विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद तीन तलाक बिल लोकसभा में पास,जदयू का विरोध, बीजद का साथ
नई दिल्ली। मुस्लिमों में प्रचलित तत्काल तीन तलाक को अवैध तथा अपराध घोषित करने वाला बिल गुरुवार को विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद लोकसभा ने तीसरी बार पास कर दिया। बिल में तीन तलाक देने वाले पतियों को तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। अभी ये प्रावधान अध्यादेश के जरिए लागू हैं। वैसे तो बिल ध्वनि मत से पास हुआ लेकिन सजा का प्रावधान 78 के मुकाबले 302 मतों से पारित हुआ। अब यदि यह बिल राज्यसभा से भी पारित हो जाता है तो उस अध्यादेश की जगह लेगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा से पहली बार यह बिल 28 दिसंबर, 2017 तथा दूसरी बार 27 दिसंबर, 2018 में पास हो चुका है लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो सका। इस बार भी राज्यसभा में दलीय स्थिति देखते हुए बिल पास कराना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।
लैंगिक समानता और न्याय के लिए जरूरी है बिल : रविशंकर इसके पहले बहस के दौरान कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बिल का बचाव करते हुए इसे लैंगिक समानता तथा न्याय के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि अगस्त, 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन तलाक को खारिज किए जाने के बावजूद अभी भी यह प्रथा जारी है। हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के एक अहम घटक जनता दल (यूनाइटेड) समेत कई अन्य दलों ने बिल का जोरदार विरोध किया। वहीं, सपा सदस्य आजम खान की आसन के प्रति की गई ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी पर जबर्दस्त हंगामा हुआ और सत्ता पक्ष के कई सदस्यों ने उनसे माफी मांगने की मांग की। लेकिन आजम अड़े रहे और कहा कि यदि उन्होंने कुछ ही आपत्तिजनक कहा है तो वह ‘तत्काल’ इस्तीफा दे देंगे। कानून मंत्री ने कहा कि जनवरी, 2017 से देशभर में तत्काल तीन तलाक (तलाक–ए– बिद्दत) के 574 मामले हुए हैं, इनमें से 300 से ज्यादा तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया में रिपोर्ट हुए हैं। मंत्री ने कहा– ‘ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? क्या हम मुस्लिम महिलाओं का शोषण जारी रहने दें?’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तथा मलेशिया समेत 20 मुस्लिम देशों ने तत्काल तीन तलाक को प्रतिबंधित कर दिया है तो फिर धर्मनिरपेक्ष देश भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता? उन्होंने कहा– ‘बगैर धार्मिक भेदभाव के लैंगिक समानता हमारे संविधान का मूल दर्शन है। हम महिलाओं को सम्मान तथा न्याय देना चाहते हैं।’ उन्होंने सांसदों से इस बिल को राजनीति या धर्म के नजरिए से नहीं देखने की अपील की।
कांग्रेस बोली-सरकार का इरादा साफ नहीं वहीं, कांग्रेस ने बिल को स्थाई समिति में भेजने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया है। बहस में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सदस्य मोहम्मद जावेद ने कहा कि सरकार का इरादा साफ नहीं है और वह इस देश में मुस्लिम समुदाय को दरकिनार करना चाहती है। उन्होंने बिल को स्थाई समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि मुस्लिमों से ज्यादा हिंदुओं में तलाक होता है।
जदयू ने किया वाक्आउट राजग के घटक दल ने जदयू ने भी बिल का विरोध करते हुए कहा कि इससे समाज में अविश्वास पैदा होगा। पार्टी ने सदन से वाक्आउट भी किया। पार्टी सांसद राजीव रंजन सिंह ने कहा कि सरकार को इसके बारे में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए सभी जरूरी उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज सिर्फ कठोर कानून से नहीं चलता। समाज के अपने रीति–रिवाज भी होते हैं।
आजम ने नहीं मांगी माफी बहस के दौरान सपा सदस्य आजम खान ने अध्यक्ष के आसन पर उस वक्त बैठीं भाजपा सदस्य रमा देवी पर ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी कर दी। इसके विरोध में सत्ता पक्ष की ओर से हंगामा किया गया और आजम से माफी मांगने की मांग की गई। लेकिन आजम ने इससे इनकार करते हुए कहा कि यदि उन्होंने कुछ भी आपत्तिजनक कहा है तो वह ‘तत्काल’ इस्तीफा दे देंगे। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपने सांसद का बचाव करने का प्रयास किया। दरअसल, आजम ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के हस्तक्षेप का हवाला देते हुए एक शेर पढ़ा। इस पर रमा देवी ने उनसे कहा कि वह आसन को देखकर अपनी बात कहें। तभी सपा सदस्य ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। हालांकि बाद उन्होंने कहा कि रमा देवी उनकी बहन जैसी हैं, लेकिन रमा देवी ने उनकी टिप्पणियों को रिकॉर्ड से निकालने का आदेश दिया। बाद में सपा और बसपा के सदस्य सदन बाहर चले गए।