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लाॅकडाउन में काम बंद, भूखमरी की कगार पर विक्रम चालक
देहरादून। यूं तो कोरोना संक्रमण काल में सभी अपना-अपना रोना रो रहे है। व्यापारी, उद्यमी, मजदूर, किसान सभी की कुछ न कुछ समस्यायें हंै। क्योंकि परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से सभी के काम काज प्रभावित हुए है। लेकिन विक्रम चालकों की बात सुनने और उनके लिए कोई मदद का हाथ बढ़ाने वाला कोई नहीं दिख रहा है।
बीेते दो माह से कोेरोना के कारण लाकडाउन लागू होने के बाद से सभी विक्रम चालकों के विक्रम घर पर खड़े है। काम पूरी तरह ठप है तो कमाई भी शून्य है। राजधानी दून में लगभग हजार से 12 सौ के करीब विक्रम है, जो विभिन्न रूटों पर चलते है। लाकडाउन के कारण यह सभी विक्रम पूरी तरह से बंद है और इन विक्रम चालकों के परिवार घोर आर्थिक संकट में फंस चुके है। क्योंकि उनके पास न तो कोई और कमाई का जरिया है और न अपने वाहन के बैंक लोन की किस्त चुकाने का कोई साधन। भले ही उन्हे अभी किश्त न चुकानी पड़ रही हो लेकिन उन्हे आने वाले समय में डबल किस्त चुकानी पड़ेगी। जिसकी चिंता उन्हें सता रही है। विक्रम व आटो रिक्शा चलाने वाला यह वह तबका है जिसे एक आम मजदूर की तरह ही रोज कमाना खाना होता है। इनकी कमाई इतनी नहीं होती कि वह कुछ दिन खाली बैठकर भी खा सकें। लाकडाउन के कारण इनकी कमाई शून्य हो चुकी है। विक्रम व आटो रिक्शा चलाने वाले यह लोग और उनके परिवार इस समय घोर आर्थिक संकट झेल रहे है। लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है। सवाल यह है कि अगर यही स्थिति कुछ और दिन बनी रही तो इन परिवारों का क्या होगा।