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बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बढ़ाए जाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्णः नैथानी

देहरादून। पूर्व मंत्री उत्तराखंड सरकार व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदला जाना ठीक नहीं है। उनका कहना है कि पहले से निर्धारित तिथि पर ही बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाएं। बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि बदला जाना उचित नहीं है। बदरीनाथ धाम के कपाट खोेलने की तिथि बढ़ाए जाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। यह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा बनाई गई व्यवस्था पर कुठाराघात होगा। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री यह विश्व प्रसिद्ध धाम हैं, यह विश्व की आस्था के प्रतीक हंै।
श्री नैथानी ने कहा कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की पूर्व में निर्धारित तिथि 30 अप्रैल को बढ़ाकर 15 मई किया जा रहा है, और बात कोरोना संकट की बताई जा रही है। जब तीन धामों के कपाट निश्चित तिथि पर खोले जा रहे हैं तो फिर बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने में विलंब क्यों, सवाल यह है। यह ठीक नहीं है। चारधाम यात्रा प्रतिवर्ष छह माह चलती है, इसकी व्यवस्था करने की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है। आज रावल जी का उदाहरण देकर कि वे क्वारेंटाइन पर रखे जाएंगे, पहले तो उन्हें लाने की व्यवस्था नहीं हो रही थी, अब ला गए तो तिथि बाद में करने की बात हो रही है, यह  उचित नहीं है, ये करोड़ों लोगों की आस्था पर कुठाराघात होगा। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा पर कई लोगों का व्यवसाय टिका है। चारधाम यात्रा के दौरान छह माह का जो कारोबार चलता है, वह कोरोना संकट के चलते प्रभावित होने जा रहा है। चाहे तीर्थ-पुरोहित हों, चाहे डंडी-कंडी वाले हों, चाहे घोड़ा-खच्चर वाले हों, चाहे होटलों में काम करने वाले लोग हों, चाहे वे यातायात व्यवस्था से जुड़े लोग हों ये सब प्रभावित होने जा रहे हैं। उनके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। उनका जीवन कैसे चलेगा। कई लोगों ने ऋण लेकर होटल बनाए हैं, कई लोगों ने ऋण लेकर के घोड़े-खच्चर खरीदे हैं, कई लोगों ने लोन लेकर गाड़ियां लगाई हैं उनकी किस्तों का भुगतान कैसे होगा। तीर्थ-पुरोहित समाज जिसका पूरा व्यवसाय चारधाम यात्रा पर टिका है, उनके जीवन यापन का क्या होगा, इस पर विचार किया जाना जरूरी है। इन लोगों का और कोई व्यवसाय नहीं है। इस पर विचार किया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार से प्रार्थना है कि बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने की जो पहले की तिथि सुनिश्चित थी, उसी में कपाट खोले जाएं। कोरोना संकट के चलते जो भय उत्पन्न हुआ है, उससे चारधाम यात्रा पर ज्यादा यात्री यहां नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना विश्व आपदा है केवल भारत या उत्तराखंड की ही नहीं। इस विश्व आपदा के कारण चारधाम यात्रा के दौरान छह माह लोगों का जो कारोबार चलता है वह प्रभावित होने वाला है। कोरोना से निपटने के लिए सभी लोग एकजुट हैं, जो समस्याएं सामने आ रही हैं सरकार उनका समाधान करें। एक मुख्य समस्या यह सामने आ रही है कि लाॅकडाउन के चलते जो लोग जगह-जगह फंसे पड़े हैं, एक जिले के दूसरे जिले में, एक राज्य के दूसरे राज्य में हैं उनकों पहुंचाने की सरकार व्यवस्था करें।

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