उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती उषा नेगी ने सम्बन्धित विभागों और संस्थाओं को दिए निर्देश
देहरादून। ‘‘ बच्चों से नशा बिकवाने और उनके द्वारा नशा करने पर पूर्णतः लगाम लगायें’’ यह निर्देश उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा श्रीमती उषा नेगी ने कलेक्टेªट सभागार में बाल नशा रोकथाम और उनके पुनर्वास से सम्बन्धित बैठक में सम्बन्धित विभागों और संस्थाओं को दिए। अध्यक्षा द्वारा मलिन बस्तियों में और बहुत से सार्वजनिक स्थानों पर नाबालिग बच्चों से नशा बेचने और बच्चों द्वारा नशा करने के सामने आ रहे मामलों को गंभीरता से लेते हुए सम्बन्धित विभागों और संस्थाओं को निर्देश दिए कि सभी आपसी समन्वय से और एक टीम के रूप में कार्य करते हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे नशे के कारोबार पर पूरी तरह रोक लगायें। उन्होंने पुलिस एन्टीड्रग सेल, स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण, बाल कल्याण समिति, मद्य निषेध अधिकारी, वरिष्ठ औषधि निरीक्षक, जिला प्रोबेशन अधिकारी आदि सभी को बच्चों से नशे का व्यापार करवाने और नशा करने वालों पर विभिन्न माध्यमों से निगरानी रखते हुए धर धबोचनें और इसके पीछे जिम्मेदार ड्रग कारोबारियों पर सख्त वैधानिक कार्यवाही करनें के निर्देश दिए। उन्होंने मेडिसीन के दुकानों, हुक्काबार, पान-मसाला, संदिग्ध किराना स्टोर की दुकानों पर औचक निरीक्षण करते हुए ड्रग से सम्बन्धित सामग्री को खंगालने के निर्देश दिए तथा ड्रग से सम्बन्धित सामग्री पाये जाने पर सीधे प्राथमिकी दर्ज करने को कहा। अध्यक्षा द्वारा विद्यालय खोले जाने के पश्चात विद्यालय व उसके आसपास तथा बोर्डिंग स्कुलों में रहने वाले बच्चों और उनको संदिग्ध सामग्री सप्लाई करने वालों पर तीसरी आंख (सीसी टीवी कैमरा), सादी वर्दी में पुलिस की तैनाती, स्कुलों के गेट के आसपास कैमरा लगाकर उसकी नियिमत माॅनिटिरिंग करने के निर्देश दिए। साथ ही विद्यालयों में एक गोपनीय पत्र प्रेषण हेतु बाॅक्स रखने को कहा, जिसके पास लिखा हो कि कोई भी बच्चा अथवा सामान्य व्यक्ति किसी अन्य बच्चे द्वारा नशा लेने अथवा नशा बेचने तथा आसपास किसी के द्वारा बच्चों को नशा सप्लाई करने की गोपनीय सूचना दे सकता है ऐसी सूचना अंकित करने के निर्देश दिए। गोपनीय पत्र में सम्बन्धित व्यक्ति अपना नाम गोपनीय रख सकता है। उन्होंने स्कुलों में समय-समय पर बच्चों की कांउसिलिंग करने और कभी-कभी नशामुक्ति और उन्हें अच्छे संस्कार वाली बातों हेतु एक पीरियड पढाई का पृथक से आरक्षित करने के मुख्य शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए। उन्होंने बच्चों के साथ-साथ समय-समय पर अभिभावकों की भी कांउसिलिंग करने तथा बच्चों को अच्छे संस्कार देने को प्रेरित करने को कहा। उन्होंने कहा कि धरपकड़ अभियान में यदि नशा के आदी हो चुके बच्चे पकड़े जाते हैं तो उनके पुनर्वास की भी व्यवस्था करें तथा इसके लिए नशामुक्ति केन्द्रों से भी सम्पर्क करें।
अध्यक्षा ने कहा कि बच्चों को नशामुक्ति के साथ-साथ भिक्षावृत्ति, बाल शोषण, चाईल्ड लेबरिंग इत्यादि पर भी रोक लगायें। उन्होंने सम्बन्धित विभागों को ऐसे सभी स्थानों पर जहां पर बच्चों से कार्य करवाया जाता है और जहां पर बच्चों को उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालने वाले कार्याें में लगाया जाता है ऐसे संस्थानों का भी औचक निरीक्षण करते हुए सम्बन्धित पर सख्त कार्यवाही करें।उन्होंने नशामुक्ति अभियान हेतु पुलिस द्वारा चलाये जा रहे आपरेशन सत्य को लगातार बनाये रखने, स्वास्थ्य विभाग को बोर्डिंग स्कुलों तथा विद्यालयों के बच्चों का आकस्मिक मेडिकल परीक्षण करने को कहा ताकि पता चल सके कि कोई बच्चा ड्रग तो नही ले रहा है। इसके अतिरिक्त उन्होंने सभी विभागों और बाल संरक्षण इकाईयों को आपस में बेहतर तालमेल और रिपोर्टिंग करते हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले नशायुक्त दानव के विरूद्ध पूर्ण प्रतिबनध लगाने के निर्देश देते हुए कहा कि अगली बैठक में सम्बन्धित विभागों की कार्य प्रगति देखी जाएगी।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खण्डेलवाल, पुलिस अधीक्षक क्राइम लोकजीत सिंह, मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली, जिला प्रोबेशन अधिकारी मीना बिष्ट, जिला प्रतिरक्षण अधिकरी डाॅ उत्तम सिंह चैहान सहित बाल कल्याण समिति, चाईल्ड लाईन, राष्ट्रीय ड्रग मिल सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।