उत्तराखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री श्री नित्यानंद स्वामी जी की 91वीं जयन्ती के अवसर पर राजभवन में सम्मान समारोह कार्यक्रम का आयोजन
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. नित्यानन्द स्वामी को स्वच्छ राजनीति का पुरोधा एवं सामाजिक बुराइयों के विरूद्ध संघर्ष करने वाला व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ, इमानदार एवं पारदर्शी प्रशासन तथा भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिये किये जाने वाले प्रयासों के लिये ऐसे व्यक्ति प्रेरणा व शक्ति प्रदान करते हैं। स्वामी जी को विनम्रता व दृढ़ता का प्रतीक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज हित के लिये किये जाने वाले कार्यों के लिये हमें सदैव विनम्रता पूर्वक तत्पर रहना चाहिए। विनम्रता कमजोरी नही होती है। शुक्रवार को राजभवन सभागार में श्री नित्यानन्द स्वामी जन सेवा समिति द्वारा स्वामी जी की 91वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि समिति द्वारा गीत संगीत, विज्ञान, शिक्षा, स्वास्थ व अन्य क्षेत्रों के विभिन्न व्यक्तियों का चयन कर उन्हें सम्मानित करना सराहनीय प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छे लोगों को राजनीति से जुड़ना चाहिए। स्थानीय निकाय चुनावों से ही इसकी शुरूआत होनी चाहिए। यदि पढ़े लिखे लोग अपना वोट देंगे तो निश्चित रूप से राजनीति में अच्छे व इमानदार लोग आगे आयेंगे। इसके तभी सार्थक परिणाम मिल सकेंगे जब हम इसके लिये इमानदारी से प्रयास करेंगे। उन्होंने राजनीति में आ रही गिरावट को रोकने के लिये गहराई के साथ चिन्तन की भी जरूरत बतायी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सांसद अजय भट्ट को स्वच्छ राजनीतिज्ञ पुरस्कार, स्वामी सुन्दरानन्द को उत्तराखण्ड गौरव सम्मान, डॉ. सुनील सैनी को चिकित्सा सेवा अलंकरण सम्मान, पदमश्री प्रीतम भरतवाण को संगीत अलंकरण सम्मान, श्री देवेन्द्र कुमार अग्रवाल को उद्योग अलंकार सम्मान, अद्धैत क्षेत्री एवं प्रेम माधववाली को युवा अलंकरण सम्मान तथा शिक्षाविद सम्मान सुश्री पद्मिनी एस शिवम को प्रदान किया। सांसद अजय भट्ट को दिया जाने वाला पुरस्कार उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा भट्ट ने ग्रहण किया।
विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल ने कहा कि स्वामी जी का जीवन संघर्षमय रहा। वे सभी का सम्मान करते थे। शिष्टाचार व सदाचार की वे मिशाल रहे। उनका व्यक्तित्व व कृतत्व महान था। केबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वामी जी राजनैतिक शुचिता के प्रतीक थे। सांसद माला राजलक्ष्मी शाह ने स्वामी जी को सरल स्वभाव वाला सबको साथ लेकर चलने वाला व्यक्ति बताया।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. अम्मार रिजवी ने कहा कि स्व. नित्यानंद स्वामी से उनका गहरा सम्बन्ध रहा है। स्वामी जी को सादगी की प्रतिमूर्ति बताते हुए डॉ. रिजवी ने कहा कि उत्तराखण्ड के विकास के प्रति उनकी स्पष्ट सोच थी। उनके अनुरोध पर ही उ0प्र0 के तत्कालीन मुख्यमंत्री बहुगुणा ने 1974 में शिक्षा मंत्री होने के नाते मुझे निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्र के गढ़वाल व कुमांऊ में एक-एक विश्वविद्यालय स्थापित किये जायें। इस प्रकार यहा दो विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। उन्होंने उत्तराखण्ड में स्थापित होने वाली लॉ युनिवर्सिटी को स्वामी जी के नाम पर रखे जाने तथा देहरादून के प्रवेश द्वार पर उनकी प्रतीमा स्थापित किये जाने का भी सुझाव दिया।
इस अवसर पर विधायक मुन्ना सिंह चौहान, गणेश जोशी, श्रीमती चन्द्रा पंत, जिला पंचायत अध्यक्ष देहरादून श्रीमती मधु चौहान, नित्यानंद स्वामी जन सेवा समिति के अध्यक्ष आर.के.बख्शी, उपाध्यक्ष श्रीमती ज्योत्सना शर्मा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।