Uttarakhand

देहरादून के पानी को लेकर स्पेक्स का चैंकानेवाला बड़ा खुलासा

देहरादून : दून में सप्लाई किए जाने वाली पानी की गुणवत्ता पर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। जल संस्थान के दावों के विपरीत सांसद, मंत्री व विधायकों के आवास तक में गुणवत्तायुक्त पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही। कहीं पानी में टीडीएस (टोटल डिजॉल्व सॉलिड) की मात्रा मानक से कहीं अधिक है, तो कहीं क्लोरीन की मात्रा बहुत अधिक और कहीं तो क्लोरीन पूरी तरह गायब पाया गया है। जबकि, फीकल क्लोरीफॉर्म की मात्रा शून्य होनी चाहिए, उसकी उपस्थिति भी पेयजल में पाई गई। यह चौंकाने वाला खुलासा स्पेक्स (सोसाइटी ऑफ पॉल्यूशन एंड एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट्स) की रिपोर्ट में किया गया है।

मंगलवार को इस रिपोर्ट को उत्तरांचल प्रेस क्बल में स्पेक्स के सचिव डॉ. बृजमोहन शर्मा ने सार्वजनिक किया। उन्होंने बताया कि दून के 65 वार्डों में 96 क्षेत्रों से एकत्रित किए गए थे। जांच में सिर्फ दो ही क्षेत्रों के नमूने मानकों पर खरे उतरे। सैंपलिंग अभियान में स्पेक्स के साथ ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट व जॉय संस्था ने भी सहयोग किया।

माननीयों के आवास के पेयजल में टीडीएस अधिक टिहरी लोकसभा क्षेत्र की सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के आवास के पानी में टीडीएस की मात्रा 460 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। इसी तरह काबीना मंत्री सुबोध उनियाल के आवास पर 430, विधायक हरबंस कपूर के यहां 432, खजान दास के आवास पर 426 व विनोद चमोली के आवास पर टीडीएस की मात्रा 416 पाई गई। जबकि यह मात्रा 300 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 टीडीएस में कैल्सियम-मैग्नीसियम की मात्रा अधिक स्पेक्स के सचिव डॉ. शर्मा के मुताबिक यदि पानी में टीडीएस की मात्रा 1500 भी हो, मगर उसमें कैल्सियम-मैग्नीसियम के बाईकार्बोनेट की मात्रा अधिक नहीं है तो उससे नुकसान नहीं होगा। जबकि दून में यह मात्रा सीमा से अधिक होने के चलते पानी की हार्डनेस नुकसानदेह है।

यह पाई गई स्थिति (मिलीग्राम प्रति ली.) 

कैल्सियम बाईकार्बोनेट, 82 से 146 (अधिकतम सीमा 75)

मैग्नीसियम बाईकार्बोनेट, 18 से 73 (अधिकतम सीमा 30)

62 इलाकों में अधिकता 

दून में 62 इलाकों में टीडीएस की मात्रा अधिक पाई गई। जबकि विजय कॉलोनी, डांडा खुदानेवाला, धोरण डांडा, कल्पना विहार, ईश्वर विहार, सुंदर वाला, लाडपुर में यह मानक के अनुरूप पाई गई।

अधिकता से इन रोगों का खतरा 

दिल संबंधी बीमारी, अस्थमा, त्वचा रोग, त्वचा पर झुर्रियां जल्दी आना, पथरी की समस्या, एसिडिटी, मधुमेह, अल्जाइमर आदि।

क्लोरीन भी पाया गया अधिक 

सांसद माला राज्य लक्ष्मी के यहां क्लोरीन की मात्रा 01, नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के यहां 1.4, मंत्री सुबोध उनियाल के यहां 1.2, प्रकाश पंत के यहां 0.8, विधायक खजान दास के यहां 0.8 व भाजपा नेता सुनील उनियाल गामा के यहां 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। जबकि यह मात्रा 0.2 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।

32 इलाकों में पाई गई अधिकता 

जांच में 32 ऐसे इलाके पाए गए जहां पानी में क्लोरीन था ही नहीं। कई इलाके तो ऐसे थे, जहां यह मात्रा मानक से सात गुना तक पाई गई। हालांकि नई बिंदाल बस्ती, चंदरनगर में यह मात्रा दुरुस्त पाई गई।

अधिक क्लोरीन के दुष्प्रभाव

ब्लड कैंसर, शरीर की कोशिकाओं को छति, नाक-कान, आंख व छाती रोग आदि।

फीकल कॉलीफार्म भी पाया गया 

पानी में फीकल कॉलीफॉर्म की मात्रा शून्य होनी चाहिए। जबकि सीवर आदि मिलने से पानी में इसकी उपस्थिति पाई जाती है। दून में 37 स्थानों की सैंपलिंग में सबसे अधिक 62 मोस्ट प्रोबेबल नंबर/100 एमएल फीकल के पाए गए। इसके अलावा टोटल कॉलीफॉर्म की मात्रा भी 10 से अधिक नहीं होना चाहिए। जबकि उक्त 37 स्थानों पर ही यह मात्रा भी सीमा से अधिक पाई गई।

कॉलीफॉर्म के दुष्प्रभाव 

पेट के रोग, डायरिया, हेपेटाइटिस, पीलिया आदि रोग हो सकते हैं।

 

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