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वैज्ञानिकों ने नैनो प्रौद्योगिकी के सहारे तैयार की कोरोना रोधी कवच

धनबाद : अगर आपके कपड़े कोरोना वायरस के संपर्क में आ जाएं तो आप कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए वायरस से बचने के लिए चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का प्रयोग कर रहे हैं। पीपीई किट आपके कपड़े और आपको वायरस से बचाती है। हालांकि, यह किट सभी के लिए उपलब्ध कराना संभव नहीं। इस समस्या का समाधान धनबाद (झारखंड) के आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) के वैज्ञानिकों ने तलाशा है। इन वैज्ञानिकों ने नैनो प्रौद्योगिकी के सहारे पॉलीमेरिक सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग तैयार की है। यह विशुद्ध स्वदेशी तकनीक है। इस तकनीक में कोरोना वायरस जैसे सूक्ष्मजीवों को नष्ट करने की क्षमता है। इस परत को कपड़ों पर सुसज्जित कर दिया जाए तो उसके संपर्क में आने वाला वायरस, जीवाणु, फफूंदी जैसे सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाएंगे। इस तरह कोटिंग के जरिए आपका हर ड्रेस और कपड़ा पीपीई किट की तरह काम करने लगेगा। फिर, आसानी से आपका संक्रमण से बचाव हो जाएगा।

      इस कोटिंग के अंतिम चरण का परीक्षण प्रयोगशाला में चल रहा है। अब तक के परीक्षणों के परिणाम सकारात्मक आए हैं। उम्मीद है कि सबकुछ आशानुरूप रहा तो जल्द ही यह चलन में आ सकती है। सुपर हाइड्रोफोबिक कोटिंग बनाने वाले आइएसएम के रसायन अभियंत्रण विभाग के प्रो. आदित्य कुमार बताते हैं कि कई परीक्षणों के बाद इसे तैयार करने में सफलता मिली है। प्रयोगशाला में अंतिम चरण का परीक्षण हो रहा है। उसमें भी परिणाम आशातीत आएगा। यदि आम लोग इस परत से लैस कपड़े पहनेंगे, तो वस्त्र के संपर्क में आते ही कोरोना नष्ट हो जाएगा। संक्रमण से उनका बचाव होगा। दूसरे भी संक्रमण से बच सकेंगे।

वायरस के बाहरी आवरण को तोड़ देते हैं सिल्वर नैनो कण   प्रो. कुमार ने बताया कि रसायन विज्ञान के सामान्य सिद्धांत आयनन के आधार पर यह कोटिंग काम करेगी। इसको तैयार करने में सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग किया गया है। इस यौगिक को अवक्षेपित किया जाता है। इसके बाद रासायनिक अभिक्रियाओं से सिल्वर के नैनो कण बनाए जाते हैं। इनसे ही कोटिंग तैयार की जाती है। जीवाणु और कोरोना वायरस जैसे सूक्ष्मजीव जब इन नैनो कण के संपर्क में आते हैं तो ये उसके प्रोटीन के बाहरी खोल को तोड़ देते हैं। इससे अंदर मौजूद राइबो न्यूक्लिक एसिड (आएनए) निष्क्रिय हो जाता है। ऐसी कोटिंग संभवत: पहली दफा भारत में तैयार हुई है।

क्या होते हैं नैनो कण और नैनो तकनीक  100 नैनोमीटर या इससे छोटे कणों को नैनो कण कहते हैं। नैनो मीटर की सूक्ष्मता को इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि मनुष्य के बालों का व्यास 60 हजार नैनोमीटर होता है। वहीं, नैनो टेक्नोलॉजी वह अप्लाइड साइंस है, जिसमें नैनो कणों पर काम किया जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल उपभोक्ता उत्पाद, चिकित्सा उपकरणों, सौंदर्य प्रसाधन, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं प्रकाशिकी, पर्यावरण, भोजन,पैकेजिंग, ईंधन, ऊर्जा, कपड़ा, पेंट और प्लास्टिक आदि में हो रहा है।

तकनीक को कराया जाएगा पेटेंट…  इस तकनीक को पेटेंट कराया जाएगा। इसके बाद इस प्रौद्योगिकी को कपड़े बनाने वाली कंपनियों को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि आम लोगों तक इसका लाभ पहुंच सके। ऐसे कपड़े तैयार हो सकें जो इस कोटिंग से लैस हों।

 ऐसे प्रयोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए  महामारी से निपटने की पुख्ता कोशिशें उत्साहवर्धक हैं। आइएसएम, धनबाद के छात्रों ने बेहतरीन प्रयोग कर इस जानलेवा बीमारी से बचाव के लिए विशेष फैब्रिक उत्पाद तैयार करने में सफलता पाई है। ऐसे ही प्रयासों से कोरोना पर जीत हासिल की जा सकती है। ऐसे प्रयोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। दैनिक जागरण का अभियान राइजिंग इंडियाः जीतेगा भारत हारेगा कोरोना सकारात्मकता का संदेश देता है। लोग इससे प्रेरणा लेंगे। इसके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हम इस जानलेवा बीमारी से उत्‍पन्‍न चुनौतियों से निपटने में जरूर कामयाब होंगे।

-हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड।

मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाला समय भारत का है  भय भरे माहौल में उत्‍साह का बहुत महत्‍व है। हम सबको कुछ न कुछ ऐसा करना चाहिए जो एक-दूसरे को सकारात्‍मक ऊर्जा दे सके। युवाओं के लिए यह अवसर है कि वह अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर देश के लिए कुछ करें। रोज समाज में कुछ बेहतर हो रहा है। कोरोना से लड़ने के नए तरीके इजाद किए जा रहे हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाला समय भारत का है। विश्‍वपटल पर वह और मजबूत देश बनकर उभरेगा। दैनिक जागरण की पहल स्‍वागत योग्‍य है, सकारात्‍मक और ऊर्जा देने वाली खबरें सबको मजबूत करेंगी। प्रेरणा देंगी।

-दीपिका कुमारी, अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज

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