वीपीएचईपी-टीएचडीसीआईएल के अस्पताल ग्रामीणों को उपलब्ध करा रहे स्वास्थ्य सेवाएं
ऋषिकेश। राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में अस्पतालों की सुविधा न होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मैदानी जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर होना पड़ता है। सामुदायिक अस्पताल ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और उपचार की आधारशिला हैं। इसी क्रम में टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड चमोली जिले में अपने निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट क्षेत्र के आसपास के सभी गांवों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रहा है। वीपीएचईपी-टीएचडीसी का सामुदायिक अस्पताल ना केवल गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए प्रयासरत है बल्कि चार धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को भी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर रहा है।
अस्पताल में योग्य चिकित्सकों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टाफ जैसे लैब तकनीशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स और वार्ड बॉय 24Û7 अपनी सेवाएं ग्रामीणों को दे रहे हैं। इसी के साथ सामुदायिक अस्पताल की फार्मेसी सभी मरीजों को निशुल्क दवाइयाँ भी उपलब्ध करा रही है। प्राथमिक और आपातकालीन उपचार एवं देखभाल दोनों का लाभ ग्रामीणों को प्रदान करने के लिए अस्पताल के कमरे ईसीजी मशीन, नेब्युलाइजर, सक्शन मशीन और ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे सभी आवश्यक और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं। टीएचडीसीआईएल ग्रामीणों और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए 24Û7 एम्बुलेंस सुविधा भी प्रदान कर रहा है। इसी के साथ अस्पताल में पैथोलॉजी लैब की भी शुरुआत की गई है जिससे की स्वास्थ्य जांच में सहयोग मिलेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में वीपीएचईपी-टीएचडीसी के सामुदायिक अस्पताल में उपलब्ध कराई गई सुविधाओं से कुल 19,876 परियोजना प्रभावित लोग लाभान्वित हुए हैं। सामुदायिक अस्पताल चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करके ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रधान करने में लाभकारी सिद्ध हुआ है। इसी के साथ ही वीपीएचईपी स्वास्थ्य और जागरूकता शिविरों के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को सुलभ बनाने और परियोजना क्षेत्र के आसपास के ग्रामीणों को उचित चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिए सतत् रूप से प्रयासरत है।
टीएचडीसीआईएल भारत की अग्रणी विद्युत उत्पादन कंपनियों में से एक है। टिहरी बांध एवं एचपीपी (1000 मेगावाट), कोटेश्वर एचईपी(400 मेगावाट), गुजरात के पाटन में 50 मेगावाट एवं द्वारका में 63 मेगावाट की पवन विद्युत परियोजनाओं, उत्तर प्रदेश के झांसी में 24 मेगावाट की ढुकवां लघु जल विद्युत परियोजना एवं कासरगॉड केरल में 50 मेगावाट की सौर परियोजना के साथ टीएचडीसीआईएल की कुल संस्थापित क्षमता 1587 मेगावाट हो गई है।