Uttarakhand
व्हाट्सएप्प ग्रुप कहां तक हो सकते हैं सार्थक
हम सब एक साथ कितने ही ग्रुप्स में जुड़े है और एक दूसरे की चिंता का अविरल प्रदर्शन भी करते रहते हैं लेकिन हम में से कितने साथियो ने अपने पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और घनिष्ठ मित्रों का ग्रुप बनाकर उनसे निरंतर संपर्क किया है। मैं टेलीकॉम या व्यक्तिगत मिलन की बात नही कर रहा हूँ। केवल व्हाट्सएप्प ग्रुप की बात कर रहा हूँ। क्या आप नही मानते कि हमारे जीवन मे ऐसे लोगो का अधिक योगदान रहा है। हम में से कुछ के ऐसे निकट के लोगो को आपकी मदद की जरूरत हो सकती है। क्या हमने यह जानने और पूछने का प्रयास किया है? सच क्या है यह तो नही पता लेकिन ऐसा लगता है कि हम दुनिया को मानवता की शिक्षा देने के लिये अपने को किसी महान गुरु से कम नही समझते और सलाह देने और बहस करने में तो हमारा कोई सानी नही हो सकता लेकिन सच यह है कि हम यह चरित्र निभाते हुए अपनो से दूर जमीन ढूंढ रहे हैं।
दोस्तो जो लोग आपके जन्म पर खुशियां मना रहे थे जो अंतिम यात्रा में भी अंत तक आपको विदा करने के लिए तैयार होंगे उनसे हम इतना दूर क्यो हो जाते है? उनके प्रति क्या हमारा कोई दायित्व नही है? हम ईश्वर को पड़ोस में ढूंढ रहे है और अपने घरो, रिश्तेदारों और घनिष्ट मित्रो में विद्यमान ईश्वर को नही देख पा रहे हैं जो निरंतर हमारा हित सोचते है।
छोड़िए आप भी क्या कहेंगे । लेकिन एक सुझाव पर अमल कीजिये कि आज ही अपने पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और घनिष्ट पारिवारिक मित्रो का एक ग्रुप बनाइये और आंकलन कीजिये कि आपके पास ऐसी कितनी धरोहर है? उसके बाद सबसे बात कीजिये, उनका हालचाल पूछिये और एक दूसरे के निकट आने का प्रयास कीजिये फिर एक बार आंकलन कीजिये कि आपको किस ग्रुप में बात करने से आनंद की अनुभूति हुई है। न कोई आलोचना, न कोई फालतू के संदेश केवल आत्मीयता कही और मिल ही नही सकती। दिल खोलकर अपने सुख दुख की बाते करे, दूरियों को नजदीकियों में बदलते देख आपको निश्चय ही संतोष और आनंद की प्राप्ति होगी। आप जहाँ इतना समय सब ग्रुप्स में देते है ,मेरे निवेदन पर एक और सही। और हाँ अपने अपने ग्रुप में मुझे जोड़ना मत भूलिएगा। देखिएगा अपनो की संख्या जानकर विस्मित हो जाएंगे।सबसे बड़े ग्रुप को मेरी और से विशेष सम्मान और अग्रिम नमन।