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प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करना होगाः डा. अनिल जोशी

देहरादून। आज महती आवश्यकता है कि गुरुकुल विश्वविद्यालय के आचार्य वेद की रचनाओं का वैज्ञानिक दृष्टिकोण समाज के सामने प्रस्तुत कर उसका मार्गदर्शन करें। पद्मभूषण एवं पद्मश्री डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने यह बात गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। डॉ जोशी ने कहा कि कोरोना महामारी ने मनुष्य को उसकी हैसियत अच्छी तरह से समझा दी है। कोरोना जैसे दिखाई ना देने वाले वायरस ने पूरे विश्व की मेडिकल एवं तकनीकी व्यवस्था को यह बता दिया है कि प्रकृति से हस्तक्षेप का परिणाम मानव के हित में न कभी रहा है और ना कभी रहेगा। डॉक्टर जोशी ने कहा कि हमें अविलंब प्रकृति और उसके घटकों के महत्व को समझते हुए प्रकृति के साथ समन्वय स्थापित करना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने बताया कि प्रकृति का दोहन बुरा नहीं होता अपितु उसका शोषण अनुचित एवं अक्षम में होता है। इसलिए हमें सतत विकास की मूल अवधारणा को मस्तिष्क में रखकर विकास की योजनाएं बनानी चाहिए। प्रोफेसर शास्त्री ने मांसाहार प्रवृत्ति को प्रकृति के विरोधी बताते हुए प्रतिभागियों को शाकाहारी बनने की प्रेरणा दी। प्रोफेसर शास्त्री के अनुसार प्रकृति हमसे जल वायु ताप वर्षा आदि का कोई शुल्क नहीं लेती है। इसलिए हमें प्रकृति को प्रदूषित करने का कोई भी अधिकार प्राप्त नहीं है। कार्यक्रम के संयोजक एवं अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक प्रोफेसर दिनेश भट्ट ने कहा कि आज देश को सच्चे वैज्ञानिकों की बहुत आवश्यकता है। ऐसे वैज्ञानिक जो मानवता एवं प्रकृति के हित में शोध करें। प्रोफ़ेसर भट्ट ने विज्ञान विषय की प्रासंगिकता एवं महत्व पर प्रकाश डाला और विद्यार्थियों को विज्ञान विषय को उसके मौलिक स्वरूप में समझने को प्रेरित किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पक्षी वैज्ञानिक डॉ विनय सेठी ने विज्ञान से संवाद विषय पर अपना पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन दिया। डॉक्टर सेठी ने बताया कि विज्ञान की यात्रा के लिए हमारे भीतर धैर्य, तटस्थता, सत्यता एवं निरंतरता का होना अत्यंत आवश्यक है। डॉक्टर सेठी ने प्रतिभागियों के समक्ष विज्ञान की सुंदरता एवं सार्थकता पर अनेक भावपूर्ण प्रसंग प्रस्तुत किए। उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉक्टर गजेंद्र रावत ने रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस प्रवृत्तियों पर प्रकाश डाला। डॉ रावत ने तेजी से हो रहे हो भू प्रयोग परिवर्तन पर चिंता व्यक्त की और कहा कि मानव को प्रकृति के शोषण से बचना चाहिए। जंतु एवं पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर देवेंद्र मलिक ने प्रतिभागियों एवं अतिथियों का स्वागत किया। प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर विनोद उपाध्याय ने संजीवनी बूटी के रहस्यों पर प्रकाश डाला। डॉ नितिन कांबोज ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर पुरुषोत्तम कौशिक, प्रोफेसर नमिता जोशी, डॉक्टर संगीता मदान, डॉक्टर विनोद, डॉक्टर गगन माता, डॉक्टर संदीप, राजीव त्यागी आदि उपस्थित रहे।

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