वर्षा का जल संचय करने को वन विभाग ने की नायाब पहल
हल्द्वानी । जिस भी युक्ति से संभव हो सके, जल को बचाया जाना आवश्यक है। वर्षा के जल का संचयन करने के लिए उत्तराखंड के हल्द्वानी में वन विभाग ने नायाब पहल की है। वन क्षेत्र में छोटे-छोटे तालाबनुमा गड्ढों के जरिये पानी को सहेजा जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्र की असिंचित भूमि और गंभीर जल संकट को देखते हुए इस पहल को सार्थक बताया जा रहा है।
यही नहीं, पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को तालाब और चेकडैम बनाने का प्रशिक्षण भी वन विभाग द्वारा दिया जा रहा है। खेती के लिहाज से यह योजना कारगर साबित हो रही है। संचित किया जा रहा यह पानी खेती के सीजन में उन संसाधनहीन किसानों के लिए वरदान साबित होगा, जो जीविका के अभाव में पलायन को बाध्य हो जाते हैं।
पहाड़-जंगल से जुटाएंगे जल टनकपुर में पिथौरागढ़ हाइवे पर वन विभाग का औषधीय और वृक्ष प्रजाति संरक्षण केंद्र है। करीब छह हेक्टेयर वनभूमि पर वन विभाग ने जल संचयन योजना योजना शुरू की है। इसके तहत यहां तालाब बनाकर उनमें बारिश और जंगलों के बीच से निकलने वाले छोटे-छोटे नालों का पानी एकत्र किया जाएगा। जिस जगह तालाब बनाया जा रहा है, वहां ऊपरी भाग में चेकडैम (लघु बांध) भी बनाए गए हैं, ताकि पहाड़ पर से बहते बारिश के पानी को तालाबों की ओर मोड़ा जा सके। डीएफओ डॉ. चंद्रशेखर सनवाल ने बताया कि पानी के संरक्षण को लेकर इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया है। पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को भी तालाब निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कृषि विशेषज्ञ सुरेंद्र बिष्ट ने बताया कि तालाब के जरिए पानी को बचाना सबसे पुराना तरीका होने के साथ कारगर भी है। पहाड़ में इस योजना का लाभ सीधा छोटे किसानों को होगा। पहाड़ के गांवों में आबादी कम होती है। एक गांव में दो या तीन तालाब बनने से सिंचाई को पूरा पानी उपलब्ध हो जाएगा।
यहां 87 प्रतिशत जमीन असिंचित उत्तराखंड में 70 प्रतिशत भूभाग पर खेती होती है। इसमें से 56 प्रतिशत इलाका पर्वतीय जिलों में पड़ता है। लेकिन पहाड़ में सिर्फ 13 प्रतिशत जमीन ही सिंचित है। 87 प्रतिशत जमीन असिंचित श्रेणी में है। वन विभाग से प्रशिक्षण पाने के बाद पहाड़ के काश्तकार अपनी किस्मत बदल सकते हैं।
वन्यजीवन के लिए भी संजीवनी गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही जंगल में बने पोखर सूखने लग जाते हैं। इससे वन्यजीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। दस दिन पूर्व हल्द्वानी-दिल्ली हाईवे पर टांडा जंगल में एक हथिनी की प्यास से मौत इसका उदाहरण है। वनभूमि पर बने तालाब वन्यजीवों की प्यास बुझाने में सफल रहेंगे। पानी बहुमूल्य है। वन विभाग ने इसके संरक्षण को लेकर कृत्रिम तालाब बनाकर काम शुरू किया है। टनकपुर स्थित इस केंद्र में आकर कोई भी वन विभाग से तालाब निर्माण का प्रशिक्षण लेसकता है। इस योजना को जल्द प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित किया जाएगा।