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शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड को चैथा स्थान

उच्च शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर हासिल किया तीसरा पायदान

देहरादून। नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र संघ की भारतीय शाखा के साथ मिलकर वर्ष 2020 का सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स जारी किया है।  इस इंडेक्स में सतत विकास लक्ष्य के 16 लक्ष्यों में राज्यों के प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग की गई है।  इन 16 लक्ष्यों में शिक्षा की गुणवत्ता को भी शामिल किया गया हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड ने देशभर में चैथा स्थान हासिल किया है। नीति आयोग की  सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स 2020 में उत्तराखंड ने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर 70 अंक अर्जित किये हैं। जबकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड को देशभर में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। 18 से 23 वर्ष के युवाओं के ळम्त् (ळतवेे म्दतवसउमदज त्ंजपव) सूचकांक में उत्तराखंड ने 39.1 स्कोर हासिल किये।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा का क्रमांक 4  शिक्षा के सम्बन्ध में है जिसमें ळवंस 4.3 उच्च शिक्षा से सम्बंधित है जो 18 से 23 वर्ष के युवाओं के से सम्बंधित है। नीति आयोग द्वारा जारी ैक्ळ रिपोर्ट में गोल 4.3 में पूरे देश में सिक्किम 53.9 अंकों के साथ प्रथम स्थान, हिमाचल प्रदेश 39.6 अंकों के साथ द्वितीय स्थान तथा 39.1 अंकों के साथ उत्तरखण्ड को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है।  इसी प्रकार गोल 4 (ळवंस 4) शिक्षा के समग्र मूल्यांकन जिसके अंतर्गत प्राथमिक शिक्षा, उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा शामिल है।  जिसके  अंतर्गत पूरे देश में  केरल 80 अंकों के साथ प्रथम स्थान, हिमाचल प्रदेश 74 अंकों के साथ द्वितीय स्थान, गोवा 71 अंकों साथ तीसरे स्थान तथा 70 अंकों के साथ उत्तराखण्ड चैथे स्थान पर है। राष्ट्रीय स्तर पर इस विशेष उपलब्धि के लिए उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राज्य के शिक्षा जगत से जुड़े समस्त शिक्षाविदों, शिक्षकों, अधिकारीयों  एवं कर्मचारियों को बधाई देते हुए उनके योगदान की सराहना की। उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत का कहना है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था और गुणवत्ता को लेकर सरकार का हमेशा फोकस रहा है। जिसका नतीजा रहा कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स में समग्र शिक्षा के लिए उत्तराखंड को देशभर में चैथा स्थान मिला। जबकि उच्च शिक्षा में उत्तराखंड तीसरे पायदान पर है। शिक्षा के क्षेत्र में यह उपलब्धि  उत्तराखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इससे जहाँ शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा वहीं अभिभावकों और छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने का काम करेगा।

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