बच्चों से अब गणित का डर दूर भगाएगी सरकार, NCERT की बैठक में लिया गया फैसला
नई दिल्ली। स्कूली बच्चों से गणित के डर को सरकार अब दूर भगाएगी। सरकार ने इसे लेकर गुजरात के शिक्षा मंत्री की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का फैसला लिया है। जो तीन महीने में गणित को कैसे आसान और रोचक बनाया जाए, इसे लेकर अपनी रिपोर्ट देगी। सरकार ने स्कूली शिक्षकों के प्रशिक्षण को भी और बेहतर बनाने की फैसला लिया है। इसे लेकर भी तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री के अगुवाई में एक कमेटी गठित की जाएगी।
एनसीईआरटी की सालाना होने वाली कार्यकारी बैठक में यह फैसला लिया गया है। बैठक की जानकारी देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि नेशनल असेसमेंट सर्वे से जो जानकारी सामने आयी है, उसके तहत छात्रों के मन में गणित को लेकर डर रहता है। सरकार अब इसी डर को खत्म करेगी। राज्यों के साथ चर्चा के बाद इसे लेकर एक कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया है। यह कमेटी छह से सात सदस्यीय होगी। जिसमें शिक्षाविद और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद सरकार जरूरी कदम उठाएगी। बैठक में शिक्षकों के प्रशिक्षण को बेहतर बनाने की भी मांग उठी। इसके बाद तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में भी एक कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया है, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। दोनों ही कमेटियों का जल्द ही गठन किया जाएगा। बैठक में इसके अलावा सरकार की ओर से स्कूली शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर भी चर्चा हुई। सभी स्कूलों में पुस्तकालय खोलने का फैसला लिया गया है। इसे लेकर सभी स्कूलों को अब पांच से बीस हजार रूपए दिए जाएंगे। बैठक में मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, दिल्ली के शिक्षा मंत्रियों के अलावा बाकी राज्यों के स्कूली शिक्षा के प्रमुख सचिव और सचिवों ने हिस्सा लिया था।
शास्त्री भवन में बिकेगी एनसीईआरटी की किताबें
एनसीईआरटी किताबों की किल्लत को देखते हुए सरकार ने शास्त्री भवन में एनसीईआरटी किताबों की स्टाल खोलने की घोषणा की है। मानव संसाधन विकास मंत्री जावड़ेकर ने कहा कि यह स्टाल जल्द ही चालू होगा। इसके अलावा दिल्ली में एनसीईआरटी के कुल 94 वेंडर है, उनके नाम और पते जल्द ही प्रकाशित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी किताबों की कोई कमी नहीं है। हमने इस साल साढ़े तीन करोड़ किताबें छापी हैं, जिन स्कूलों में पहले से ही मांग के आवेदन दिए थे, उन्हें किताबें उपलब्ध कराई जा रही है।