यदि केजरीवाल ने कांग्रेस के साथ गठजोड़ किया तो दू दूंगा इस्तिफा-फूलका
चंडीगढ़ । 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस द्वारा पूरे विपक्ष को इकट्ठा करने की उम्मीदों को झटका लगा है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दाखा (लुधियाना) से विधायक एचएस फूलका ने धमकी दी है कि यदि अरविंद केजरीवाल किसी भी ऐसे गठजोड़ में शामिल हुए जिसमें कांग्रेस है तो वे पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। फूलका सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हैैं और 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों में सिखों की ओर से पैरवी कर रहे हैैं।
आप विधायक व पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने कांग्रेस के विपक्ष को इकट्ठा करने के प्रयासों का स्वागत किया था। फूलका ने कहा कि खैहरा के अपने निजी विचार हो सकते हैं लेकिन जहां तक मेरा सवाल है मैैं किसी भी सूरत में कांग्रेस के साथ नहीं जा सकता। उन्होंने कहा- 1984 से लेकर अभी तक कांग्रेसी नेताओं को दंगों की सजा दिलाने के लिए मैैं दिन-रात केसों पर काम करा हूं।
फूलका ने कहा कि ऐसे में कांग्रेस को मैं कैसे सपोर्ट कर सकता हूं? इस पार्टी के हाथ हजारों सिखों के खून से रंगे हैं। मुझसे लगातार पूछा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी भी 2019 के चुनाव के लिए एकजुट हो रहे विपक्ष का साथ दे सकती है, ऐसे में आप जब इतने लंबे समय से सिखों के केसों को लेकर अदालतों में लड़ रहे हैं, क्या कांग्रेस के साथ जाएंगे? मैंने इसी को स्पष्ट किया है कि मैं कांग्रेस के साथ नहीं जा सकता। अगर मेरी पार्टी ने यह कदम उठाया तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के सीएम एचडी कुमार स्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में पूरे विपक्ष में से ज्यादातर दलों के एकजुट होने से इस बात के संकेत मिले थे कि 2019 के चुनाव में भाजपा को बाहर रखने के लिए आप भी गठजोड़ में शामिल हो सकती है। शपथ ग्रहण समारोह में आप के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे। विपक्षी दलों के प्रमुखों के एक साथ मौजूद होने से नए समीकरण बनते दिख रहे हैं, लेकिन सभी लोग कांग्रेस के साथ चल सकें इसकी उम्मीदें भी काफी कम हैं। एचएस फूलका ऐसे ही नेताओं में एक हैं।
नेता प्रतिपक्ष पद से दिया था इस्तीफा फूलका पंजाब में पिछला संसदीय चुनाव लुधियाना से लड़ चुके हैं और बहुत कम मतों के अंतर से हारे थे। बाद में वह दाखा से विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत गए। पार्टी ने उन्हें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेवारी सौंपी। यह अलग बात है कि बाद में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इन दिनों वह एनआरआईज की मदद से अपने हलके में सरकारी स्कूलों और मोबाइल डिस्पेंसरियों को चलाकर नई तरह की राजनीति कर रहे हैं।