जासूसी के आरोप में एक सीनियर इंजीनियर गिरफ्तार
मुंबई। महाराष्ट्र के नागपुर में ब्रह्मोस यूनिट से जासूसी के आरोप में एक सीनियर इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश एंटी टेरर स्क्वॉड की टीम ने यह कार्रवाई की है। निशांत अग्रवाल पर ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट में काम करते हुए मिसाइल संबंधी तकनीक और अन्य खुफिया जानकारियां पाकिस्तान और अमेरिका को पहुंचाने का आरोप है। निशांत, मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं और पिछले पांच साल से डीआरडीओ की नागपुर यूनिट में काम कर रहे हैं। एटीएस टीम जांच के लिए निशांत अग्रवाल को उनके आवास पर ले गई। यूपी एटीएस के आईजी असीम अरुण ने कहा है कि निशांत के कंप्यूटर से बहुत संवेदनशील जानकारी सामने आई है। असीम के मुताबिक निशांत के फेसबुक पर पाकिस्तानी लोगों से बातचीत के भी सबूत सामने आए हैं।
20 सितंबर को मिला था अवॉर्ड जासूसी के आरोप में गिरफ्तार ब्रह्मोस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को हाल ही में ‘यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ दिया गया था। इस बात की पुष्टि खुद निशांत की फेसबुक प्रोफाइल से होती है। जिसमें उसने साफ-साफ लिखा कि उसे बेहतर काम करने की एवज में अवॉर्ड मिला है। इतना ही नहीं फेसबुक से ही पता चलता है कि निशांत को इस साल (2018) की शुरुआत में प्रमोशन मिला। ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना गति से हमला करने में सक्षम है। फाइटर जेट से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के इस परीक्षण को बेहद मारक क्षमता वाला कहा जा रहा है। हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है।
कैसे काम करती है ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडॉर की आंख से बच जाती है। ब्रह्मोस का पहल सफल लॉन्च 12 जून, 2001 को हुआ था। इसका ओडिशा के चांदीपुर तट से परीक्षण किया गया था। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।