विवादों का सुपर 30, जानिये सुपर 30 का सच
पटना । प्रसिद्ध गणितज्ञ व गरीब-मेधावी बच्चों को आइआइटी में दाखिला दिलाने के लिए जाना जाने वाला कोचिंंग संस्थान ‘सुपर 30’ इन दिनों विवादों के घेरे में है। संस्थान के छात्र ही रोज नए खुलासे के साथ सामने आ रहे हैं। नया खुलासा यह है कि संस्थान में नामांकन चाहने वाले चुने गए विद्यार्थियों को आनंद कुमार के ‘सुपर 30’ में एडमिशन के लिए मैसेज मिलता था, लेकिन पटना पहुंचने पर एडमिशन होता था ‘रामानुजम स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स’ में। जब तक विद्यार्थी पूरा मामला समझते थे, देर हो चुकी होती थी। मध्य प्रदेश के निवासी व आनंद कुमार के छात्र रहे सत्येंद्र कुमार ने यह बड़ा खुलासा किया। उनके अनुसार सुपर 30 के छात्रों की आइआइटी में सफलता के आंकड़ों का सारा गोरखधंधा इसी में निहित है। जेईई-मेन क्वालिफाई करने के बाद ऐसे विद्यार्थियों को सुपर 30 में दिखा दिया जाता है।
मैसेज सुपर 30 का, नामांकन रामनुजम स्कूल में सत्येंद्र के अनुसार दूसरे राज्यों में आनंद सुपर 30 में एडमिशन आइआइटी में नामांकन की गारंटी मानी जाती है। लेकिन,, पटना पहुंचने पर सभी का सामना ‘रामानुजम स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स’ से पहले होता है। सिक्किम के एक छात्र ने नाम नहीं जारी करने के आग्रह के साथ बताया कि उसे भी 2016 में सुपर 30 में एडमिशन के लिए मैसेज मिला था। लेकिन, पटना पहुंचने पर प्रथम वर्ष रामानुजम क्लासेस में रहना पड़ा। अपेक्षा के अनुरूप पढ़ाई नहीं होने के कारण दो माह बाद ही वह पटना से चला गया। झारखंड निवासी सुपर 30 के 2016 बैच के विद्यार्थी मृत्युंजय राणा की मानें तो आनंद की ऊंची पहुंच के कारण विषम परिस्थितियों के बावजूद छात्र कुछ नहीं बोल पाते थे। लेकिन, अब शोषित छात्र अपनी बात रखने के लिए आगे आ रहे हैं।
रामानुजम स्कूल के 90 फीसद छात्र परदेसी रामानुजम स्कूल के 90 फीसद छात्र दूसरे राज्यों के रहने वाले होते हैं। आनंद कुमार से जुड़े विद्यानंद का कहना है कि सुपर 30 की प्रवेश परीक्षा 10 राज्यों में होती है। इसमें डेढ़ से दो लाख बच्चे शामिल होते हैं। हर साल लगभग 1000 दूसरे राज्यों के बच्चों को सुपर 30 में चयनित होने का मैसेज मिलता है। पटना पहुंचने पर उन्हें बताया जाता है कि पहले साल रामानुजम क्लासेस में फीस देकर पढ़ाई करनी होगी। अगले साल सुपर 30 में चयन होने पर पूरी फीस लौटा दी जाएगी। लेकिन, सुपर 30 के छात्र गगन के पिता ने बताया कि यह केवल कहने को होता है। फीस लौटाई नहीं जाती है।
केरल और असम से भी छात्र पीडि़त छात्रों ने बताया कि केरल, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के साथ-साथ सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों से भी छात्र सुपर 30 के नाम पर आते हैं। कोटा में पढ़ाई कर रहे अभिषेक ने बताया कि साल में कितने टेस्ट आयोजित किए जाते हैं, इसकी भी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। आनंद कुमार की कुव्यवस्था के कारण हजारों बच्चों का भविष्य चौपट हुआ है।
पढ़ाया रामानुजम स्कूल में, दिखाया सुपर 30 में तो फिर ऐसा करने के पीछे कारण क्या है? इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है। जेईई एडवांस में पिछले साल दिव्यांग कोटे में 74वीं रैंक प्राप्त करने वाले आफताब ने कर्ज लेकर रामानुजम स्कूल में पढ़ाई की। जेईई-मेन क्वालीफाई करने के बाद उसे सुपर-30 में शामिल किया गया। रिजल्ट के दिन आफताब को आनंद ने पोस्टर ब्वॉय बनाया। आफताब के पिता अंडा की दुकान चलाते थे। ऐसे और भी उदाहरण हैं।
कोटा के छात्रों को भी बता दिया अपना वर्ष 2018 में आनंद कुमार ने सुपर-30 के 26 बच्चों के जेईई एडवांस में क्वालीफाई होने का दावा किया है, जबकि छात्रों का आरोप है कि महज तीन ही जेईई-एडवांस में क्वालीफाई कर पाए हैं। आनंद कुमार की ओर से ओनीरजीत गोस्वामी, सूरज कुमार, यश कुमार और सूर्यकांत के नाम सार्वजनिक किए गए थे। इसमें सूरज कुमार कोटा स्थित एक कोचिंग संस्थान का छात्र है। विभिन्न कार्यक्रमों में सुपर-30 के विद्यार्थी के रूप में आनंद के साथ मौजूद गगन का कहना है कि इसमें ओनीरजीत ही सुपर-30 का छात्र है, अन्य तीन बच्चे जेईई मेन के बाद दूसरे कोचिंग संस्थान से आए थे। इन्हें स्कॉलरशिप के तौर पर मोटी रकम देने का आश्वासन दिया था। गगन के अनुसार सबसे अधिक ओनीरजीत को एडवांस में 128 अंक मिले थे जबकि कटऑफ 126 था। खराब रैंक के कारण ओनीरजीत का आइआइटी में नामांकन नहीं हो सका है। इसके अतिरिक्त अनुपम और गगन एससी कैटेगरी में पास हुए थे। इन दोनों का नाम आनंद कुमार ने सार्वजनिक नहीं किया है।
पढ़ थे 22, 26 को करा दिया क्वालीफाई गगन ने बताया कि पिछले साल सुपर-30 में 23 छात्र शामिल थे। इनमें से एक का चयन एनडीए में हो गया। 22 बच्चे सुपर-30 से जुड़े रहे। जेईई मेन के बाद 15-20 बच्चे कोटा या अन्य शहरों के दूसरे कोचिंग संस्थान से लाए गए। आदित्य और शेखर 2017 और 2018 दोनों के सेलिब्रेशन में मौजूद थे, लेकिन दोनों का ही नामांकन आइआइटी में नहीं हो सका है। रामकुमार, अर्पित, रजत, प्रिंस राजू, दीपक, सूरज खरबार, अभिषेक आदि सुपर-30 के मूल विद्यार्थी थे जो जेईई एडवांस क्वालीफाई नहीं कर सके ।
गरीब के नाम पर पढ़ते थे नामचीन स्कूल के छात्र विद्यार्थी रामकुमार ने बताया कि गरीब बच्चों के नाम पर नामचीन स्कूलों के विद्यार्थी सुपर-30 में पढ़ाई करते थे। उसके साथ शेखर सत्याकार, आदित्य आनंद, सूरज खरवार रेसोनेंस कोटा के विद्यार्थी थे। प्रीत रंजन डीपीएस बोकारो तथा ओनीरजीत आकाश इंस्टीट्यूट का विद्यार्थी रह चुका है।
आनंद की सफाई: सुपर 30 को बदनाम करने की साजिश इन आरोपों के संबंध में आनंद ने कहा कि सुपर-30 को बदनाम करने की साजिश रची गई है। कुछ बच्चे जो पहले रामानुजम स्कूल में पढ़ते थे वे बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। आरोप लगाने वालों को सबूत भी देने चाहिए। वे ऐसे बेबुनियाद आरोपों का संज्ञान नहीं लेते।