AdministrationEducationNationalNews UpdateUttarakhand
‘’21वीं सदी में भारत की रक्षा चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वर्चुअली संबोधित किया
देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने शनिवार को राजभवन से एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के एलएसएम कैम्पस पिथौरागढ़ द्वारा आयोजित ‘’21वीं सदी में भारत की रक्षा चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र को वर्चुअली संबोधित किया।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि आज 21वीं सदी का भारत प्राचीन विश्व गुरु भारत की शक्ति को पुनः प्राप्त करने और दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति के बल पर वैश्विक महाशक्ति के रूप में आगे बढ़ रहा है। इन उपलब्धियों के साथ-साथ हमारे सामने अनेक चुनौतियों का भी मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी रक्षा चुनौतियां व्यापक, बहुआयामी और जटिल हैं।
राज्यपाल ने कहा कि यह नया भारत है, हमने अपनी सीमाओं के प्रति स्पष्ट दृष्टिकोण पूरे विश्व के सामने रखा है। आज हम आत्मनिर्भर भारत, विकसित भारत और विश्व गुरु भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आज भारत उभरती प्रौद्योगिकी नवाचार, जलवायु परिवर्तन में नेतृत्व और आर्थिक विकास के मोर्चे पर निरंतर प्रगति कर रहा है- जैसे हमारे संकल्प और उपलब्धियां बड़ी होती जा रही हैं वैसे-वैसे हमारी चुनौतियां भी बड़ी होती जा रही हैं।
राज्यपाल ने कहा कि कुशल नेतृत्व से हम आतंकवाद को पूर्ण रूप से समाप्त कर सकते हैं लेकिन इस चुनौती से निपटने के लिए हमें दृढ़ संकल्प शक्ति और सामूहिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। सीमा संबंधी विवाद भी हमारे लिए बड़ी रक्षा चुनौती हैं। आज के समय में भी ये वही मुद्दे हैं जो सजगता, दूरदृष्टि, कुशल रणनीति और संवेदनशील दृष्टिकोण की मांग करते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे लिए साइबर सुरक्षा भी एक बहुत बड़ी रक्षा चुनौती है, प्रौद्योगिकी और इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता हमारी सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा है, आने वाले समय मेें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, मेटावर्स, ब्लॉकचेन जैसी आधुनिकतम साइबर तकनीकी, कूटनीति और रणनीति, साईबर वॉर का हिस्सा होने वाले हैं, इसलिए हमें गंभीर खतरों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति संवेदनशील रहना होगा।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए आंतरिक सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती है। उग्रवाद, सांप्रदायिक हिंसा, संगठित अपराध, जातीय तनाव, क्षेत्रीय अतिरंजित संघर्ष कानून व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण मुद्दे हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा व्यापक सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि हमारे सभी तंत्र बहुत मजबूती के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि दो दिवसीय इस सेमिनार में चिंतन-मंथन कर जो निष्कर्ष निकलेगा वह हमारी रक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान लेकर आएगा।