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आज फिर एक ‘कल्‍पना ने नीट की परीक्षा में पूरे इंडिया में टॉप किया

पटना । एक वो कल्पना चावला थी जो साधारण घर में जन्‍मी और पढ़ी लिखी लेकिन अपनी मेहनत और प्रतिभा से अंतरिक्ष तक उड़ान भरी और महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की। आज फिर एक ‘कल्‍पना’ है इस कल्‍पना ने नीट की परीक्षा में पूरे इंडिया में टॉप किया साथ ही बिहार बोर्ड 12वीं की परीक्षा में भी टॉपर बनी। इसकी ऊंची उड़ान से बिहार बोर्ड को नई पहचान मिली है। पुराने दाग धुल गए हैं। बिहार बोर्ड को खुश होने का मौका मिला है। बिहार बोर्ड पिछले कुछ वर्षों से अपने मेधावी परीक्षार्थियों के कारण कम और फर्जी टॉपर के कारण ज्यादा चर्चा में रहा है। पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर यहां की परीक्षार्थी कल्पना ने बोर्ड को खुश होने का अवसर दिया है। इससे पहले जेईई और नीट जैसी परीक्षा में बिहार बोर्ड के परीक्षार्थी कब टॉप किए हैं, इसकी जानकारी बोर्ड जुटा रहा है। पिछले दो साल से परीक्षा और मूल्यांकन में सख्ती के लिए बोर्ड ने कई कदम उठाए। लेकिन, रूबी राय के बाद गणेश कुमार ने बोर्ड की मेहनत पर पानी फेर दिया था। बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि कल्पना के कारण बोर्ड की छवि राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक रूप से उभरेगी।

नकल की तस्वीरें देश-विदेश में हुई थीं वायरल  बिहार बोर्ड परीक्षा के दौरान कभी ऊंची दिवाल पर चढ़ अपनी जान को जोखिम में डालकर छात्रों को नकल कराने की तस्वीरें देश-विदेश की सुर्खियों में आ गई थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसपर गंभीरता दिखाते हुए शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही थी।

प्रोडिकल साइंस’ वाली रूबी की वजह से हुआ था बड़े घोटाले का खुलासा  वर्ष 2016 की आर्ट्स की फर्जी टॉपर प्रोडिकल गर्ल रूबी राय की वजह से बिहार बोर्ड में चल रहे बड़े घोटाले का खुलासा हुआ था। रूबी राय टॉपर घोषित की गई थी। जब मीडियाकर्मी उसके घर इंटरव्यू लेने पहुंचे तो वह पॉलिटिकल साइंस को सही तरह से प्रोनाउंस भी नहीं कर सकी थी। इसके बाद उसके टॉप करने पर सवाल खड़े हो गए थे। जांच में बड़ा घोटाला तब सामने आया, रूबी ने जांचकर्ताओं के सामने कहा था कि वह सिर्फ पास होना चाहती थी लेकिन उनके पिता ने उन्हें टॉप करवा दिया। रूबी ने तो अपने इंटरव्यू के दौरान पॉलिटिकल साइंस विषय को ‘प्रोडिकल साइंस’ कहा था। जब उनसे पूछा गया कि इस विषय में क्या-क्या होता है तो रूबी ने कहा कि इसमें खाना बनाना सिखाया जाता है। वहीं साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ ने भी आसान से सवालों का बेतुका जवाब दिया था। आर्ट्स की टॉपर रूबी राय और साइंस के टॉपर सौरभ श्रेष्ठ ने व्यवस्था को चिढाते हुए शिक्षा व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं। इसके बाद बच्चा राय, लालकेश्वर, परमेश्वर, ऊषा सिन्हा के साथ ही बिहार बोर्ड में वर्षों से चल रही धांधली उजागर हो गई।

42 की उम्र में टॉपर बना गणेश  वर्ष 2017 के आर्ट्स टॉपर गणेश कुमार के रिजल्ट के पीछे की छिपी सच्चाई तबतक पता नहीं चल पाती जबतक मीडिया ने इसपर ध्यान न दिया होता। मीडिया ने अगर गणेश के सुर-ताल को परखा नहीं होता तो रिजल्ट की सच्चाई सामने नहीं आती। इंटरमीडिएट परीक्षा में 42 साल के गणेश कुमार ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाकर अपने आप को 24 साल का बताया और इंटरमीडिएट की परीक्षा में आर्ट्स टॉपर बन गया। गलती पकड़े जाने पर उसे जेल भेज दिया गया था।

सवाल पूछने पर भड़के थे शिक्षामंत्री रिजल्ट और टॉपर गणेश के बारे में पूछने पर तत्‍कालीन शिक्षामंत्री अशोक चौधरी ने दो टूक कहा था कि टॉपर सही है और उससे पूछने वाले लोग संगीत के विशेषज्ञ थे क्या? आज जब सच्चाई सामने आ गई तो कार्रवाई की गई। गणेश को जेल भेजा गया। बोर्ड को फजीहत झेलनी पड़ी।

पिछले कई सालों से हो रही थी शिक्षा तंत्र की फजीहत  शिक्षा व्यवस्था की पिछले कई सालों से हो रही एेसी फजीहत से लाखों छात्रों की मेरिट पर सवाल खड़ा हो रहा था। बिहार के छात्रों की प्रतिभा किसी की मुंहताज नहीं है। एेसी ही शिक्षा पद्धति से पढ़कर हर साल देश की विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में बिहार के छात्र अपना परचम लहरा रहे हैं, लेकिन बिहार में हर साल हो रहे टॉपर्स के रिजल्ट पर प्रश्नचिन्ह उन प्रतिभाशाली छात्रों को भी शर्मसार करती रही। लेकिन इस बार कहानी बदल गई।

बोर्ड ने उठाया ये कदम  सबसे पहले बिहार बोर्ड ने एक कमेटी बनाई जो सभी टॉपरों के उत्तर पत्रिका को दोबारा से जांच करे। इसके बाद कमेटी ने इन सभी टॉपरों का भौतिक सत्यापन कराया गया। इन टॉपरों का बकाया बोर्ड ने इंटरव्यू भी लिया और यह जांचा कि वाकई यह टॉपर बनने के लायक है या फिर नहीं। इसके बाद फिर शुरू हुई भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया। भौतिक सत्यापन के लिए बिहार बोर्ड ने इन सभी टॉपरों को एक-एक करके बोर्ड के दफ्तर बुलाया और एक्‍सपर्ट के सामने उनकी जांच हुई। इसके बाद रिजल्‍ट जारी किया गया।

कल्‍पना ने दिया बिहार बोर्ड को खुश होने का मौका, धोया पुराना दाग  बिहार के शिवहर जिले के तरियानी की रहने वाली बेटी कल्पना ने दो दिनों के अंदर दोहरी सफलता पाकर सूबे का नाम रोशन किया है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित 12वीं की परीक्षा में उसने साइंस में प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है। वाइकेजेएम कॉलेज तरियानी की इस छात्रा को 500 में 434 अंक मिले हैं। शवहरवासी कल्पना पर नाज कर रहे हैं। तरियानी प्रखंड के नरवारा गांव निवासी राकेश मिश्र की छोटी बेटी कल्पना ने दो दिन पहले ही नेशनल एलिजिबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (नीट) में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। वह हृदय रोग विशेषज्ञ बनना चाहती है। कल्पना के पिता राकेश मिश्र सीतामढ़ी, डुमरा स्थित डायट में लेक्चरर हैं तो माता ममता कुमारी कन्या मध्य विद्यालय में शिक्षक हैं। बड़ी बहन भारती एनआइटी, पटना से पढ़ाई पूरी कर इंडियन नेवी में ऑफिसर हैं। भाई प्रणय प्रताप आइआइटी गुवाहाटी में इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में है।

कल्‍पना के रिजल्‍ट से बच्‍चों को मिलेगी प्रेरणा, सम्‍मानित करेगा बिहार बोर्ड  बिहार बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि कल्‍पना ने नीट की परीक्षा में पूरे देश में टॉप कर बोर्ड का नाम रौशन किया है। बोर्ड कल्‍पना को सम्‍मानित करेगा। बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राजमणि प्रसाद का कहना है कि बिहार बोर्ड के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं होती है। पहले भी बोर्ड के बच्चे आइआइटी और मेडिकल की परीक्षाओं में टॉप करते रहे हैं। 2010 के बाद से इस तरह की प्रवेश परीक्षाओं में बोर्ड का रिजल्ट पूर्व की तरह नहीं रहा है। कल्पना के रिजल्ट से बच्चों को और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी। सरकारी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे पढ़ते हैं। जिन्हें अवसर कम मिलते है। अगर उन्हें अवसर उपलब्ध कराया गया तो बिहार बोर्ड के बच्चे भी नियमित रूप से जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

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