मौहल्ले के हिन्दू परिवारों ने बन्ने खां के परिवार के 22 लोगों को उपद्रवियों से बचाकर भाईचारे की दी मिसाल
नई दिल्ली। गोविंद विहार में जहां एक तरफ लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे थे। उसी वक्त गली नंबर-8 में इंसानियत और भाईचारे की मिसाल पेश की और बन्ने खां के परिवार के 22 लोगों को उपद्रवियों का शिकार होने से बचाया। अगले दिन माहौल और ज्यादा खराब हो गया। इसी बीच दंगाईयों को पता चला कि बन्ने खां अपने परिवार के साथ किसी और के घर में रह रहे हैं। तो दंगाई वहां पहुंच गए और लोगों पर बन्ने खां को उनके परिवार के साथ बाहर निकालने का दबाव बनाने लगे, लेकिन मोहल्ले वाले उपद्रवियों के सामने डटे रहे।
पुलिस से भी मिली मदद 24 फरवरी और 25 फरवरी को बन्ने खां अपने परिवार के साथ पड़ोसियों के घर में रहे। इस दौरान खौफ का माहौल था और पूरा मोहल्ला दिन और रात में जाग रहा था। मोहल्ले में लगातार तनाव था और बन्ने खां का परिवार मोहल्ले में अलग-अलग घरों में रह रहा था। लोगों ने भी बन्ने खां को सलाह दी कि वह पुलिस से संपर्क कर सुरक्षित जगह जाएं। इस पर बन्ने खां ने 25 फरवरी को अपने इलाके के डीसीपी को फोन किया। उन्होंने पुलिस से परिवार को सुरक्षित निकालने की मांग की। इस पर पुलिस व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की टीम 26 फरवरी को वहां पहुंची और भारी सुरक्षा के बीच उनके पूरे परिवार को वहां से सुरक्षित निकाल लिया गया। वर्तमान में बन्ने खां अपने परिवार के साथ अल-हिंद अस्पताल में रुके हैं। बन्ने खां के परिवार में उनकी पत्नी, छह बेटे, दो बेटियां, दो बहू, दो पोते और पोतियां हैं। इसके अलावा पास में ही उनकी बहन याशीन अपने पति और चार बच्चों के साथ रहती थीं। स्थानीय नागरिकों की मदद ने उन्हें दंगाईयों का शिकार होने से बचा लिया। बन्ने खां के परिवार को ही नहीं मोहल्ले के लोग उनके पालतू श्वान (मोती) और एक मुर्गे को भी पाल रहे हैं।
मोहल्ले वालों ने बचाई हमारी जान बन्ने खां का कहना है कि मोहल्ले के लोग नहीं होते तो आज पता नहीं उनका व उनके परिवार का क्या हाल होता। वह बहुत डरावना माहौल था और बाहर से आवाजें आ रही थीं कि इन्हें बाहर निकालो, लेकिन लोग हमारे के लिए एकजुट होकर खड़े रहे। जिसके कारण हम आज जिंदा हैं।
25 साल से रह रहे हैं मोहल्ले में स्थानीय निवासियों ने नाम न प्रकाशित करने की बात करते हुए बताया कि बन्ने खां बीते 25 साल से मोहल्ले में रह रहे हैं और वह सभी धर्म के कार्यक्रमों में सहयोग करते हैं। वह कांवड़ लेकर जाते हैं और पूरे मोहल्ले में सब मिलजुल कर रहते हैं।
जानिए ये खास बातें
- बन्ने खां के साथ तीन बेटे जिन्हें गोविंद विहार के स्थानीय लोगों ने बचाया।
- गोविंद विहार इलाके में बन्ने के खां के 22 सदस्यीय परिवार को लोगों ने घर में दी थी पनाह
- हर वर्ष कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं बन्ने खां, इसके अलावा सभी धर्मो के कार्यक्रमों में भी होते थे शामिल