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उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति ने लोगों को सशक्त करने का अभियान शुरू किया
देहरादून। एक बेहतर, सुरक्षित और समृद्ध उत्तराखंड के लिए उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति ने ’उत्तराखंड बचाओ अभियान’ की शुरुआत की है। जिसके तहत उत्तराखंड के दूरदराज के गांवों में बसने वाले लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। आत्मनिर्भर उत्तराखंड के जरिए पहाड़ में बसने वाले महिलाओं एवं पुरुषों को सशक्त किया जाएगा एवं उन्हें उत्तराखंड के भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय एवं अन्य पहलुओं को आसानी से समझने के लिए जागरूक किया जाएगा एवं पूरे प्रदेश में जन जागरण अभियान चलाया जाएगा।
आत्मनिर्भर उत्तराखंड का निर्माण तभी संभव है जब उत्तराखंड के लोगों को उत्तराखंड में ही रहकर अपना रोजगार प्राप्त कर सके, अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके, अच्छी स्वास्थ्य सुविधा लोगों के लिए उपलब्ध हो सके, लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए उचित व्यवस्था मिल सके जिससे रोजगार एवं स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा सके। उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति के जनक जगदीश भट्ट ने अपने उधमी और पेशेवर साथियों के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है। जगदीश भट्ट ने कहा ’ इस सहकारी समिति के माध्यम से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों को आवश्यक मदद की जाएगी, जैसे आर्थिक मदद, उनकी परियोजनाओं को तेजी से मंजूरी दिलाने का कार्य, लोगों को आवश्यकता अनुसार प्रशिक्षण और मार्गदर्शन आदि दिया जाएगा, जिससे यहां के लोगों को स्वरोजगार एवं रोजगार जल्द प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति उत्तराखंड के लोगों के लिए उनके विभिन्न समस्याओं को संबोधित करने एवं उन समस्याओं का निवारण हेतु मंच प्रदान कर रहा है। साथ ही साथ स्वरोजगार एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों के टीम का नेटवर्क भी तैयार किया जा रहा है। बीते वर्ष अप्रैल 2020 में उत्तराखंड बचाओ अभियान जगदीश चंद्र भट्ट के नेतृत्व में पूरे प्रदेश में चलाया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य स्वरोजगार के प्रति लोगो को प्रेरित करना था। जिसमें प्रमुख सहयोगी संजय उनियाल, दिग्विजय सिंह भंडारी, जयदेव कैंथोला, तारा दत्त शर्मा, तारा दत्त भट्ट, शेखरानन्द भट्ट, गिरजा किशोर पांडे एवं महेश भट्ट ने सहयोग दिया। उत्तराखंड जन विकास सहकारी समिति का मुख्य उद्देश्य स्वरोजगार में मदद, जनचेतना की पहल, शिक्षा के प्रति जागरूकता एवं सहायता, स्वास्थ्य जागरूकता एवं सहायता, जल जंगल और जमीन के प्रति संवेदनशीलता, महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार की उचित व्यवस्था, उत्तराखंड के संस्कृति, साहित्य एवं भाषा के संरक्षण एवं उत्तराखंड के लोगों को सशक्त करना है।