गुरु नानक देव ने राम जन्मभूमि का दर्शन करने के लिए सन 1510-11 में अयोध्या की यात्रा की थीः-सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली । अयोध्या जमीन विवाद में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की अयोध्या यात्रा का भी जिक्र किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि गुरु नानक देव ने राम जन्मभूमि का दर्शन करने के लिए सन 1510-11 में अयोध्या की यात्रा की थी। उनकी यात्रा से हिंदुओं की इस आस्था और विश्वास को बल मिलता है कि विवादित भूमि ही भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जन्म साखी में यह उल्लेख है कि गुरु नानक देव जी अयोध्या गए थे और राम जन्मभूमि का दर्शन किया था। जन्म साखी को शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड पर रखा गया है।
गुरु नानक देव की अयोध्या यात्रा का हवाला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि एक जज ने अपनी टिप्पणी में गुरु नानक देव की अयोध्या यात्रा का हवाला दिया है। जज ने कहा है कि इसको लेकर ठोस तथ्य तो नहीं है कि भगवान राम का जन्म किस स्थान पर हुआ था। लेकिन गुरु नानक देव का राम जन्मभूमि का दर्शन करने आयोध्या जाने की घटना से साफ है कि सन 1528 से पहले वहां राम जन्मभूमि का अस्तित्व था और श्रद्धालु वहां दर्शन करने जाते थे। पीठ ने यह अवलोकन करने वाले जज के नाम का उल्लेख नहीं किया है।
वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण में भी अयोध्या का उल्लेख बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बताया गया था कि मुगल सम्राट बाबर ने 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। जज ने यह भी कहा कि वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण में भी अयोध्या का उल्लेख भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में किया गया है। हिंदुओं की आस्था और विश्वास के समर्थन में इन धार्मिक ग्रंथों के तथ्यों को भी आधारहीन नहीं ठहराया जा सकता।
1510-11 में गुरु नानक ने की थी अयोध्या की यात्रा इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई के दौरान वाद नंबर चार के एक गवाह ने सिख धर्मग्रंथों का उल्लेख करते हुए कहा था कि गुरु नानक देव जी राम जन्मभूमि का दर्शन करने के लिए अयोध्या में गए थे। उसने भी उनके अयोध्या जाने के समय को सन 1510-11 ही बताया था। उक्त गवाह ने अपने बयान के समर्थन में विभिन्न जन्म साखियों में मौैजूद तथ्यों को भी अदालत में प्रस्तुत किया था, जिनमें गुरु नानक देव जी के अयोध्या जाने का उल्लेख था।
अयोध्या की पहचान ही श्री राम से सिख धर्म के जानकार, चिंतक और लेखक डॉ. सत्येंद्र पाल सिंह भी कहते हैं कि अयोध्या की पहचान ही श्रीराम से है। उनका कहना है कि नौ नवंबर को अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आना और आज ही करतारपुर कॉरिडोर का उदघाटन महज एक संयोग नहीं, बल्कि सत्य का सिद्ध होना है। डॉ. सिंह के मुताबिक गुरु नानक देव जी जब अपनी धर्म यात्राओं के क्रम में नानकमत्ता, गोला होते हुए जल मार्ग से अयोध्या पहुंचे थे, उस समय उन्होंने अपने साथ चल रहे भाई मरदाना जी का अयोध्या से परिचय श्रीराम चंद्र जी की नगरी के रूप में कराया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद गुरु नानक साहिब का वह वचन सिद्ध हुआ है।उन्होंने बताया कि गुरु नानक जी अयोध्या में कई दिनों तक रुके थे और यहां संतों से धर्म चर्चा करते हुए कहा था कि अयोध्या वासी श्रीराम चंद्र जी के साथ स्वर्ग इसलिए गए क्योंकि उन्हें श्रीराम चंद्र जी के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। यह तथ्य प्रमाणित जन्म साखी में अंकित है।