देहरादून और हरिद्वार के बीच जल्द दौड़ेगी मेट्रो
देहरादून। दून और हरिद्वार के बीच अब मेट्रो परियोजना को तेजी से पंख लग सकेंगे। इसके लिए जर्मनी के लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम (एलआरटीएस) और लंदन के पर्सनलाइज्ड रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (पीआरटीएस) को मुफीद पाया गया। इस सिलसिले में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता वाले उच्चस्तरीय दल के जर्मनी व लंदन दौरे के बाद तैयार अध्ययन रिपोर्ट को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अनुमोदन दे दिया है। अब मेट्रो मोबिलिटी प्लान को तेजी से धरातल पर उतारने के मद्देनजर अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। शहरी विकास मंत्री कौशिक के मुताबिक मेट्रो कॉरपोरेशन में दो विशेषज्ञों की नियुक्ति भी कर दी गई है। मेट्रो परियोजना के मद्देनजर पिछले वर्ष जर्मनी और लंदन की मेट्रो परियोजनाओं का अध्ययन किया गया था, ताकि इसी के अनुरूप देहरादून-हरिद्वार के बीच मेट्रो परियोजना आकार ले सके। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक की अगुआई में यह अध्ययन रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई थी विधानसभा में विभागीय समीक्षा बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने मेट्रो परियोजना समेत अन्य योजनाओं को लेकर अधिकारियों के साथ मंथन किया। बाद में पत्रकारों से बातचीत में कौशिक ने बताया कि अध्ययन रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने अनुमोदन दे दिया है। उन्होंने बताया कि हरिद्वार-नेपाली फार्म-ऋषिकेश-देहरादून के बीच पीआरटी व एलआरटी सिस्टम को मुफीद पाया गया। देहरादून के राजपुर रोड समेत अन्य हिस्सों में पीआरटीएस को लेकर फिजिबिलिटी तलाशी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार मेट्रो परियोजना को लेकर गंभीर है। अगले दो-तीन महीनों के भीतर मेट्रो से संबंधित कार्य धरातल पर दिखने लगेंगे।
एलआरटी सिस्टम आधुनिक ट्रासपोर्ट सिस्टम के मद्देनजर अध्ययन दल ने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट व कॉलोन शहर के एलआरटीएस को दून के नजरिये से परखा था। कॉलोन शहर में इसका संचालन व्यापक स्तर पर हो रहा है। जहा भीड़-भाड़ ज्यादा है, वहां करीब आठ किमी भाग पर यह भूमिगत भी संचालित है। अलबत्ता, खुले भाग पर सड़क के मध्य ट्रैक बनाकर इसे चलाया जा रहा है। दून के लिहाज से इसे उपयुक्त माना गया। दून मेट्रो परियोजना भी काफी कुछ इसी सिस्टम पर केंद्रित है, जिसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है। जर्मनी के एलआरटीएस की विशेषता ये भी है कि वहां मेट्रो रेल 50 मीटर के मोड़ पर भी आसानी से चलाई जा सकती है।
पीआरटी सिस्टम लंदन के पीआरटी सिस्टम की पॉड टैक्सी के रूप में भी पहचान है। लंदन में हीथ्रो एयरपोर्ट पर इसका संचालन हो रहा है। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक मेट्रो तक पहुंचने अथवा गंतव्य तक पहुंचने को पॉड टैक्सी अहम है, जो जाम के झंझट से भी निजात दिला सकती है। रोपवे या केबल कार ट्रासपोर्ट सिस्टम में भी इसका प्रयोग मुफीद रहेगा।
उमटा को लेकर तस्वीर होगी साफ केंद्र सरकार के निर्देश हैं कि ऐसी परियोजनाओं की या तो केंद्र से मंजूरी ली जाए अथवा राज्य में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित यूनिफाइड मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट अॅथोरिटी (उमटा) से। यानी परियोजना एक्ट के तहत गवर्न होगी। शहरी विकास मंत्री कौशिक के अनुसार यह देखा जाएगा कि उमटा सामान्य शासनादेश के गठित है या फिर एक्ट के जरिये। यदि यह एक्ट के तहत है तो जल्द ही इसकी बैठक कराई जाएगी। यदि सामान्य शासनादेश के तहत है तो इसे एक्ट के रूप में लाया जाएगा।