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त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन स्वामी केशवानंद महाराज एवं ब्रह्मलीन स्वामी बंशीधर महाराज-ऋषि रामकृष्ण

हरिद्वार, 12 जुलाई। निर्धन निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा है कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और राष्ट्रीय एकता अखंडता बनाए रखने में संत महापुरुषों का योगदान सदैव अतुलनीय रहा है। खड़खड़ी स्थित निर्धन निकेतन आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी ऋषि केशवानंद महाराज एवं ब्रह्मलीन स्वामी बंशीधर महाराज के श्रद्धांजलि समारोह के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन को संबोधित करते हुए स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी ऋषि केशवानंद एवं स्वामी बंशीधर महाराज दोनों ही त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने अपने जीवन काल में सदैव गरीब असहाय लोगों की सहायता कर समाज को मानव सेवा का संदेश दिया। समाज में ऐसे महापुरुष विरले ही होते हैं। महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप दर्शनाचार्य महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों का जीवन परोपकार को समर्पित रहता है और संतों के जीवन से जो प्रेरणा लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। ब्रह्मलीन स्वामी ऋषि केशवानंद एवं स्वामी बंशीधर महाराज दिव्य महापुरुष थे। जिन्होंने हरिद्वार के इतिहास में संत समाज को गौरवान्वित किया। राष्ट्र निर्माण में दोनों संतों का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह एवं युवा भारत साधु समाज के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी रवि देव शास्त्री महाराज ने कहा कि महापुरुषों के दर्शन मात्र से पापों से निवृत्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में ज्ञान का प्रकाश होता है। ऐसे ही ज्ञानी महापुरुष ब्रह्मलीन स्वामी ऋषि केशवानंद महाराज एवं बंशीधर महाराज ने भक्तों के जीवन से अंधकार को दूर कर प्रकाश की ओर अग्रसर किया। वह सभी के प्रेरणा स्रोत थे। वर्तमान में भी उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए प्रासंगिक है। इस अवसर पर महंत दामोदर दास, स्वामी हरिहरानंद, महामंडलेश्वर स्वामी शिवानंद, महंत सूरज दास, महंत मोहनसिंह महंत तीरथ सिंह, महंत गोविंद दास, महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद, स्वामी चिद़विलासानंद, डा.पदम प्रसाद द्विवेदी, महंत अरुणदास, स्वामी रघु वन, स्वामी दिनेश दास, महंत श्याम प्रकाश, स्वामी गंगादास उदासीन, महंत गुरमीत सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहे

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