अलगाव वादियों ने छोटे छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा, उन्हें भी बना दिया जिहादी, पत्थरबाज
श्रीनगर । छोटा डॉन अब पत्थर नहीं फेंकेगा, वह स्कूल बंद करने के लिए बवाल भी नहीं करेगा। वह अब स्कूल जाएगा और जिंदगी को संवारने के लिए खुद पढ़ेगा, ताकि बड़ा होकर वर्दी पहन लोगों की हिफाजत कर सके। फिलहाल, एक बालसुधार गृह में उसकी काउंसलिंग चल रही है। उसके काउंसलरों के मुताबिक, राष्ट्रविरोधी और जिहादी तत्वों ने उसके बाल मन में जहर में भरने का प्रयास किया है। वह जिहाद के मायने नहीं समझता। उसे सिर्फ यही पता था कि हड़ताल न करने वाले उसका और उसके मजहब के दुश्मन हैं। बस अमन के दुश्मनों के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल होता रहा और पत्थरबाज उसे ढाल बनाकर बच निकल जाते।
शोपियां में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो छोटा डान काे नहीं जानता। उम्र मात्र 13 साल है। स्थानीय लोग भी उससे आजिज थे। उसके परिजनों ने भी कई बार सुधारने का प्रयास किया, लेकिन वह भी नाउम्मीद हो चुके थे। वह वर्ष 2016 में पहली बार पत्थरबाजी में लिप्त हुआ। उस समय वह पांचवीं कक्षा में पढ़ रहा था। तब पकड़ा भी गया था, लेकिन मासूम उम्र को देखते हुए उसे उसी समय छोड़ दिया गया। इसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और फिर स्थानीय शोहदों के गिरोह का एक सक्रिय सदस्य बन गया। निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंधित छोटा डॉन के पिता ने कहा कि मुझे बच्चे से बड़ी उम्मीदें थी। मजाक-मजाक में मेरा बेटा यहां कब छोटा डॉन बन गया, मुझे ही पता नहीं चला। यहां कोई जुलूस निकले या बंद हो, वह घर से भागकर पथराव का हिस्सा बन जाता था। वह अपने से दोगुनी उम्र के लड़कों के साथ घूमता था। वह पूरी तरह से उदंड हो गया है। वह अकसर बाजार में लड़कों के साथ घूमते हुए हंगामा करता, दुकानें बंद कराता था।
उसे नहीं पता अनुच्छेद 370 क्या है, बस स्कूल जाने से बचने का बहाना था एसएसपी शोपियां संदीप चौधरी ने बताया कि छोटा डॉन अन्य लड़कों के साथ मिलकर जबरन बंद लागू कराता था। वह अकसर सड़क पर लाठी लेकर खड़ा हो जाता था, उससे कुछ दूरी पर उससे दोगुनी उम्र के युवक और कुख्यात पत्थरबाज मौजूद रहते। छोटा डॉन वहां से गुजरने वाले वाहनों को रोकता, सरकारी कार्यालयों में जाने वाले कर्मियों व अध्यापकों को रोकता, उनके आइडी कार्ड चेक करता था। वह कइयों को लाठी भी मार देता। अगर कोई विरोध करता तो उसके पीछे खड़े लड़के सक्रिय हो जाते थे। उन्होंने बताया कि जब वह पकड़ा गया तो उसके हाथ में उससे लंबी लाठी थी। यह युवक और असामाजिक तत्व माहौल बिगाड़ने के लिए उसे ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे थे। एसएसपी शोपियां ने कहा कि मैंने जब इस बच्चे से बातचीत की तो वह मुझे पूरी तरह मासूम लगा। उसे नहीं पता कि वह क्यों यह सब कर रहा है। वह हालात के बारे में कुछ नहीं जानता। वह तो यह भी नहीं जानता कि अनुच्छेद 370 क्या है। वह मुझे पूरी तरह गुमराह लगा। हां, एक बात और मुझे जो समझ आई कि वह स्कूल जाने से बचने के लिए ही अपने से बड़ी उम्र के कुछ शोहदों के गिरोह में शामिल हो गया था। बंद उसे रास आ रहा था क्याेंकि उसे स्कूल नहीं जाना पड़ रहा था।
अब दिख रहे हैं कई सकारात्मक बदलाव छोटा डॉन को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह सुरक्षा बलों और निजी गाड़ियों पर पत्थर फेंककर भागता नहीं था। इसे देखकर मुझे बहुत तरस आता है। यहां कुछ लोग मासूम बच्चों को ढाल बनाकर उन्हें नापाक मंसूबों के लिए इस्तेमाल करते हैं। अगर कभी पथराव के दौरान इस बच्चे को सुरक्षाबलों की कार्रवाई में चोट पहुंच जाती तो कौन जवाब देता। उस समय इसे अपना हथियार बनाने वाले इसकी कच्ची उम्र का हवाला देकर हम पर दोष मढ़ते। करीब एक सप्ताह से यह बच्चा अब बालसुधार गृह में है और वहां के माहौल से इसमें कई सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं। मैंने इससे बातचीत की तो उसने मुझसे कहा कि वह स्कूल जाएगा और मेरी तरह ही पुलिस की वर्दी पहनेगा। मैंने उससे कहा कि पुलिस वालों पर तो यहां पत्थर मारे जाते हैं। उसने धीरे से कहा कि गलती हो गई है, मुझे नहीं पता था कि मेरा दुश्मन कौन है। मुझे जो कहा गया, मैंने कर दिया।