भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्र की चेतना का अभिन्न अंग हैं त्योहार
हरिद्वार। भारतवर्ष ऋतुओं, त्योहारों और उत्सवों के रंग मे रचा बसा देश है। जहां सभी धर्मो को मानने वाले लोगों के अपने अपने त्योहार एवं उत्सव है। जो उनकी जिंदगी को वर्षभर ताजगी से सराबोर बनाये रखते है। रक्षाबंधन का पवन त्योहार पवन नगरी हरिद्वार में भी धूम-धाम से मनाया गया।
इन त्योहार तथा उत्सवों के मूल मे मान्यताए तथा कारण अलग अलग हो सकते है। लेकिन ये सभी त्योहार एवं उत्सव व्यक्ति की जिदंगी में ऊर्जा तथा ताजगी का संचार करते है। यहां रहने वाले लोगों मे एक-दूसरे के त्योहारों के प्रति मन में श्रद्धा होती है तथा लोग उनमें सहर्ष सम्मिलित भी होते हैं। अनेकता मे एकता तथा भारतीय संस्कृति का यह रंग किसी ओर देश मे देखने को नही मिलता है। धर्म, जाति एवं सम्प्रदाया के त्योहारों के अलावा यहां राष्ट्रीय महत्व के त्योहार भी मनाये जाते है। जिनको सभी लोग परस्पर भाई-चारे की भावना के साथ उल्लास के साथ मनाते है।
धार्मिक त्योहार एवं उत्सवों को मनाने के लिए कारण भी धार्मिक महत्व से जुडे होते है। जिनमे भाई-बहन के अटूट प्रेम का त्योहार रक्षा बंधन का पर्व श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर मनाया जाता है। जिसमे बहन भाई के सुखी एवं समृद्व जीवन की कामना करते हुए उसके हाथ मे रक्षा सूत्र बांधती है और रोली से उसके मस्तक पर तिलक लगाकर स्नेह करती है। वही भाई बहन के जीवन की रक्षा का संकल्प लेता है। और उसके मंगलमय जीवन की कामना करते हुए उसे उपहार भी भंेट करता है। आज के दिन भाई-बहन के अटूट रिश्तें का यह पर्व पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस प्रकार भारत वर्ष के त्योहार संस्कृति एवं राष्ट्र की चेतना का अभिन्न अंग है।