नहीं रहे विकास पुरूष एन0डी0 तिवारी
देहरादून। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का गुरुवार दोपहर दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन पर उत्तराखंड सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
महज 14 साल, नाम एनडी तिवारी। माइलस्टोन पर अंग्रेजो भारत छोड़ो लिखकर आजादी के लिए आंदोलन में कूद पड़े। जेल भी गए, मगर फिर मुड़कर पीछे नहीं देखा। आजादी के दीवाने में गजब का जज्बा था कि उनके पग आगे बढ़ते ही गए। हिमालय पुत्र उत्तर प्रदेश के तीन बार और उत्तराखंड के एक बार मुख्यमंत्री बने थे, जिन्हें विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। राजनीति के दौरान उन्होंने उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के साथ काशीपुर का भी विकास किया।नैनीताल के गांव में वर्ष 1925 में जन्मे एनडी तिवारी जब 14 साल के थे, तब आजादी के लिए देश में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन चल रहा था। वर्ष 1939 में पिता पूर्णानंद तिवारी के साथ स्कूल जाते समय तिवारी ने नैनीताल में माइलस्टोन पर अंग्रेजो भारत छोड़ो लिखकर अहसास करा दिया कि यहां का हर बच्चा आजादी चाहता है। यह देख उनके पिता के भी कदम ठिठक गए और गर्व भी महसूस किया। बालक नारायन का माइल स्टोन पर नारा लिखना अंग्रेजी हुकूमत को इतना बुरा लगा कि उन्हें जेल भेज दिया गया।
छात्रसंघ राजनीति में भी मनवाया लोहा सामान्य परिवार में जन्मे तिवारी मेधावी छात्र थे और इलाहाबाद विवि से पढ़ाई की। वर्ष 1944 में इलाहाबाद विवि के राजनीतिक विज्ञान विषय के टॉपर थे। 14 दिसंबर 1942 को उन्हें जेल भेजा गया और नैनीताल जेल में 15 माह रहे। वर्ष 1947 में इलाहाबाद विवि के अध्यक्ष चुने गए थे। काशीपुर के पंडित गोंविंद बल्लभ पंत का तब वर्चस्व रहा। पंत के निधन के बाद तिवारी का वर्चस्व बढ़ गया और वह सांसद सत्येंद्र चंद्र गुड़यिा निवासी काशीपुर के घर रहते थे।
काशीपुर को दिलाई औद्दोगिक पहचान एनडी तिवारी की ही देन है कि उत्तर प्रदेश के जमाने में काशीपुर की पहचान उद्योग व विकास के रूप में बनी। यहां पर आइजीएल, सूत मिल, चीनी मिल जैसी कई कंपनियां स्थापित हुईं। सड़कें आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। लोगों को रोजगार के साथ सरकारी खजाने में भी इजाफा हुआ। तिवारी पहले प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े थे और पहली बार वर्ष 1963 में कांग्रेस में शामिल हुए। पहली बार वर्ष 1965 में काशीपुर से विधायक बने और वित्त मंत्री भी बनाए गए। काशीपुर से वह चार बार विधायक चुने गए और तीन बार मुख्यमंत्री बने।
पत्नी को लड़ाना चाहते थे चुनाव एनडी तिवारी ने वर्ष 1985 में विधायक का पद छोड़ा तो उसी साल काशीपुर विधानसभा के उपचुनाव में अपनी पत्नी डॉ. सुशीला तिवारी को खड़ा करना चाहते थे। सुशीला को मनाने के लिए उनके सबसे घनिष्ठ सहयोगी अजय चौधरी व अरुण चौहान को जिम्मा सौंपा। इन दोनों ने जब इस संबंध में प्रयास किया तो उन्होंने यह कह मना कर दिया था कि पति की सेहत का ध्यान कौन रखेगा। उपचुनाव में संजय विचार मंच से अकबर अहमद डंपी ने कांग्रेस प्रत्याशी अम्मार रिजवी को पराजित कर दिया था। चुनाव हारने पर उन्हें बहुत दुख हुआ था।