उम्र की जो महिलाएं गर्भपात होने के तुरंत बाद गर्भवती होना चाहती है, तो उन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहिए, क्योंकि उन्हें गर्भपात होने का खतरा भी ज्यादा होता है, ऐसे में अगर उनसे गर्भधारण के लिए इंतजार कराया जाये, तो गर्भावस्था सफल होने की उम्मीदें कम हो जाती हैं। इस बारे में अपने डाॅक्टर से मिल कर सलाह लेनी चाहिए।
डाॅ0 सुजाता संजय नेे अपनी आॅनलाइन कार्यकार्यशाला के दौरान कहा कि इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए अगर गर्भपात ठीक से नहीं हुआ है, तो बच्चेदानी में कुछ टिश्यू रह जाते हैं। ऐसे में डी एंड सी आवश्यक होता है अन्यथा अगली बार फिर से गर्भपात होने का खतरा रहता है। ऐसे बच्चेदानी में इन्फेक्शन होने का खतरा भी बढ. जाता है। डाॅ0 सुजाता संजय का मानना है कि कामकाजी महिलाओं में गर्भपात की समस्या ज्यादा होती है। अगर सावधान रहें और थोड़ा परहेज करें तो महिलाएं इससे बच सकती हैं। ऐसी महिलाएं मिस्कैरेज की संभावनाओं को काफी हद तक कम कर सकती हैं। जैसा कि मैं पहले कहा कि जिन कारणों से गर्भपात होने की संभावनाऐं होती है उन सब बातों से सतर्कता बरते। गर्भावस्था में हल्के व्यायाम करें, बस किसी भी उच्च प्रभाव खेल से दूर रहे जिसमें पेट के बल गिरने का डर या फिर झटका लगने का डर हो। गर्भावस्था के दौरान संतुलित एवं सुपाच्य आहार लें, गिरने एवं फिसलने से बचें, वजन ना उठाएं, पेट पर जोर न दें अपने सुरक्षित गर्भ की दृष्टि से महिलाओं को इस दौरान तब तक एक्स-रे और सीटी स्कैन नहीं कराना चाहिए, जब तक कि डाॅक्टर न कहें। इस तरह से इन सब बातों का ध्यान रखकर महिलाएं काफी हद तक गर्भपात की आशंका कम कर सकती हैं।