मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज-धारा यू-एस-4 के तहत ब्रजमंडल में पहला मुकदमा हुआ दर्ज
आगरा। मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज के तहत ब्रजमंडल में पहला मुकदमा दर्ज हुआ है। मामला मथुरा के महिला थाना का है। समझौता वार्ता फेल होने के बाद पति ने थाना परिसर के सामने ही पत्नी को तीन बार तलाक बोला तो कोसीकलांं की खातून ने मेवात के नूंह निवासी अपने दामाद के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज-धारा यू-एस-4 के तहत इस मामले को दर्ज किया गया है। इस धारा के तहत तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही पुलिस ने दहेज प्रतिषेध अधिनियम सहित अन्य धाराएं भी लगाई हैं। भले ही मुकदमे में तीन साल की जेल की सजा है पर जमानत मिलना आसान नहीं है। पुलिस आरोपित की बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है। इस धारा का यह पहला मामला होने से सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि आखिर इस तरह के पहले प्रकरण में पुलिस क्या कार्रवाई करती है।
मामला थाना कोसीकलां क्षेत्र का है। कसबा के पेट्रोल पंप के पीछे स्थित कृष्णा नगर निवासी सिकंदर की विधवा पत्नी साथा ने अपनी बड़ी बेटी 21 वर्षीय जुमीरत और छोटी बेटी 18 वर्षीय सन्नो की शादी नूंह मेवात के थाना पिन गांव के गांव चोरका निवासी इकराम और छोटे भाई सुहेल पुत्र बहाव के साथ करीब ढाई वर्ष पूर्व की थी। बड़ी बहन तो ससुराल में ही रही पर छोटी की उम्र कम होने के कारण उसका रोका हो गया और वह पीहर में ही रह रही थी। इधर कुछ महीनों से ससुरालीजन जुमीरत को दहेज के लिए परेशान करने लगे। इसकी शिकायत महिला थाने में की गई। इसमें मंगलवार को दोनों पक्षों को सुलह समझौते के तहत बुलाया गया था। थाने के बाहर पेट्रोल पंप पर दोनों पक्षों में आपस में बातचीत चल रही थी, तभी पति इकराम ने ऐलान किया कि जब तक उसे दहेज में एक लाख रुपये नहीं मिलेंगे वह पत्नी को ससुराल नहीं ले जाएगा। इसी बीच पति इकराम ने पत्नी जुमीरत को बीच सड़क पर तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोला और वहां से भाग गया। पति के इस लफ्जों को सुनकर पत्नी सहित अन्य लोग सकते में आ गए। इस मामले में गुरुवार को महिला थाने में पहला मुकदमा दर्ज कराया गया है। पीडि़ता की मां साथा की तहरीर पर महिला पुलिस ने मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। महिला थाना प्रभारी रुचि त्यागी ने बताया कि जिले में इस कानून के लागू होने के बाद इस तरह का पहला मामला दर्ज किया गया है।
यह है बिल में प्रावधान
- मामला सिविल की श्रेणी से निकालकर आपराधिक श्रेणी में डाल दिया जाएगा।
- मुकदमा दर्ज होते ही तीन तलाक यानी तलाक ए बिद्दत गैर कानूनी हो जाएगा।
- यह संज्ञेय अपराध माना जाएगा और बिना वारंट के गिरफ्तारी का प्रावधान है।
- बिल में तीन साल तक की सजा और आरोपित पर जुर्माना भी लग सकता है।
- मजिस्ट्रेट आरोपित को जमानत दे सकता है बशर्ते महिला के बयान हो चुके हों।
- महिला गुजारा भत्ता और बच्चा पाने की अधिकारी, निर्णय अदालत में जज करेंगे।
- मुकदमा पीडि़ता या खून का रिश्ते होने पर ही दर्ज होगा, पड़ोसी या अनजान दर्ज नहीं करा सकता।