मध्य प्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कोरोना बनेगा बड़ा मुद्दा
भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कोरोना बड़ा मुद्दा बनेगा। कांग्रेस यह आरोप लगा रही है कि कोरोना पर नियंत्रण की तैयारी के समय भाजपा के लोग कमलनाथ सरकार गिराने में लगे थे, जबकि भाजपा ने सारा ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ने की शुरुआत कर दी है। भाजपा का मोर्चा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ व अन्य दिग्गजों ने संभाल लिया है।
राज्य की जिन 24 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। दोनों संभाग में अब तक करीब 600 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें ग्वालियर में सर्वाधिक 242 और मुरैना में 139 मरीज पाए गए हैं। अकेले मुरैना में ही पांच और ग्वालियर में तीन सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जाहिर है कि चुनाव के समय यह टीस और उभरेगी। कांग्रेस ने इसके दृष्टिगत ही सरकार को घेरने की शुरुआत कर दी है। शिवराज ने बुधवार को कहा था कि राजस्थान के बाद रिकवरी में मप्र का दूसरा नंबर है और 68़ 6 फीसद रिकवरी रेट है। गुरुवार को उनके दावे को ठुकराते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह औरु पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार कोरोना की टेस्टिंग नहीं करवा रही है और रिकवरी रेट बढ़ा हुआ बता रही है। इस तरह राज्य में कोरोना को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है। शिवराज ने इस हालात के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार थी तब भ्रष्टाचार छोड़कर अगर जनता की समस्या का संज्ञान लिया होता तो आज उन्हें ट्विटर-ट्विटर नहीं खेलना पड़ता। कमलनाथ पर आइफा अवॉर्ड की तैयारी में व्यस्त होने का भी आरोप है। इधर, कमल नाथ, दिग्विजय सिंह से लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि एक तरफ कोरोना से लोग दम तोड़ रहे हैं औरु दूसरी तरफ भाजपा उत्सव मनाते हुए वर्चुअल रैलियों के आयोजन पर करोड़ों रुपये बर्बाद कर रही है।
श्रमिकों को लेकर छिड़ी रार कांग्रेस ने कोरोना के लॉकडाउन में श्रमिकों की दुर्दशा पर भाजपा को खूब खरी-खोटी सुनाई है। हालांकि, शिवराज सिंह चौहान का दावा है कि मध्य प्रदेश में अब तक सात लाख 30 हजार कुशल श्रमिक लौट चुके हैं। उनके परिवार के सदस्यों को मिला लें तो यह संख्या 13 लाख से अधिक है।
देवालय बनाम मदिरालय सरकार ने कोरोना के संकट में मदिरालय खोलने की अनुमति दी, लेकिन मंदिरों के खुलने पर प्रतिबंध लगा दिया। कांग्रेसियों ने इसे भी मुद्दा बना दिया। कमलनाथ ने ट्वीट किया कि प्रदेश में सरकारी शराब की दुकानें तो आपने खुलवा दी हैं, देवालय से कोरोना और मदिरालय से कोरोना नहीं, यह सरकार की कैसी सोच और कैसा निर्णय है।