दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि भारत में पंथनिरपेक्षता सुरक्षित है क्योंकि यह भारत की जनता के डीएनए और खून में है। यह देश की उस परंपरा का हिस्सा है जो आदिकाल एवं वेदकाल से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि धर्म के बारे में लोगों को सही शिक्षा दी जानी चाहिए और धर्म की सही व्याख्या होनी चाहिए। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के 10वें वार्षिक व्याख्यान में नायडू ने कहा, ‘भारत में पंथनिरपेक्षता सुरक्षित है तो यह सिर्फ इसलिए नहीं कि यहां संविधान है। संविधान की अपनी प्रासंगिकता है। भारत में पंथनिरपेक्षता सुरक्षित है क्योंकि यह भारतीयों के डीएनए में है।’
उन्होंने कहा, ‘सर्वे भवंतु सुखिन: और वसुधैव कुटुंबकम हमारी परंपरा रही है। इस महान देश ने कभी किसी दूसरे देश पर हमला नहीं किया। दूसरों ने इस देश पर हमला किया, शासन किया और लूटा। इन सबके बावजूद हमारी सभ्यता बरकरार रही क्योंकि हम शांति एवं सौहार्द में विश्वास करते हैं।’ नायडू ने कहा, ‘पूजा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन हम सभी पहले भारतीय हैं। हमारी पहचान सबसे पहले भारतीय के तौर पर होती है।’
आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद को कोई धर्म नहीं होता है, कुछ लोगों को इस पर आपत्ति है। इस बात को समझने की जरूरत है कि कुछ लोग अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आतंकवाद का सहारा ले रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, आइएसआइएस तथा दूसरे संगठन धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं ताकि वे अपनी जरूरत पूरी कर सकें और अपने आकाओं को खुश कर सकें। इस्लाम में कहां ये सब (हिंसा) लिखा हुआ है, कोई मुझे दिखाए। कोई भी धर्म इसकी इजाजत नहीं देता कि निर्दोष लोगों की हत्या की जाए। हर धर्म शांति और सौहार्द की शिक्षा देता है।’
पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित किए जाने के बारे में नायडू ने कहा, ‘कुछ लोग अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं। ये लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अगर आप आतंकवाद को प्रोत्साहित करेंगे तो कल खुद आप इसके शिकार होंगे। आप देख रहे हैं पड़ोस में क्या हो रहा है। कुछ देश आतंकवाद को प्रश्रय दे रहे हैं, वित्तीय मदद दे रहे हैं। यह भारत को स्वीकार्य नहीं है।