विदेश एवं सुरक्षा नीति, आतंकवाद से मुकाबला, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास दर सहित विभिन्न मुद्दों पर ट्रंप और ईयू अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकर की मुलाकात
वाशिंगटन । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 25 जुलाई को यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकर से मुलाकात प्रस्तावित है। व्हाइट हाउस की ओर से मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, दोनों नेता विदेश एवं सुरक्षा नीति, आतंकवाद से मुकाबला, ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास दर सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे। बता दें कि अमेरिका ने जून की शुरुआत में यूरोपीय यूनियन के देशों से आने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क लगाया था। अमेरिका ने यूरोपीय संघ की कारों पर भी अतिरिक्त कर लगाने की भी धमकी दी है। इसके बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ के संबंधों में तनाव उत्पन्न हो गया था।
बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत में जंकर ने बीजिंग में यूरोपीय यूनियन के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक में शिरकत किए थे। जहां चीन और यूरोपीय संघ के बीच मिलकर साथ-साथ काम करने पर सहमति बनी थी। इस दौरान विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सुधारों पर चर्चा के लिए संयुक्त कार्यकारी समूह के गठन पर भी सहमति बनी थी। यूरोपीय यूनियन और चीन की निकटता के बीच अमेरिकी आर्थिक हितों के लिहाज से यह बैठक अहम मानी जा रही है। दो माह पूर्व यूरोपीय यूनियन (ईयू) के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने ईरान परमाणु करार से हटने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि ट्रंप ने दोस्त से ज्यादा दुश्मन की तरह काम किया है। जिसके पास ट्रंप जैसा दोस्त हो, उसे दुश्मन की जरूरत नहीं पड़ेगी। बुल्गारिया की राजधानी में हुई बैठक में ईयू प्रमुख ने यूरोपीय नेताओं से ट्रंप के फैसले के खिलाफ संयुक्त यूरोपीय मोर्चा बनाने की अपील की थी। ट्रंप ने गत आठ मई को ईरान के साथ हुए परमाणु करार से अमेरिका के हटने का एलान किया था। इसी के मद्देनजर यूरोपीय देशों के प्रमुखों की यह बैठक बुलाई गई थी।
टस्क ने अमेरिकी प्रशासन की तुलना यूरोप के पारंपरिक प्रतिद्वंद्वियों रूस और चीन से की थी। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि साफतौर पर कहूं तो यूरोप को राष्ट्रपति ट्रंप का आभारी होना चाहिए, क्योंकि उन्होंने हमारे सभी भ्रम दूर कर दिए हैं। साल 2015 में ईरान के साथ अमेरिका के अलावा रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने परमाणु समझौता किया था। यूरोपीय देश फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी पहले ही इस समझौते के साथ बने रहने की प्रतिबद्धता जता चुके हैं।