Uttarakhand
उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव के दूसरे दिन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने छात्र-छात्राओं से किया संवाद
देहरादून। उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव के दूसरे दिन छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए ईमानदार प्रयास करने की जरूरत है। तनाव करने से कुछ हासिल नहीं होता है। हमारा अधिकार मेहनत करने पर है। बाकी ईश्वर पर छोड़ देना चाहिए। स्वामी विवेकानंद की 157 वीं जयंती के अवसर पर ओएनजीसी ऑडिटॉरियम में उत्तराखण्ड यंग लीडर्स कान्क्लेव का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट से ही देश मुस्कुराएगा, आगे बढ़ेगा।
सीमांत 22 ब्लॉकों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना मुख्यमंत्री ने संवाद के दौरान कार्यक्रम में उपस्थित और वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अन्य जिलों में में उपस्थित छात्र-छात्राओं के विभिन्न सवालों का जवाब दिया। पलायन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सीमावर्ती राज्य होने के कारण उत्तराखण्ड विशेष संवेदनशील है। राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग का गठन किया है। सीमांत 22 ब्लॉकों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना प्रारम्भ की गई है।
क्वालिटी एजुकेशन पर विशेष जोर युवाओं के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी सरकार के लिए युवा सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। सरकार का ध्यान क्वालिटी एजुकेशन पर है। राज्य में बड़े संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। इनमें सीपैट, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी आदि प्रमुख हैं। युवाओं को अच्छी शिक्षा मिले, उनका कौशल विकास हो, उनके चेहरों पर मुस्कान रहे, यही हमारी कोशिश है। युवाओं को स्वरोजगार के लिए आगे आना चाहिए। श्रम को सम्मान देना जरूरी है।
संस्कृति, परम्पराओं व पुरखों का सम्मान हो इंडिया और भारत में भेद के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इंडिया देट इज भारत नहीं बल्कि भारत देट इज इंडिया होना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति, परम्पराओं और पुरखों पर गर्व होना चाहिए। वही देश आगे बढ़ सकता है जो कि अपने पूर्वजों का सम्मान करता हो। देश सर्वोपरि होता है।
यह पूछे जाने पर कि राजनीति में नहीं आते तो क्या करते, मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि मुख्यमंत्री बनूंगा। इसके लिए कभी किसी से कहा भी नहीं। केवल अपना कर्तव्य करता गया। हमारी प्रवृत्ति मांगने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि अपने पुरूषार्थ से हासिल करना चाहिए। अगर राजनीति में नहीं आता तो अपना ही कोई काम करता, नौकरी बिल्कुल नहीं करता।
यह पूछे जाने पर कि राजनीति में नहीं आते तो क्या करते, मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी नहीं सोचा था कि मुख्यमंत्री बनूंगा। इसके लिए कभी किसी से कहा भी नहीं। केवल अपना कर्तव्य करता गया। हमारी प्रवृत्ति मांगने की नहीं होनी चाहिए, बल्कि अपने पुरूषार्थ से हासिल करना चाहिए। अगर राजनीति में नहीं आता तो अपना ही कोई काम करता, नौकरी बिल्कुल नहीं करता।
युवाओं से निरंतर संवाद युवाओं से कैसे जुड़ते हैं, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक दो-तीन माह में इसी प्रकार से युवाओं की सहभागिता के कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं से संवाद स्थापित करते हैं। इसके अलावा युवा चाहें तो अपने सुझाव विभिन्न प्लेटफार्म द्वारा दे सकते हैं। उपयुक्त पाए जाने पर उन सुझावों को अंगीकार किया जाता है।
ग्रोथ सेंटर से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती पहाड़-मैदान की खाई को पाटने के लिए सरकार क्या कर रही है, इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले की प्रति व्यक्ति आय देश की औसत प्रति व्यक्ति आय से अधिक है। हालांकि मैदानी व पर्वतीय जिलों की आय में कुछ फर्क है। इसके लिए कई तरह की पहल की गई है। विकास नीति को जिला केंद्रित किया गया है। किसान समूहों को 5 लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के दिया जा रहा है। रूद्रयाग जिले में देवभोग प्रसाद योजना से स्थानीय महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाया गया है। प्रदेश की न्याय पंचायतों में ग्रोथ सेंटर स्थापित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है। पहाड़ में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। हमें वेल्यु एडिशन पर ध्यान देना है।
फिल्म शूटिंग डेस्टीनेशन बन रहा उत्तराखण्ड फिल्म शूटिंग के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट के समय वे मुम्बई में फिल्मकारों से मिले थे। उन्हें बताया गया कि उत्तराखण्ड ओपन एयर फिल्म स्टूडियो है। इसके बाद डेढ़ साल में बड़ी संख्या में फिल्मों, टीवी सीरियलों, डाक्यूमेंट्री की शूटिंग की गई है। सरकार फिल्म की शुटिंग के लिए आने वालों का पूरा ध्यान रखती है। हमें बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट का अवार्ड मिला है।
नए पर्यटन स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान पर्यटन के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पर्यटकों के साथ ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि वे यहां से खुश होकर जाएं। पुराने हिल स्टेशन सेचुरेटेड हो चुके है। इसलिए नए टूरिज्म डेस्टीनेशन विकसित किए जा रहे हैं। टिहरी झील के लिए 1400 करोड़ रूपए स्वीकृत हुए हैं। आने वाले समय में टिहरी पर्यटन का बहुत बड़ा गंतव्य बनने जा रहा है। पिथौरागढ़ में देश का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन बनाने की परिकल्पना पर काम किया जा रहा है।
उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि यंग लीडर कान्क्लेव में युवाओं के बीच जो मंथन हुआ एवं निष्कर्ष निकला, उस पर राज्य सरकार गम्भीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रत्येक दो-तीन माह में युवाओं से संवाद जरूर करते हैं। हमारी युवा शक्ति को किसी भी कार्य के लिए आगे आना जरूरी है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष 12 फरवरी से राज्य में उच्च शिक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले 05 प्रोफेसरों को डॉ. भक्त दर्शन पुरस्कार दिया जायेगा। इसके तहत 50 हजार रूपये की पुरस्कार राशि दी जायेगी। ऐसे प्रोफेसरों को एक नियुक्ति उनके मन पंसद के महाविद्यालयों में दी जायेगी।
इससे पूर्व कार्यक्रम में यंग एचीवर्स के रूप में पद्मश्री अरूणिमा सिन्हा, आईएएस मंगेश घिल्डियाल, जैविक खेती को स्टार्ट अप के रूप में अपनाने वाले विक्रमादित्य, फिल्म निर्माता रिया नायडू, म्यूजिक कम्पोजर शुभम गुप्ता व स्किल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सूरज ने अपने अनुभव साझा किए।
इस अवसर पर कान्क्लेव में हुए व्यापक मंथन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपा गया। मानव संसाधन विकास समिति के अन्तर्गत हुई विभिन्न विषयों की चर्चा में युवाओं ने सुझाव दिये कि विद्यालयी शिक्षा में छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों की शिक्षण संस्थानों तक पहुंच हो एवं शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति का मूल्यांकन बिना पूर्व जानकारी के हो। निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क का निर्धारण किया जाय। अध्यापकों एवं छात्रों के अनुपात का दृढ़ता से पालन किया जाना चाहिए एवं संस्कृति एवं नैतिक शिक्षा जैसे विषयों का भी समावेश किया जाय। रोजगारपरक शिक्षा पर बल दिया जाय। पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं आईटी सेक्टर की कमेटी द्वारा की गई जंगलों में लगने वाली आग को कैसे नियंत्रित किया जाय,प्रदूषण नियंत्रण के लिए जैविक एवं अजैविक कूड़े को अलग-अलग रखना, विभिन्न माध्यमों से कूड़ा एकत्रीकरण के संबंध में जागरूकता, स्कूलों में स्वच्छता प्रबंधन, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दिये जाने पर मंथन किया गया। इंडस्ट्रियल एवं इन्फ्रास्टक्चर से जुड़ी जरूरतों पर चर्चा के दौरान सुझाव दिये गये कि लॉजिस्टिक पर ध्यान दिया जाय। एमएसएमई के माध्यम से राज्य की तेजी से तरक्की की जा सकती है। इन्टीग्रटेट इंडस्ट्रियल पार्कों को विकसित करने पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
इस अवसर पर स्वामी असीम आत्मानन्द, उच्च शिक्षा उन्ननयन समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती दीप्ति रावत, अपर सचिव इकबाल अहमद, विभन्न विश्वविघालयों के कुलपति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अदिति त्यागी ने किया।
उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि यंग लीडर कान्क्लेव में युवाओं के बीच जो मंथन हुआ एवं निष्कर्ष निकला, उस पर राज्य सरकार गम्भीरता से विचार करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रत्येक दो-तीन माह में युवाओं से संवाद जरूर करते हैं। हमारी युवा शक्ति को किसी भी कार्य के लिए आगे आना जरूरी है। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष 12 फरवरी से राज्य में उच्च शिक्षा में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वाले 05 प्रोफेसरों को डॉ. भक्त दर्शन पुरस्कार दिया जायेगा। इसके तहत 50 हजार रूपये की पुरस्कार राशि दी जायेगी। ऐसे प्रोफेसरों को एक नियुक्ति उनके मन पंसद के महाविद्यालयों में दी जायेगी।
इससे पूर्व कार्यक्रम में यंग एचीवर्स के रूप में पद्मश्री अरूणिमा सिन्हा, आईएएस मंगेश घिल्डियाल, जैविक खेती को स्टार्ट अप के रूप में अपनाने वाले विक्रमादित्य, फिल्म निर्माता रिया नायडू, म्यूजिक कम्पोजर शुभम गुप्ता व स्किल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सूरज ने अपने अनुभव साझा किए।
इस अवसर पर कान्क्लेव में हुए व्यापक मंथन का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सौंपा गया। मानव संसाधन विकास समिति के अन्तर्गत हुई विभिन्न विषयों की चर्चा में युवाओं ने सुझाव दिये कि विद्यालयी शिक्षा में छात्रों के व्यक्तित्व विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। छात्रों की शिक्षण संस्थानों तक पहुंच हो एवं शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति का मूल्यांकन बिना पूर्व जानकारी के हो। निजी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क का निर्धारण किया जाय। अध्यापकों एवं छात्रों के अनुपात का दृढ़ता से पालन किया जाना चाहिए एवं संस्कृति एवं नैतिक शिक्षा जैसे विषयों का भी समावेश किया जाय। रोजगारपरक शिक्षा पर बल दिया जाय। पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं आईटी सेक्टर की कमेटी द्वारा की गई जंगलों में लगने वाली आग को कैसे नियंत्रित किया जाय,प्रदूषण नियंत्रण के लिए जैविक एवं अजैविक कूड़े को अलग-अलग रखना, विभिन्न माध्यमों से कूड़ा एकत्रीकरण के संबंध में जागरूकता, स्कूलों में स्वच्छता प्रबंधन, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने पर बल दिये जाने पर मंथन किया गया। इंडस्ट्रियल एवं इन्फ्रास्टक्चर से जुड़ी जरूरतों पर चर्चा के दौरान सुझाव दिये गये कि लॉजिस्टिक पर ध्यान दिया जाय। एमएसएमई के माध्यम से राज्य की तेजी से तरक्की की जा सकती है। इन्टीग्रटेट इंडस्ट्रियल पार्कों को विकसित करने पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
इस अवसर पर स्वामी असीम आत्मानन्द, उच्च शिक्षा उन्ननयन समिति की उपाध्यक्ष श्रीमती दीप्ति रावत, अपर सचिव इकबाल अहमद, विभन्न विश्वविघालयों के कुलपति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुश्री अदिति त्यागी ने किया।