Uttarakhand
यह किसान आन्दोलन तो कुछ और ही निकला
जिस प्रकार से गया समय वापस नही आता उसी प्रकार इज्जत में लगा दाग भी कभी साफ नही होता। जो घाव चंद सरफिरे खालिस्तानियों ने किसान का भेष रखकर देश को दिया है उसे इस देश की जनता कभी भूल नही सकती। किसानों के दामन पर जो दाग पंजाब के तथाकथित किसानों ने लगाया है वो कभी भी धुल नही पायेगा। इतिहास में राकेश डकैत का नाम दगाबाज और किसानों के सम्मान को धरती में मिलाने वालो में लिखा जाएगा।
चेहरे उतरे हुए है दिल मे ग्लानि का आभास भी दिखाई दे रहा है लेकिन सफाई देने और शर्मिंदा होने से क्या इस भयावह मंजर को भुलाया जा सकता है। लीपापोती करने से चेहरे साफ नही होंगे उनपर तो देश द्रोह की कालिख पूत चुकी है। दुनिया ने देखा कि हर ट्रेक्टर, वाहन पर तिरेंगे और यूनियन के झंडे कम, खालसा पंथ के झंडे ज्यादा थे। दंगे में आम आदमी कम, सरदार और खालसा ज्यादा थे। तलवारों, बरछो भालो और घातक हथियारों से विरोध नही युद्ध लड़ा जाता है। यही हुआ देश और देश के वीर जवानों के शक्ति दिवस को गणतंत्र की जगह परतंत्र और मातम में बदल दिया गया। चाहकर भी ये दिल के घाव कोई भी देशवासी भर नही पा रहा है। देश चीख चीख कर अपराधियो को सजा देने की मांग कर रहा है और अपराधी सड़को पर दिल्ली भृमण कर रहे है। सरकार किसका इंतजार कर रही है। दुबारा अपराध का या अपराधियो के भाग जाने का? अभी भी अपराधी आसपास ही हैं। बिना देर किए उन्हें सलाखों के अंदर पहुँच देना चाहिए और जेल में उनके पिछवाड़े पर उनका झंडा और छाती पर देशद्रोही छाप देना चाहिए अन्यथा गाड़ी में बैठाकर योगीजी के हवाले कर देना चाहिए फिर चाहे उनकी गाड़ी पलटे या बुद्धि।देश द्रोह के मुकदमे और संम्पत्ति की जब्ती, यही है सही उपाय। ध्यान रहे अपराधी कुछ सरफिरे है कौम नही। भ्रम में पड़कर अपने धार्मिक और देश प्रेमी सिख पंथ के भाइयो की कुर्बानियां और जनसेवा को न भूले। वास्तविक अपराधी ही दंड का पात्र है जो किसी भी जाति, देश और धर्म मे पैदा हो सकता है।
अब जबकि आंदोलन का उद्देश्य स्पष्ट हो चुका है तो काहे का संसोधन और कैसी वार्ता? सरकार को चाहिए कि जो भी न्यूनतम खरीद मूल्य, सस्ती बिजली, सब्सिडी और सभी प्रकार की अन्य सुविधाये केवल और केवल छोटे किसानों को दिया जाय और बड़े किसानों को कर के दायरे में लाया जाना चाहिए।कृषि कानूनों को राज्यो के विवेक और इच्छा पर छोड़ देना चाहिए।
एक बात और कप्तान अमरिंदर जी मुवावजा और नॉकरी देकर आप भी उतने ही दोषी हो रहे हैं। सरकारी धन आपकी बपौती नही जनता के टैक्स का पैसा है उसे देशविरोधी गतिविधियों के प्रोत्साहन में खर्च कर कम से कम अपनी सैनिक शिक्षा और सम्मान का अपमान न करे। अपराधी अपराधी है चाहे वो पंजाब का हो या यूं पी का या किसी धर्म का , ओछी राजनीति से उसका महिमा मंडन करना भी देश के प्रति अपराध है। समय आ गया है कि हर व्यक्ति, नेता और अभिनेता, किसान मजदूर सभी देश के सर्वोच्च सम्मान को समझे और देश से गद्दारों को मिटा दें।
यह देश बहुत शर्मिंदा है क्योंकि इसके अपराधी जिंदा हैं।