प्रवर्तन निदेशालय ने राबर्ट वाड्रा की बेनामी संपत्ति को खरीदने के लिए जुटाए गए धन की तह तक पहुंचने का किया दावा
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने राबर्ट वाड्रा की लंदन स्थित बेनामी संपत्ति को खरीदने के लिए जुटाए गए धन की तह तक पहुंचने का दावा किया है। वाड्रा से तीन दिन तक पूछताछ करने वाले ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार लंदन स्थित आवास (पता – 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर) कोरियाई कंपनी सैमसंग इंजीनियरिंग की ओर से दी गई दलाली से खरीदा गया था। दलाली गुजरात के दाहेज में बनने वाले ओएनजीसी के एसईजेड से जुड़े निर्माण का ठेका मिलने के एवज में दिया गया था। ईडी अब इस ठेके की जांच कर रहा है।
15 करोड़ रुपये में खरीदी गई थी वाड्रा की लंदन स्थित बेनामी संपत्ति ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैमसंग इंजीनियरिंग को दिसंबर, 2008 में दाहेज में बनने वाले एसईजेड के लिए ठेका मिला था। इसके छह महीने के बाद 13 जून, 2009 को सैमसंग ने संजय भंडारी की कंपनी सैनटेक को 49.9 लाख डॉलर (तत्कालीन विनिमय दर के हिसाब से लगभग 23.50 करोड़ रुपये) दिया। संजय भंडारी ने बाद में इसमें से 19 लाख पाउंड (तत्कालीन विनियम दर के हिसाब से लगभग 15 करोड़ रुपये) वोर्टेक्स नाम की कंपनी में ट्रांसफर किया। ईडी का दावा है कि इसी पैसे का इस्तेमाल 12, ब्रायंस्टन स्क्वायर की संपत्ति खरीदने के लिए किया गया था। 2010 में भंडारी का रिश्तेदार सुमित चड्ढा इस संपत्ति की मरम्मत के लिए वाड्रा को ईमेल भेजकर इजाजत मांग रहा था। यही नहीं, बाद में एक ईमेल में सुमित चड्ढा ने मरम्मत के पैसे की व्यवस्था करने के लिए भी कहा था, जिस पर वाड्रा ने जवाब में मनोज अरोड़ा को इसकी व्यवस्था करने का निर्देश देने का भरोसा दिया था। घर की मरम्मत पर लगभग 45 लाख रुपये खर्च किए गए।
सैमसंग इंजीनियरिंग ने संजय भंडारी को दी थी 23 करोड़ रुपये की दलाली ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सैमसंग इंजीनियरिंग को मिले ठेके और संजय भंडारी को हुए भुगतान की नए सिरे से छानबीन की जाएगी तथा इसके लिए संबंधित अधिकारियों को जल्द ही पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राबर्ट वाड्रा की लंदन स्थित इस संपत्ति को खरीदने के लिए जुटाए गए धन के लेन-देन की पूरी चेन का पता चल गया है। अब जरूरत इसे अदालत में साबित करने लायक सुबूत जुटाने की है। इनमें काफी सुबूत पहले ही जुटाए जा चुके हैं।
वाड्रा के लिए ईडी ने बदला नियम राबर्ट वाड्रा के लिए ईडी को अपना पुराना नियम बदलना पड़ा है। ईडी के नियम के मुताबिक आरोपित से सवाल पूछा जाता है और वह खुद ही अपना बयान सादे कागज पर लिखता है। पहले दिन पूछताछ के दौरान वाड्रा को भी यही कहा गया था, लेकिन जैसे ही वाड्रा ने एक पैराग्राफ लिखा, पूछताछ करने वाले ईडी अधिकारी परेशानी में पड़ गए। वाड्रा की लिखावट बिल्कुल पढ़ने लायक नहीं थी। आनन-फानन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संपर्क किया गया।
वाड्रा के लिए विशेष कंप्यूटर और टाइपिस्ट की व्यवस्था की गई। अब वाड्रा बोलकर अपना बयान लिखाते हैं और टाइपिस्ट टाइप करने के बाद उसका प्रिंट निकालकर वाड्रा को दिखाता है। इसके बाद वाड्रा उस पर दस्तखत करते हैं। गौरतलब है कि ईडी के समक्ष दिए बयान को अदालत में सुबूत के तौर पर देखा जाता है। यही कारण है कि आरोपी से खुद ही बयान लिखाया जाता है।