वेस्ट डीकंपोजर पराली की समस्या का पूर्ण समाधान करने में सक्षम
गाजियाबाद । राष्ट्रीय जैविक कृषि केंद्र, गाजियाबाद में विकसित वेस्ट डीकंपोजर पराली की समस्या का पूर्ण समाधान करने में सक्षम है। देश के 50 लाख जागरूक किसान इसका इस्तेमाल कर पराली से खाद बना रहे हैं। इसकी कीमत है मात्र 20 रुपये।
एक शीशी से ताउम्र पराली से बनाए खाद मात्र 20 रुपये की एक शीशी से किसान चाहे तो ताउम्र लाखों लीटर घोल तैयार कर सकता है। जिस तरह थोड़े से जामन से भगोना भर दही जमाया जाता है। उसी तरह शीशी में भरे कल्चर से एक बार में 200 लीटर घोल तैयार किया जा सकता है। इस घोल में अति सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। तैयार घोल को फिर से शीशी में भर कर रख लिया जाए तो उससे अगली बार फिर उतना ही घोल बनाया जा सकता है। ये प्रक्रिया बार-बार अपनाई जा सकती है।
छिड़कने के लिए ऐसे बनता है घोल वेस्ट डीकंपोजर एक कल्चर (जैविक तरल) है, जो जेल की तरह दिखाई देता है। इस कल्चर में बहुत सारे जीवाणु होते हैं। 200 लीटर पानी भरे ड्रम में दो किलो गुड़ घोलने के बाद इस कल्चर को उसमें मिला दिया जाता है। जीवाणु घोल के गुड़ से मिली खुराक से हरकत में आ जाते हैं। गर्मी के मौसम में छह दिन रखने पर घोल छिड़कने को तैयार हो जाता है। पराली पर छिड़काव से वह खाद में तब्दील होने लगती है, लेकिन छोटी शीशी के बड़ा कमाल हो रहा है।
ऐसे करता है कारगर असर वेस्ट डीकंपोजर में जीवाणु ही पूरी क्रिया करते हैं। पराली में जीवाश्म कार्बन और सेल्यूलोस भरपूर होता है। इन जीवाणुओं के लिए पराली से बेहतर कुछ नहीं। जीवाश्म कार्बन से जीवाणुओं को ऊर्जा मिलती है। सेल्यूलोस से इनकी सेहत ठीक रहती है। इस खेत मे पराली पड़ी हो, उसे पहले जोतना पड़ता है ताकि पराली पूरी तरह मिट्टी के संपर्क में आ जाए। फिर प्रति एकड़ वेस्ट डीकंपोजर से बना 500 लीटर घोल खेत में डालना होता है। ऐसा करने के बाद 20 दिन तक खेत को खाली छोड़ना होता है। जीवाणु पराली को अपना भोजन बना लेते हैं। उसमें से सेल्यूलोस चट कर जाते हैं। जीवाश्म कार्बन को सोख लेते हैं। इससे पराली का बाकी बचा हिस्सा सड़ कर खाद में तब्दील हो जाता है।
ये हैं खूबियां
- पराली का बेहतर समाधान
- कीमत 20 रुपये, बस एक बार खरीदो, करो जीवनभर इस्तेमाल
- पराली को खाद में तब्दील कर धरा को स्वस्थ बनाता है
- वेस्ट डीकंपोजर राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र द्वारा विकसित खेत में पड़ी पराली को 20 दिन में खाद बना देता है
- उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल के 50 लाख किसान कर रहे सफल इस्तेमाल
जगत सिंह (सहायक निदेशक, राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र, गाजियाबाद, उप्र) ने बताया कि वेस्ट डीकंपोजर को 50 लाख किसान जैविक खेती के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। पराली से खाद बनाने में इसे इस्तेमाल किया जा रहा है। मांग बढ़ने के कारण कई शहरों में इसे उपलब्ध कराने के लिए निजी फर्मों से हाथ मिलाया गया है।